इससे पहले कोरोना कंट्रोल रूम बनाने की आवाज उठाई थी रणवीर नंदन ने जो आज सबसे बड़ा मददगार
विजय शंकर
पटना : पूर्व विधान पार्षद डाॅ0 रणवीर नन्दन ने आज कहा कि कोरोना की लड़ाई जारी है और अभी आने वाले वक्त में यह लड़ाई और मुश्किल दौर से गुजरने वाली है। ऐसे में प्लाज्मा बैंक आज के वक्त में कोविड से लड़ने में एक कारगर उपाय हो सकता है। लेकिन जरूरी है कि इसके लिए राज्यों को केंद्र सरकार मदद करे, ताकि हर जिले में प्लाज्मा बैंक की शुरुआत हो सके। कोरोना के मरीजों का संक्रमण ठीक होने के 28 दिन बाद उनमें एंटीबाॅडी डेवलप हो जाती है। उस स्थिति में उनका प्लाज्मा दूसरे कोविड मरीजों को ठीक करने में कारगर होता है। अगर कोविड से ठीक हुए मरीजों का सही समय पर प्लाज्मा ले लिया जाए तो उससे कोविड के मरीजों का इलाज आसान होगा और अस्पतालों का बोझ कम होगा।
उल्लेखनीय है कि प्लाज्मा बैंक की जरुरत बताने से पहले पूर्व विधान पार्षद रणवीर नंदन ने कोरोना नियंत्रण के लिए कंट्रोल रूम स्थापित करने की बात की थी जिसके बाद सरकार ने कंट्रोल रूम बनाया जिसका लाभ बिहारवासियों को मिल रहा है । आज आलम यह है कि फोन अस्पताल में मिले या न मिले , कंट्रोल रूम में पीड़ित के परिजनों का फोन लग जाता है और उन्हें सहायता मिल जाती है जो आज कोरोना काल में सबसे बड़ी जरुरत है ।
उन्होंने कहा कि यह चिकित्सकीय फैक्ट है कि कोविड मरीज की शुरुआती एक हफ्ते के इलाज में अगर उसे प्लाज्मा थेरेपी दी जाए तो उसके अस्पताल में रहने की अवधि कम हो सकती है, वह घर पर भी ठीक हो सकता है। लेकिन जरूरी है कि प्लाज्मा सही वक्त पर मिले और इसके लिए जरूरी है कि प्लाज्मा डोनेट करने की। प्लाज्मा डोनेशन से लोगों को डरने की भी जरूरत नहीं है क्योंकि इसमें ब्लड नहीं लिया जाता, बल्कि सिर्फ उसका प्लाज्मा निकलता है और पूरा ब्लड शरीर में ही रहता है।
\बिहार में अभी सिर्फ एम्स पटना में प्लाज्मा डोनेशन की सुविधा है। ब्लड की तरह प्लाज्मा कहीं भी डोनेट नहीं किया जा सकता, इसके लिए विशेष मशीन होती है। केंद्र सरकार से आग्रह है कि प्लाज्मा निकालने की मशीन खरीदने में राज्यों को पूरा सहयोग करे जिससे हर बड़े अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध कराई जा सके और हर जिला मुख्यालय में प्लाज्मा बैंक बनाया जा सके। जितने मरीज हमारे ठीक हुए हैं, उसमें से आधे लोगों का भी प्लाज्मा रहता तो लोगों का अस्पतालों का प्रवास हम दो तिहाई तक कम कर सकते थे। लेकिन प्लाज्मा निकालने की मशीन और प्लाज्मा बैंक के अलावा जागरूकता की कमी ने ऐसे हालात नहीं बनने दिए। अभी भी अगर इसकी व्यवस्था हो जाती है तो हम तीसरी लहर या उससे बाद की स्थिति के लिए मजबूत रहेंगे।