माले कार्यालय में शोक में झंडा झुका, विधायक दल कार्यालय में रखा गया पार्थिव शरीर, कल 3 बजे अपराह्न निकलेगी अंतिम यात्रा. माले महासचिव दिल्ली से पटना रवाना, अंतिम यात्रा में लेंगे भाग.
विजय शंकर
पटना : दलित-गरीबों, भूमिहीन किसानों के ऐतिहासिक नक्सलबाड़ी उभार के दौर के भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता का. बृजबिहारी पांडेय का आज निधन हो गया. माले महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है और उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होेने के लिए दिल्ली से पटना रवाना हो चुके हैं. कॉ. बीबी पांडेय का पार्थिव शरीर अन्तिम दर्शन के लिए विधायक दल कार्यालय छज्जूबाग में रखा गया है. कल 3 बजे अपराह्न उनकी अंतिम यात्रा निकलेगी. उनकी मृत्यु की खबर मिलते ही विधायक दल कार्यालय में पार्टी राज्य सचिव कुणाल, धीरेन्द्र झा, अमर, मीना तिवारी, शशि यादव, संतोष सहर सरीखे पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता पहुंच गए हैं.
हाल ही में उनके पेट की सर्जरी हुई थी, वे ठीक हो गए थे, लेकिन सर्जरी के बाद छाती में संक्रमण और अन्य जटिलताओं से पीड़ित हो गए और आज 26 अगस्त 2021 को अस्पताल में उनका निधन हो गया.
कॉ. बृजबिहारी पांडेय कानपुर में भाकपा-माले के पूर्व महासचिव कामरेड विनोद मिश्र के बचपन के मित्र थे. दोनों 1966 में आरईसी दुर्गापुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने एक साथ गए थे, जहां उनकी मुलाकात धूर्जटी प्रसाद बख्शी और गौतम सेन से हुई. ये सभी युवक एक साथ नक्सलबाड़ी के उभार से गहरे तौर पर प्रभावित हुए, और कैंपस रेजिमेंटेशन के खिलाफ चल रहे युवा विद्रोह को मजदूर- किसानों के प्रतिरोध के साथ एकजुटता में बदलने में लग गए. पांडेजी के निधन के साथ, दुर्गापुर आरईसी के चार लोगों के समूह का आखिरी हिस्सा भी हमने खो दिया है.
कॉमरेड वीएम और डीपी बख्षी के साथ एक पूर्णकालिक पार्टी कार्यकर्ता बनकर, पांडेजी ने विभिन्न भूमिकाओं और विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया. 1974 से, उन्होंने दिल्ली, पंजाब, बंगाल, झारखंड (जहां उन्होंने एक समय के लिए गिरिडीह सचिव के रूप में भी कार्य किया) के साथ-साथ पार्टी की केंद्रीय समिति और पार्टी के मुखपत्रों लिबरेशन और लोकयुद्ध सहित कई अन्य विभागों में काम किया. वह वर्तमान में पार्टी के केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के चेयरमैन के रूप में कार्यरत थे.
पांडेजी एक बहुभासाविद थे. उन्हें कई विषयों में महारत हासिल थी. अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली के साथ-साथ वह काफी हद तक पंजाबी भी बोल सकते थे और कुछ तमिल भी समझ सकते थे. विज्ञान, साहित्य, संस्कृति से लेकर राजनीति और इतिहास तक – पाण्डेय जी की इन सभी क्षेत्रों में गहरी रुचि थी, और जिस भी विशय पर पे ध्यान देते, उस पर शीघ्र ही अधिकार कर लेते. उनके पास धैर्य जैसा दुर्लभ गुण था, जिसने उन्हें एक आदर्ष शिक्षक और संरक्षक बना दिया। असंख्य युवा साथियों – पार्टी प्रकाशनों के संपादकों से लेकर जन मोर्चों पर कार्यरत कार्यकर्ताओं तक – ने उनके उदारतापूर्ण संरक्षण का लाभ उठाया. वे खुशी-खुशीे एक नौसिखिए को भी कंप्यूटर का उपयोग करने व सिखाने; या भौतिकी के छात्र के साथ क्वांटम भौतिकी पर चर्चा करने के लिए, या जन संस्कृति मंच के साथियों के साथ नवीनतम रोचक उपन्यास या कविता पर चर्चा करने; या फिर अपने दैनिक कार्यों में किसी कॉमरेड द्वारा सामने की जाने वाली जटिल समस्या पर चर्चा करने के लिए हमेशा तैयार रहते.
पूरी पार्टी पांडे जी की जीवन साथी कामरेड विभा गुप्ता (जिन्हें कॉमरेड झूमा के नाम से जाना जाता है) और उनकी बेटियों अदिति और रिया को इस अथाह दुख की घड़ी में अपना प्यार और समर्थन देती है