नेशनल ब्यूरो
गाजियाबाद। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के ऑडिटोरियम में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जयंती पर आयोजित 17वें पत्रकार प्रोत्साहन एवं सम्मान समारोह में वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह, डॉ. सचिदानंद जोशी समेत कुल आठ पत्रकारों को सम्मानित किया गया। प्रदीप सिंह को पत्रकार भूषण सम्मान एवं वरिष्ठ साहित्यकार व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सचिदानंद जोशी को साहित्य भूषण सम्मान से नवाजा गया। जबकि पत्रकार माधुरी सेंगर, निशा ठाकुर, धनंजय वर्मा, आनंद गुप्ता व आशुतोष कुमार पांडेय को पत्रकार गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।
शुक्रवार, 24 दिसम्बर को आयोजित समारोह में कोरोनाकाल में उल्लेखनीय सेवाएं देने वाले डॉ. मनीष कुमार को चिकित्सक गौरव सम्मान प्रदान किया गया। इन सभी को शॉल, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह व नकद राशि प्रदान की गई। वरिष्ठ पत्रकार एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष पद्मश्री राम बहादुर राय, मुख्य अतिथि प्रसार भारती न्यूज सर्विसेज के प्रभारी समीर कुमार, मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया एवं निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने पत्रकारों को सम्मानित किया।
राम बहादुर राय ने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के आदर्शों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मालवीय जी व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व थे। वह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के बड़े उदाहरण हैं। डॉ. गदिया ने कहा कि मालवीय जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी, पत्रकार, वकील, गायक, कथावाचक, देशभक्त व युगदृष्टा थे। देश में प्रोफेशनल्स तैयार हो सकें, इसके लिए उन्होंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बनाई। समीर कुमार ने कहा कि शासक आते-जाते रहते हैं लेकिन प्रजा हमेशा रहती है। मालवीय जी ने जो काम किये, जो आदर्श स्थापित किये, उन्हें हम अपने जीवन में उतारें।
डॉ. सचिदानंद जोशी ने कहा कि हम पुरानी सनातन परम्परा की ओर लौट रहे हैं, यह एक शुभ संकेत है। मेवाड़ संस्थान इन जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान कर रहा है, यह उल्लेखनीय प्रयास है। उन्होंने एवं उनकी पत्नी मालविका जोशी ने संयुक्त रूप से ‘मुस्कुराओ-मुस्कुराओ…’ कविता सुनाकर सभी का मन जीत लिया। श्रेया अग्रवाल एवं तृप्ति भाटी ने मालवीय जी के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला। कवि-पत्रकार एवं मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल ने मेवाड़ की पत्रकार सम्मान व पुरस्कार-प्रोत्साहन की मुहिम के 17 वर्षों के इतिहास पर प्रकाश डाला। मंच का सफल संचालन डॉ. ओंकारनाथ एवं कवि-पत्रकार डॉ. चेतन आनंद ने किया।