Vijay shankar
पटना । केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के सीएम नीतीश कुमार पर हमले का जदयू के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन ने कड़ा प्रतिकार किया है। उन्होंने कहा कि नीतीश जी ने दलहित से उपर उठकर अटल जी की तारीफ की। नीतीश जी हमेशा बड़े हृदय का परिचय देते हैं। उसमें विपक्ष की भावना आड़े नहीं आती। परंतु बिहार की भाजपा, जो नीतीश जी के ही बलबूते बिहार में खड़ी हुई, सत्ता की भागीदार बनी, उसने विपक्ष में होते हुए कभी बड़ा दिल का परिचय नहीं दिया। यही भाजपा का चरित्र है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के नेताओं की अपनी जमीन खिसक चुकी है। इसलिए हताशा में वे प्रलाप कर रहे हैं। नित्यानंद राय की बौखलाहट ये है कि जिस समाज से वे आते हैं, उस समाज के लोग भी उनके साथ नहीं हैं। उनके समाज ने तेजस्वी यादव को अपना नेता मान लिया है और इसी तिलमिलाहट में नित्यानंद राय अंट-शंट बोल रहे हैं। नित्यानंद राय 2024 में जदयू के सूपड़ा साफ होने की बात कर हैं। जबकि हमें भी बेसब्री से 2024 का इंतजार है क्योंकि लोकसभा चुनाव में बिहार के साथ केंद्र की सत्ता भी भाजपा मुक्त हो जाएगी।
प्रो. नंदन ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार को किसी के प्रमाण की जरुरत नहीं है। कोई भी राज्य में घूम ले, नीतीश सरकार के विकास कार्यों का अंदाजा लग जाएगा। हर क्षेत्र में विकास और समाज के हर तबके के विकास नीतीश सरकार में हुआ है। नीतीश कुमार जी के सीएम बनने से पहले बिहार के गांवों में जो गरीबी का स्तर 42.1 फीसदी के स्तर पर था, वह वर्ष 2021-22 में घटकर 34.1 फीसदी पर पहुंच गया। शहरी गरीबी 34.9 फीसदी थी। इसे वर्ष 2021-22 तक 31.2 फीसदी के स्तर पर लाने में सफलता मिली है।
उन्होंने कहा कि पहले बिहार में 50,294 स्कूल थे और उसमें पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या थी 67,819। आज प्रदेश में 75,295 स्कूल हैं। आजादी के बाद 57 साल में जितने स्कूल प्रदेश में बनवाए गए, उसका आधा तो नीतीश कुमार जी ने पिछले 16 सालों में बनवा दिया है। शिक्षकों की बात करें तो आज प्रदेश के स्कूलों में 4.7 लाख शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं। 16 साल में शिक्षकों की संख्या में 7 गुना वृद्धि हुई है। सभी पंचायतों में 9वीं तक की पढ़ाई शुरू हो गई है। प्लस टू स्कूल खुल गए हैं।
प्रो. नंदन ने कहा कि पहले प्रदेश में बिजली की कुल खपत 700 मेगावाट थी। प्रदेश में बिजली की मांग करीब 6 हजार मेगावाट पहुंच गई है। नीतीश जी ने 15 अगस्त 2012 को गांधी मैदान से ऐलान किया था कि बिजली की स्थिति नहीं सुधरी तो वोट नहीं मांगेंगे। 31 दिसंबर 2018 तक लक्ष्य रखा गया कि हर घर बिजली पहुंचा देंगे। समय से दो महीने पहले ही यह काम पूरा हो गया। आज बिहार के शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 22 घंटे से ज्यादा बिजली दी जा रही है। वर्ष 2023-24 तक बिहार में बिजली की कुल उपलब्ध क्षमता 13029 मेगावाट होने की उम्मीद है। इसमें से 9031 मेगावाट पारंपरिक बिजली होगी, जबकि बची हुई 3998 मेगावाट अपारंपरिक बिजली होगी।
वहीं सड़कों के जाल पर प्रो. नंदन ने कहा कि 250 लोगों की आबादी वाले टोलों में भी पक्की सड़कें सीएम नीतीश कुमार के विजन के कारण ही संभव हुआ। नीतीश कुमार ने वर्ष 2005 से लेकर अब तक राज्य में 6 हजार से अधिक पुलों का निर्माण कराया गया है। इसमें से 21 मेगा पुल हैं। प्रदेश में बनाए गए 1171 पुल 60 मीटर लंबे हैं। 5018 पुल 60 मीटर से कम लंबाई के हैं। मुख्यमंत्री सेतु निर्माण योजना के तहत प्रदेश में 5143 पुल-पुलियों का निर्माण कराया गया है। वहीं पहले प्रदेश में कुल मेडिकल कॉलेजों की संख्या 8 थी। यानी आजादी के बाद 58 वर्षों में महज 8 मेडिकल कॉलेज। पिछले 16 सालों में प्रदेश में 10 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। वर्ष 2025 तक प्रदेश में कुल मेडिकल कॉलेजों की संख्या 21 हो जाएगी।