राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पसमांदा मुस्लिम समाज के लोगों को जोड़ने का प्लान तैयार किया
पिछड़े मुसलमानों से बातचीत का दौर शुरू, एक बड़े तबके में सत्तारूढ़ दल के लिए झुकाव भी देखा जा रहा है
विश्वपति
पटना। भारतीय जनता पार्टी अब धीरे-धीरे देश में एक सर्वमान्य पार्टी बनने की तैयारी कर रही है। इसी दिशा में उसके प्रयास भी चल रहे हैं । पार्टी और संघ ने हाल के महीनों में देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग के मुसलमानों से तालमेल बनाने और संवाद स्थापित करने का भी प्रयास शुरू कर दिया है। इसी के क्रम में उन्होंने मुसलमान समाज के पिछड़े तबके पसमांदा महाज से बातचीत का रास्ता खोल लिया है। अब निरंतर संवाद भी हो रहे हैं । माना जा रहा है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ही यह सारी कवायद हो रही है। लेकिन इसके कुछ सार्थक परिणाम दिखाई देने लगे हैं। बताया जाता है कि मुसलमानों के पिछड़े तबके में सेंधमारी की कार्य योजना तैयार है।
पटना। भारतीय जनता पार्टी अब धीरे-धीरे देश में एक सर्वमान्य पार्टी बनने की तैयारी कर रही है। इसी दिशा में उसके प्रयास भी चल रहे हैं । पार्टी और संघ ने हाल के महीनों में देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग के मुसलमानों से तालमेल बनाने और संवाद स्थापित करने का भी प्रयास शुरू कर दिया है। इसी के क्रम में उन्होंने मुसलमान समाज के पिछड़े तबके पसमांदा महाज से बातचीत का रास्ता खोल लिया है। अब निरंतर संवाद भी हो रहे हैं । माना जा रहा है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ही यह सारी कवायद हो रही है। लेकिन इसके कुछ सार्थक परिणाम दिखाई देने लगे हैं। बताया जाता है कि मुसलमानों के पिछड़े तबके में सेंधमारी की कार्य योजना तैयार है।
पिछले दिनों संविधान दिवस के मौके पर संघ के निर्देश पर विधान पार्षद संजय पासवान ने पसमांदा समाज के साथ संवाद करने एक सेमिनार आयोजित किया। इसमें भाजपा नेता राम माधव भी मौजूद थे। इसमें पसमांदा नेताओं ने भी अपनी समस्याओं को रखा और उसे दूर करने को सार्थक हस्तक्षेप की मांग भी की। राम माधव ने भी उनसे पूरी सहानुभूति जताई, सहयोग का वायदा किया एवं सार्थक विमर्श का भरोसा दिलाया। संगोष्ठी में पुनः मुसलमानों की दो धारा स्पष्ट रूप से सामने आई और यह धारा पिछड़े वर्ग के मुसलमानों की सोच के रूप में सामने आई । कुछ पसमांदा नेताओं ने बताया कि उनके एक शिष्टमंडल केंद्र सरकार से बातचीत करने की कोशिश की थी। उस शिष्टमंडल से मुख्तार अब्बास नकवी से बातचीत करने को कहा गया। इन नेताओं ने कहा कि नकवी इंपोर्टेड (बाहर से आये हुए) हैं, जबकि हम कन्वर्टेड (धर्मांतरित) हैं। वे हमारा प्रतिनिधि कैसे कर सकते हैं। इसलिए भाजपा ने पसमांदा मुसलमानों को साधने का अभियान नये सिरे से शुरू किया है।
बिहार में पसमांदा राजनीति की शुरुआत पत्रकार अली अनवर अंसारी ने थी, जो दो बार राज्य सभा के सांसद भी रहे। अली अनवर की पीठ पर तब नीतीश कुमार का हाथ था। उन्होंने ही अनवर को राज्यसभा में भेजा था। भाजपा अब इसी धारा को लेकर मुसलमानों में आधार बढ़ाने की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ माह पहले आंध्रप्रदेश की एक सभा में पिछड़े मुसलमानों को भाजपा के साथ जोड़ने का आह्वान पार्टी नेताओं से किया था। इसके बाद भाजपा ने इस दिशा में पहल की। दरअसल, मुसलमान राजनीति के नाम ऊंची जातियों के मुसलमानों का ही दबदबा रहा है, जबकि मुसलमानें में इनकी आबादी 10 से 15 प्रतिशत है। आम जनता में अपना समर्थन निरंतर बढ़ाने के मद्देनजर भाजपा को अब लोकसभा जीत की भी चिंता सताने लगी है। इस कारण हिंदुओं की तरह बड़ी आबादी वाले पिछड़े मुसलमानों को जोड़ने का अभियान भाजपा ने शुरू किया है। भरोसे की कड़ी आगे कितनी मजबूत बन पाती है, यह समय ही बतायेगा। लेकिन उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश के साथ-साथ अब बिहार में भी पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने तथा उनसे संवाद स्थापित करने का सिलसिला जरूर तेज कर दिया गया है।