अफसरों को सख्त ताकीद की गई कि जमीनी स्तर पर आकलन करें
न्यूज ब्यूरो
पटना। राज्य के करीब एक दर्जन जिलों में बाढ़ एवं अतिवृष्टि से हुई फसल को क्षति के आकलन का काम शुरू कर दिया गया है । यह काम स्वयं मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद शुरू किया गया है । सभी जिलाधिकारियों को यह कहा गया है कि वह अफसरों के साथ स्वयं फील्ड में जाएं और फसल क्षति के आकलन का काम जमीनी स्तर पर करें। इसी आधार पर काम भी शुरू किया गया है । फसल क्षति के आकलन के बाद से अगले महीने से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने का काम भी शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अतिवृष्टि , बाढ़ के कारण उपजी स्थिति का हवाई सर्वेक्षण भी किया था।
आपदा प्रबंधन विभाग एवं जल संसाधन विभाग के साथ समीक्षा की समीक्षा के दौरान संबद्ध जिलों किशनगंज, पूर्णिया, अररिया, सुपौल, सहरसा एवं समस्तीपुर जिले आदि के जिलाधिकारी से बातचीत कर वहां की स्थिति के बारे में जानकारी ली गई थी।
जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस ने बाढ़ संर्घषात्मक कार्य तथा प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव के लिये किये जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 1 से 4 अक्टूबर के बीच अधिक वर्षापात के कारण कई नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई है।
साथ ही क्षेत्रों में जलजमाव की भी स्थिति बनी है। मुख्यमंत्री द्वारा 2 अक्टूबर को नवादा, पटना एवं नालंदा जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सड़क मार्ग के द्वारा जायजा लिया गया। 5 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने प्रभावित जिलों का हवाई सर्वेक्षण कर 11 जिलों की समीक्षा की थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने जो निर्देश दिये हैं उस पर तेजी से काम किया जा रहा है।
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने प्रभावित क्षेत्रों में आपदा राहत कार्यों के संबंध में जानकारी दी। समीक्षा के दौरान किशनगंज, पूर्णिया, अररिया, सुपौल, सहरसा एवं समस्तीपुर जिले के जिलाधिकारियों ने अपने-अपने जिलों की स्थिति की जानकारी दी।
समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले चरण में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की गई तथा क्षति का भी आकलन कराया गया। सभी जिलों के प्रभारी मंत्री अपने-अपने जिलों में जनप्रतिनिधियों एवं जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की।
हाल ही में अधिक वर्षापात से कई जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी, जिसके कारण फसल क्षति के साथ-साथ कई अन्य प्रकार के नुकसान हुए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारी दो दिनों के अंदर पहले की फसल क्षति के आंकलन के साथ-साथ हाल के दिनों में अधिक वर्षापात के कारण हुई फसल क्षति का आंकलन कर रिपोर्ट दें। फसल क्षति की कहीं से भी कोई जानकारी मिलती है तो उसका आकलन करा लें। सभी जिलाधिकारी, आपदा प्रबंधन विभाग, कृषि विभाग तथा पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग समन्वय बनाकर इस पर काम करें। राज्य के सभी जिलों में फसल की क्षति का आंकलन करने के साथ-साथ जहां अत्यधिक जलजमाव के कारण बुआई नहीं हो सकी है उसका भी आकलन करें जिन क्षेत्रों में भी नुकसान हुआ है, वहां कोई भी राहत से वंचित नहीं रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ के दौरान जो सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं, पथ निर्माण विभाग एवं ग्रामीण कार्य विभाग पथों की मरम्मती कार्य की अद्यतन स्थिति की जानकारी लें।
प्रभावित लोगों के साथ संपर्क बनाये रखें एवं उनके सुझावों पर भी गौर करें। लोगों के बीच सारी बातों को रखें कि उनके राहत एवं बचाव के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य किये जा रहे हैं, उनके हुए नुकसान को लेकर हर प्रकार की सहायता दी जायेगी।
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण, विकास आयुक्त आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस, आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल, कृषि विभाग के सचिव एन० सरवन कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार उपस्थित थे, जबकि संबंधित जिलों के प्रमंडलीय आयुक्तगण व विभिन्नजिलों के जिलाधिकारी थे, जिनको निर्देश दिया गया था।