संजय श्रीवास्तव
आरा। तथाकथित अमृत काल के शुरुआती दौर में दुष्कर्म की जो घटनाएं और दुर्घटनाएं घट रही हैं, उससे मानवता शर्मसार हो रही है। समाज शर्मसार हो रहा है। ज्यादे शर्मसार तो राजनीति करने वाले तथाकथित राजनेता होते हैं, लेकिन उनका शर्म दिखावटी होता है। अभी हाल में 15 अगस्त समारोह संपन्न हुआ है। लाल किला के प्राचीर से अमृत काल का विजन परोसा गया है,और वह विजन जनता के गले में ही अटक गया।यह बातें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व वीकेएसयू के सीनेट सदस्य प्रोफ़ेसर बलिराज ठाकुर ने देश के कई भागो में ताबड़तोड़ रेप,गैंगरेप और मर्डर की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए एक प्रेस बयान में कहा कि इसे रोकने के लिए जनता को प्रहरी बनना होगा। समाज का घाव गहरा हो कर फैलता जा रहा है।प्रोफेसर ठाकुर ने दुष्कर्म की घटनाओं से दुखी हो कर कहा कि केवल कैन्डिल जलाने से यह अंधकार दूर होने वाला नहीं है। पुलिस और न्यायालय तो बाद में आएंगे और गहरी छानबीन तथा गहरी बहस होगी। पुलिस महकमा एवं न्यायालय तो बाद के प्रहरी होंगे। प्रोफेसर ठाकुर ने कहा कि क्या अमृत काल विष काल बनने जा रहा है ?