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के सीएम नीतीश कुमार पर हमले का जदयू के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन ने कड़ा प्रतिकार किया है। उन्होंने कहा कि नीतीश जी ने दलहित से उपर उठकर अटल जी की तारीफ की। नीतीश जी हमेशा बड़े हृदय का परिचय देते हैं। उसमें विपक्ष की भावना आड़े नहीं आती। परंतु बिहार की भाजपा, जो नीतीश जी के ही बलबूते बिहार में खड़ी हुई, सत्ता की भागीदार बनी, उसने विपक्ष में होते हुए कभी बड़ा दिल का परिचय नहीं दिया। यही भाजपा का चरित्र है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के नेताओं की अपनी जमीन खिसक चुकी है। इसलिए हताशा में वे प्रलाप कर रहे हैं। नित्यानंद राय की बौखलाहट ये है कि जिस समाज से वे आते हैं, उस समाज के लोग भी उनके साथ नहीं हैं। उनके समाज ने तेजस्वी यादव को अपना नेता मान लिया है और इसी तिलमिलाहट में नित्यानंद राय अंट-शंट बोल रहे हैं। नित्यानंद राय 2024 में जदयू के सूपड़ा साफ होने की बात कर हैं। जबकि हमें भी बेसब्री से 2024 का इंतजार है क्योंकि लोकसभा चुनाव में बिहार के साथ केंद्र की सत्ता भी भाजपा मुक्त हो जाएगी।
प्रो. नंदन ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार को किसी के प्रमाण की जरुरत नहीं है। कोई भी राज्य में घूम ले, नीतीश सरकार के विकास कार्यों का अंदाजा लग जाएगा। हर क्षेत्र में विकास और समाज के हर तबके के विकास नीतीश सरकार में हुआ है। नीतीश कुमार जी के सीएम बनने से पहले बिहार के गांवों में जो गरीबी का स्तर 42.1 फीसदी के स्तर पर था, वह वर्ष 2021-22 में घटकर 34.1 फीसदी पर पहुंच गया। शहरी गरीबी 34.9 फीसदी थी। इसे वर्ष 2021-22 तक 31.2 फीसदी के स्तर पर लाने में सफलता मिली है।
उन्होंने कहा कि पहले बिहार में 50,294 स्कूल थे और उसमें पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या थी 67,819। आज प्रदेश में 75,295 स्कूल हैं। आजादी के बाद 57 साल में जितने स्कूल प्रदेश में बनवाए गए, उसका आधा तो नीतीश कुमार जी ने पिछले 16 सालों में बनवा दिया है। शिक्षकों की बात करें तो आज प्रदेश के स्कूलों में 4.7 लाख शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं। 16 साल में शिक्षकों की संख्या में 7 गुना वृद्धि हुई है। सभी पंचायतों में 9वीं तक की पढ़ाई शुरू हो गई है। प्लस टू स्कूल खुल गए हैं।
प्रो. नंदन ने कहा कि पहले प्रदेश में बिजली की कुल खपत 700 मेगावाट थी। प्रदेश में बिजली की मांग करीब 6 हजार मेगावाट पहुंच गई है। नीतीश जी ने 15 अगस्त 2012 को गांधी मैदान से ऐलान किया था कि बिजली की स्थिति नहीं सुधरी तो वोट नहीं मांगेंगे। 31 दिसंबर 2018 तक लक्ष्य रखा गया कि हर घर बिजली पहुंचा देंगे। समय से दो महीने पहले ही यह काम पूरा हो गया। आज बिहार के शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 22 घंटे से ज्यादा बिजली दी जा रही है। वर्ष 2023-24 तक बिहार में बिजली की कुल उपलब्ध क्षमता 13029 मेगावाट होने की उम्मीद है। इसमें से 9031 मेगावाट पारंपरिक बिजली होगी, जबकि बची हुई 3998 मेगावाट अपारंपरिक बिजली होगी।
वहीं सड़कों के जाल पर प्रो. नंदन ने कहा कि 250 लोगों की आबादी वाले टोलों में भी पक्की सड़कें सीएम नीतीश कुमार के विजन के कारण ही संभव हुआ। नीतीश कुमार ने वर्ष 2005 से लेकर अब तक राज्य में 6 हजार से अधिक पुलों का निर्माण कराया गया है। इसमें से 21 मेगा पुल हैं। प्रदेश में बनाए गए 1171 पुल 60 मीटर लंबे हैं। 5018 पुल 60 मीटर से कम लंबाई के हैं। मुख्यमंत्री सेतु निर्माण योजना के तहत प्रदेश में 5143 पुल-पुलियों का निर्माण कराया गया है। वहीं पहले प्रदेश में कुल मेडिकल कॉलेजों की संख्या 8 थी। यानी आजादी के बाद 58 वर्षों में महज 8 मेडिकल कॉलेज। पिछले 16 सालों में प्रदेश में 10 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। वर्ष 2025 तक प्रदेश में कुल मेडिकल कॉलेजों की संख्या 21 हो जाएगी।
डॉ. नंदन ने कहा कि बिहार में नीतीश जी की प्रस्तावित यात्रा से भाजपा घबराई हुई है। क्योंकि नीतीश कुमार ही ऐसे नेता हैं जो सीएम रहते हुए आम राजनेता की तरह जनता से संवाद करते रहे हैं। भाजपा को डर है कि 2020 के चुनाव में जिस भाजपा ने नीतीश कुमार के साथ धोखा किया, उसकी भितरघात की छवि इस यात्रा के माध्यम से उजागर हो जाएगी। भाजपा जानती है कि अतिपिछड़ा, महादलित और अल्पसंख्यक सहित सभी वर्गों के वोटरों के मन में भाजपा का जातिवादी चेहरा उजागर हो चुका है। वैसे भाजपा अपने एलायंस पार्टी के साथ ईमानदार नहीं रहती है। महाराष्ट्र इसका बड़ा उदाहरण है। जहां तक भाजपा कोटे के मंत्रियों के कार्यप्रणाली की बात है, तो बिहार की जनता यह जान गई है कि भाजपा कोटे के सभी मंत्री आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए थे। अच्छा हुआ कि समय के पहले इनका इलाज हो गया।