विजय शंकर
पटना : बिहार उर्दू अकादमी, पटना में बज़्म-ए-हफ़ीज़ बनारसी कार्यक्रम के अंतर्गत बैतबाज़ी, महफ़िले-महजबीं और महफ़िले-मुशायरा का एक शानदार एवं सफल आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि वाईस चांसलर, चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी,जस्टिस मृदुला मिश्रा, शाद अज़ीमाबादी की प्रपौत्री डॉ शहनाज़ फ़ातमी एवं डॉ0 सुधा सिन्हा सावी द्वारा डॉ आरती कुमारी के संपादन में आई पुस्तक ‘बिहार की महिला ग़ज़लकार’ का विमोचन हुआ।
इस ग़ज़ल संग्रह में बिहार की हिंदी-उर्दू अदब की समकालीन महिला ग़ज़लकारों को शामिल किया गया है जो पत्र पत्रिकाओं से लेकर अदबी महफ़िलों तक में अपनी शायरी के फ़न से ख़ूब सराही जाती हैं और बिहार से संबंध रखती हैं। पुस्तक का आवरण दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा आस्था दीपाली द्वारा बनाया गया है और यह लोकोदय प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।
मौके पर जस्टिस मृदुला मिश्रा ने कहा कि यह पुस्तक बहुत शोध करके बनाई गई है और बिहार के समृद्ध साहित्य में एक और अध्याय जुड़ गया है। डॉ0 आरती ने अपने वक्तव्य में बताया कि इसमें हिंदी उर्दू दोनों में लिखने वाली महिलाओं को शामिल किया गया है। साथ ही नई उभरती प्रतिभाओं की ग़ज़लों को भी शामिल किया गया है। यह पुस्तक पद्मश्री डॉ0 शांति जैन जी को समर्पित है। अब बिहार की महिला ग़ज़लकार भी ग़ज़ल के बदलते स्वरूप के साथ हर पहलू पर अपनी बात रख रही हैं। अपने अंतर्मन की व्यथा, अपनी अस्मिता और स्त्री जाति के संघर्ष और निज अनुभवों के साथ- साथ जीवन की विसंगतियों, विरोध , अत्याचार, शोषण, असमानता , सियासी दांव -पेंच और मानवता पर मंडरा रहे ख़तरों पर अपनी धारदार क़लम चलाई है। इस अवसर पर सिधेश्वर प्रसाद, आराधना प्रसाद, डॉ0 भावना, प्रेम किरण, रमेश कंवल, सफ़दर इमाम क़ादरी , कमलनयन श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।