भाजपा के कई नेता मानते हैं कि दल नहीं दलदल है भाजपा
विजय शंकर
पटना। भाजपा को निशाने पर लेते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि विपक्षी दलों के गठबंधन से भाजपा का मनोबल इतना गिर चुका है कि इन्होने लोकसभा चुनाव से पहले ही हार मान ली है। इनकी नवनियुक्त टीम में अधिकांश चेहरे ऐसे हैं, जिन्होंने आज तक कभी चुनाव लड़ा तक नहीं है। इन्हें सिर्फ इसलिए चुना गया है कि लोस चुनावों में शिकस्त का ठीकरा इनके माथे पर फोड़ा जा सके। इस टीम से पिछले चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कई लोग भी इसी वजह से गायब हो गये हैं, जिससे वह आलाकमान के सामने अपनी छवि को ठीक रख सकें।
भाजपा के आत्मविश्वास गिरने के अन्य कारण गिनाते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में भाजपा दल नहीं बल्कि दलदल है। पूरी पार्टी अनेक गुटों में विभाजित है। इनके संगठन के भीतर हर बड़े नेता ने अपना एक अलग संगठन बनाया हुआ है, जो पूरी पार्टी पर हावी होने के प्रयास करते रहते हैं। टीम गठन में भी इनके बड़े नेता अपनी परिक्रमा करने वालों को अधिक से अधिक संख्या में सेट करने की जुगाड़ में लगे रहते हैं। दूसरी तरफ कर्मठ कार्यकर्ता ठगे खड़े रह जाते हैं। हर बार उन्हें मायूसी हाथ लगती है। इसीलिए उनमें एक अलग आक्रोश पनप रहा है। आने वाले समय में आक्रोश की यह चिंगारी निश्चित ही ज्वाला बन कर भाजपा को लील जाने वाली है।
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि पार्टी भले ही इन नेताओं के आंतरिक मतभेदों को छिपाने में पसीना बहा रही है, लेकिन जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जाएंगे इनका मनभेद बढ़ता जाएगा। इसके लक्षण अभी से ही दिखायी देने शुरू हो गये हैं। आने वाले समय में यदि इनका संगठन कई टुकड़ों में टूट जाए तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
भाजपा के विकास की राजनीति करने के दावे को फर्जी बताते हुए उन्होंने भाजपा के लिए विकास केवल एक झुनझुना है जिससे वह अपने समर्थकों का मनोरंजन करते रहते हैं। देश को ही देख लें तो पिछले 9 सालों के इनके राज में इनका विकास कुछ ख़ास पूंजीपतियों के दरवाजे से आगे नहीं बढ़ पाया है। आज जनता मंहगाई से त्रस्त है, रोजगारों के लिए युवा बेचौन है, किसानों की आय दुगनी का इनका वादा फेल हो गया, उज्ज्वला योजना की लाभार्थी महिलाओं ने गैस सिलिंडर लेना छोड़ दिया है, इसी तरह रोजमर्रा के जरूरत के सामानों की कीमत दुगनी से भी अधिक हो चुकी है। लेकिन भाजपा को इसकी चिंता तक नहीं है। आगामी चुनाव में भाजपा की हार का यह भी एक प्रमुख कारण बनने वाला है।