विजय शंकर
पटना । बिहार में कल से शुरू हुई जूनियर डॉक्टर की हड़ताल आज दुसरे दिन भी जारी रहीं । 12 घंटे बाद भी जूनियर डॉक्टरों और सरकार के बीच कोई वार्ता को लेकर पहल नहीं हुई है जिससे गुरुवार को दूसरे दिन भी हड़ताल जारी रही । रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी जूनियर डॉक्टर की हड़ताल को समर्थन दे दिया है और उनकी मांगों को जायज बताया है । हड़ताल के कारण मरीजों का हाल बेहाल है और वे राम भरोसे हो गए हैं । अब बने हालात के कारण जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल फिलहाल खत्म होती नहीं दिख रही है ।
उल्लेखनीय है कि अपना मानदेय बढाने कि मांग को लेकर बुधवार को एक साथ राज्य के सभी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे । जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बाद सरकार की तरफ से अब तक वार्ता के लिए कोई संपर्क नहीं साधा गया है । इसका बुरा असर राज्य की चिकित्सा व्यवस्था पर पड़ रहा है । जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से बिहार के सभी 9 मेडिकल कॉलेज प्रभावित हैं, जहां ओपीडी और इमरजेंसी सेवा पर इसका प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है ।
जूनियर डॉक्टरों ने स्टाइपेंड में बढ़ोतरी को लेकर बेमियादी हड़ताल की घोषणा की है । बिहार में अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था मूल रूप से जूनियर डॉक्टरों पर ही आश्रित होती है । ऐसे में मरीजों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं और फिर बढ़ने की आशंका है क्योंकि सीनियर्स भी उनकी हड़ताल को समर्थन दे रहे हैं । ऐसे में सरकारी डाक्टर्स जिनकी संख्या काफी कम है , चिकित्सा सेवा ठीक से बहाल नहीं रख सकते । जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से ओपीडी और इमरजेंसी सेवा ठप हो गई है । डॉक्टर सिर्फ कोविड ड्यूटी ही दे रहे हैं । जेडीए की मानें तो 2017 में ही राज्य सरकार ने हड़ताल के बाद भरोसा दिया था कि हर 3 साल पर स्टाइपेंड की राशि मे बढ़ोतरी की जाएगी, लेकिन 2020 खत्म होने को है और अब तक स्टाइपेंड की राशि नहीं बढ़ाई गई जिसके बाद सभी हड़ताल पर जाने को विवश हो गए हैं ।
हड़ताल की जानकारी डॉक्टरों ने अस्पताल के प्राचार्य के साथ स्वास्थ्य विभाग को भी पत्र लिखकर दे दी है । हड़ताल की वजह से मरीजों को काफी मुश्किलें का सामना करना पड़ रहा है । सरकारी अस्पतालों के ओपीडी में सीनियर डॉक्टर तो ड्यूटी पर तैनात हैं, लेकिन मरीजों की तुलना में डॉक्टर कम पड़ रहे हैं. इससे मरीज काफी परेशान हैं ।