सुभाष निगम
नई दिल्ली । कृषि कानूनों के खिलाफ एक महीने से ज्यादा से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच आठवें दौर की बातचीत भी सोमवार को बेनतीजा ख़त्म हुई । सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जा सकता है और बिन्दुवार बात कर लें कि कहा परेशानी है । लेकिन किसान कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर अडिग रहे और कृषि कानूनों में बिन्दुवार बात करने से भी किसानों ने इनकार कर दिया । किसानों ने आज एमएसपी पर कोई बात नहीं की और कहा कि पहले तीनों कानून वापस हो । अगली वार्ता 8 जनवरी को होगी जिसमें सिर्फ आशाएं हैं मगर कोई झुकाने को तैयार फ़िलहाल नहीं दिख रहा ।

दोनों पक्षों के बीच करीब एक घंटे की बातचीत के बाद भोजन किया। सरकार इन कानूनों को निरस्त नहीं करने के रुख पर कायम है और समझा जाता है कि उसने इस विषय को विचार के लिए समिति को सौंपने का सुझाव दिया है। दोनों पक्षों के बीच एक घंटे की बातचीत में अनाज की खरीद से जुड़ी न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली को कानून मान्यता देने के किसानों की महत्वपूर्ण मांग पर चर्चा नहीं हुई है। किसान संगठन के प्रतिनिधि अपने लिए खुद भोजन लेकर आए थे जो लंगर के रूप में था। हालांकि, 30 दिसंबर की तरह आज केंद्रीय नेता लंगर के भोजन में शामिल नहीं हुए और भोजनावकाश के दौरान अलग से चर्चा करते रहे ।

कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं : राकेश टिकैत

बैठक खत्म होने के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों ने सरकार का दिया संशोधन फाड़ दिया । क्योंकि बातचीत में किसी भी मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी है । टिकैत कहा कि किसानों के साथ सरकार की वार्ता अच्छे माहौल में हुई है मगर सरकार के साथ कोई हल नहीं निकल पाया । हम लोगों की ओर से सरकार से यही कहा गया कि कानून वापसी पर बातचीत की जाए तभी कोई बात होगी । हालाँकि सरकार चाहती थी कि एमएचपी पर बातचीत हो मगर सभी किसान संघ ने एमएसपी पर बात करने से साफ तौर पर इंकार कर दिया और कहा कि पहले तीनों कानूनों पर ही बातचीत हो , उसकी वापसी हो, उसके बाद एमएसपी पर बातचीत की जाएगी । टिकैत ने यह भी कहा कि सरकार किसानों से कृषि कानूनों पर बिंदुओं के आधार पर बातचीत करना चाहती थी मगर हम लोगों ने बिंदुओं के आधार पर बातचीत करने से साफ तौर पर इंकार कर दिया और सीधे किसानों के नए बिल की वापसी पर अड़े रहे, इसी कारण कोई बात नहीं बन सकी । किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं। कोई तनातनी नहीं है। हमने साफ कर दिया है कानून वापसी के बिना कुछ भी मंजूर नहीं है। 8 जनवरी को फिर से बात होगी।
बातचीत के बाद किसान नेता ने दावा किया कि सरकार काफी दबाव में है। ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि सरकार दबाव में है। हम सभी की कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग है। हम किसी अन्य विषय पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं। जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते, तब तक आंदोलन वापस नहीं होगा ।

देशभर के किसानों के हित में जो तय होगा, उसी के आधार पर किसानों के साथ निर्णय किया जाएगा : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

 

सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश ने किसान संगठनों के 41 नेताओं के संग बातचीत की। बातचीत के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तीनों कानूनों पर चर्चा की गई, उसी पर बात चलती रही । एमएसपी पर भी थोड़ी बातचीत हुई मगर कोई निर्णय पर नहीं पहुंच सके । सरकार और किसानों ने मिलकर तय किया कि 8 तारीख को फिर से बैठक होगी जिसमें चर्चा को आगे बढ़ाया जाएगा । बातचीत का माहौल बहुत अच्छा था, लेकिन कानून वापसी पर किसानों के अड़े रहने के कारण बात नहीं बन पाई । अगली बैठक में सार्थक चर्चा संभव है और हो सकता है सरकार समाधान तक पहुंच पाए ।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के प्रति सम्मान रखती है, संवेदना है और सरकार इस मामले को हल करना चाहती है मगर किसान संगठन तीनों बिलों की वापसी पर अड़े हैं । उन्होंने कहा कि किसानों का भी भरोसा सरकार पर है और किसान भी चाहते हैं कि समाधान हो । किसानों के साथ अगले दौर की बातचीत 8 जनवरी के होगी जिसमें संभावना है कि किसानों से सार्थक बात होगी ।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देशभर के किसानों के प्रति प्रतिबद्ध है, ना कि सिर्फ हरियाणा और पंजाब के किसानों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता है । मूलत: दो विषय ही किसानों के साथ बचे हैं, एक कानूनों की वापसी और दूसरा एमएसपी । आगे भी चर्चा अच्छे माहौल में होगी और निदान निकलने की संभावना है । सरकार ने जो कानून बनाया है वह किसानों के समग्र विकास के हित को देखते हुए बनाया है । पूरे देश के किसानों के प्रति सरकार संवेदनशील है । उन्होंने कहा कि वार्ता में सरकार की ओर से कहा गया कि किसान उस मुद्दे को सामने लाए, जिस पर किसानों को परेशानी है या नए कानून से किसानों को परेशानी हो सकती है मगर किसानों ने उन मुद्दों का कोई खुलासा नहीं किया है जिससे अभी तक कोई बात नहीं बन सकी है । देशभर के किसानों का जो मुद्दा तय होगा उसी के आधार पर किसानों के साथ निर्णय किया जाएगा ।

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