vijay shankar
पटना : आगामी 24 जनवरी को पटना में आयोजित होने वाले जननायक कर्पूरी ठाकुर जयंती समारोह में लोगों से अधिक से अधिक संख्या में आने की अपील करते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता श्री राजीव रंजन ने आज कहा है कि कर्पूरी ठाकुर देश के उन चुनिंदा नेताओं में से एक थे जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन गरीबों, वंचितों की सेवा में अर्पित कर दिया। उनके सेवाभाव के कारण ही समाज के हर जाति, हर वर्ग में आज भी उनके प्रशंसक विद्यमान हैं। इसीलिए उन्हें जननायक भी कहा जाता है। आगामी 24 जनवरी को उनकी 100वीं जयंती है, जिसे एक पर्व की तरह मनाया जाएगा। इस अवसर पर पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें बिहार के कोने कोने से लोग शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ईमानदारी और सादगी की ऐसी मिसाल थे, जो एक बार उपमुख्यमंत्री और दो बाद मुख्यमंत्री रहने के बावजूद अपना एक घर तक नहीं बनवा सके। 1952 से लगातार विधायक रहने के बावजूद कर्पूरी ठाकुर रिक्शे से ही चलते थे। क्योंकि उनकी जायज आय कार खरीदने और उसका खर्च वहन करने की अनुमति नहीं देती थी।
जदयू महासचिव ने कहा कि यह कर्पूरी ठाकुर ही थे जिन्होंने साल 1971 में मुख्यमंत्री बनने पर किसानों को बड़ी राहत देते हुए गैर-लाभकारी जमीन पर मालगुजारी टैक्स को खत्म कर दिया था। इसी तरह सरकारी नौकरियों में मुंगेरीलाल कमीशन लागू कर गरीबों और पिछड़ों को आरक्षण देने की हिम्मत दिखाने वाले भी वही ही थे। उन्होंने ने ही अतिपिछड़े समाज की व्यथा को समझते हुए उन्हें पहली बार सरकारी नौकरियों में 12ः आरक्षण का लाभ दिया। यह कर्पूरी ठाकुर जी ही थे जिन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर उच्च जाति के पुरुषों के लिए तीन प्रतिशत और महिलाओं के लिए तीन प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी।
उन्होंने कहा कि समाज का ऐसा कोई वर्ग नहीं है जो कर्पूरी ठाकुर जी द्वारा किये गये कार्यों से अछूता रह गया हो। उनका जीवन हम सभी के लिए आदर्श है। इसीलिए लोग उनके जनता का नायक कहते थे।
लोगों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि आम जनता के सुख दुःख के साथी रहने वाले ऐसे देवतुल्य इन्सान की 100वीं में शरीक होना हम सभी का कर्तव्य भी है और दायित्व भी। इसीलिए मेरी बिहार की तमाम निवासियों से अपील है कि आगामी 24 जनवरी को पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में आयोजित हो रहे उनकी जयंती कार्यक्रम में भारी से भारी संख्या में उपस्थित होकर उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करें तथा उनकी नीतियों व आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लें।