बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के कोयलांचल क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर गैरकानूनी तरीके से कोयले के खनन और तस्करी के हजारों करोड़ रुपये के कारोबार के मुख्य सूत्रधार विनय मिश्रा के भाई विकास मिश्रा को आखिरकार सीबीआई ने सात दिनों की रिमांड पर ले लिया है।
कोयला तस्करी मामले में सीबीआइ ने शुक्रवार को ट्रांजिट रिमांड के आधार पर दिल्ली के तिहाड़ जेल से प्रोडक्शन वारंट पर विकास मिश्रा को आसनसोल सीबीआइ अदालत में पेश किया। सीबीआइ की ओर से आरोपित को 14 दिनों के सीबीआइ रिमांड की मांग की गई। सीबीआइ जज जयश्री बनर्जी ने दोनों पक्षों की लंबी दलीलों को सुनने के उपरांत आरोपित को सात दिनों के सीबीआइ रिमांड पर भेज दिया। आरोपित की अगली पेशी आसनसोल सीबीआइ अदालत में 22 अप्रैल को होगी। रिमांड मिलने के बाद सीबीआइ उसे लेकर कोलकाता रवाना हो गई, जहां निजाम पैलेस में उससे लंबी पूछताछ होगी। सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक तृणमूल नेता विनय मिश्रा का भाई विकास मिश्रा है। सीबीआइ का आरोप है कि विकास मिश्रा ने अपने करीबी रिश्तेदार बांकुड़ा थाना के प्रभारी अशोक मिश्रा के साथ मिलकर कोयला तस्कर अनूप मांझी उर्फ लाला से करोड़ों रुपये लिए व यह रुपये राज्य के नौकरशाह व नेताओं को दिया गया। आज तक सीबीआइ विनय मिश्रा को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का करीबी नेता है और जिस तृणमूल युवा इकाई के अध्यक्ष अभिषेक हैं उसी इकाई की कोलकाता जोन का महासचिव है। विनय मिश्रा सितंबर 2020 में अपने दो पासपोर्ट के सहारे देश छोड़कर फरार हो चुका है। उसके दुबई अथवा सिगापुर मलेशिया में छिपे होने की संभावना है। सीबीआई विनय मिश्रा के खिलाफ इंटरपोल से रेड कार्नर नोटिस भी निर्गत कर चुकी है, जबकि लाला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से मिली न्यायिक कवच पर चल रहा है। यह दलील शुक्रवार को आसनसोल सीबीआइ अदालत में सीबीआइ के वकील राकेश कुमार ने दी। जबकि जवाब में कोलकाता हाईकोर्ट से आए बचाव पक्ष के वकील सव्यसांची बनर्जी ने सीबीआई अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल विकास मिश्रा की तबीयत बहुत खराब है। इसके पक्ष में उन्होंने अदालत में तिहाड़ जेल की मेडिकल रिपोर्ट आसनसोल सीबीआई अदालत में जमा की है। उन्होंने अदालत को बताया कि एक माह पहले दिल्ली में ईडी ने विकास मिश्रा को गिरफ्तार किया तभी से वह तिहाड़ जेल में कैद है। उसकी तबीयत बहुत खराब थी, इसलिए उनके मुवक्किल को जमानत दी जाए। पलटवार करते हुए सीबीआइ के वकील राकेश कुमार ने आरोपित की जमानत अर्जी निरस्त करने की अदालत से अर्जी लगाई और कहा कि विकास को जमानत ना करने का मतलब है सबूतों से छेड़छाड़। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने उसे सात दिनों की सीबीआई रिमांड पर भेजा है।

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