हिन्डन महोत्सव के उपलक्ष्य में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन
– सम्मेलन में लेखक सत्येंद्र सिंह की पुस्तक ‘भारत में स्वच्छता एवं पर्यावरण के मायने’ का हुआ विमोचन

गाजियाबाद ब्यूरो
गाजियाबाद । तीन दिवसीय हिन्डन महोत्सव के पहले दिन दूसरे चरण में शुक्रवार की शाम ‘विराट कवि सम्मेलन’ में कवियों-शायराओं ने शानदार रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया । कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण विख्यात गीतकार संतोष आनंद रहे । उन्होंने गले में परेशानी होने के बावजूद अपने चिर परिचित अंदाज में कई हिट गीत सुनाकर श्रोताओं को झूमने व अपने साथ गुनगुनाने को मजबूर कर दिया । इससे पूर्व उत्थान समिति के अध्यक्ष व लेखक सत्येंद्र सिंह की पुस्तक ‘भारत में स्वच्छता एवं पर्यावरण के मायने’ का विमोचन भी किया गया।
कवि सम्मेलन की शुरुआत शायरा मुमताज नसीम ने सरस्वती वंदना से की । इसके बाद कवियत्री डॉ अल्पना सुहासिनी ने प्यार में रंग में डूबी ग़ज़ल की शक़्ल में अपने ज़ज़्बात यूं बयां किये-
“जब भी होता है, जहां होता है, इश्क़ इबादात का बयां होता है,
इश्क़ में शर्त से नहीं होती है, इश्क़ शर्तों पर कहां होता है।”
वरिष्ठ पत्रकार व शायर रवि कौशिक ने आपने शेरों पर जमकर दाद मिली । उनका यह शेर बहुत पसंद किया गया-
“आपके साथ जी गुजारी है, उतनी ही ज़िंदगी हमारी है,
उनकी आंखों पर शेर लिखकर, हमने उनकी नज़र उतारी है।”
शायरा मुमताज़ नसीम ने अपने के दिल व मुहब्बत अंदाज़ को पेश करते हुए खूब तालियां बंटोरी। उन्होंने अपनी ग़ज़ल पढ़ी-
“जिंदगी भर रुलाया मुझे आपने, और आंखों में पानी नहीं चाहिए,
ग़ैर के मेहरबानी गंवारा मुझे, आपकी मेहरबानी नहीं चाहिए।’
मशहूर गीतकार डॉ कुंवर बैचैन के अपने गीतों से खूब समां बांधा। उन्होंने अपना ये गीत सुनाया –
” सांचे में हमने और के ढलने नहीं दिया,
दिल मोम का था, फिर भी पिघलने नहीं दिया,
चेहरे को आज तक भी तेरा इंतजार है,
हमने गुलाल और को मलने नहीं दिया।
शायर बिजेन्द्र सिंह ‘परवाज़’ ने अपने शेरों से अलग ही तरह की मस्ती का अहसास कराया। उनका यह शेर खूब पसंद आया-
इसमें तेरा दोष नहीं, जो मुड़कर तू देखी थी,
जिसको मैंने प्यार किया था, बिल्कुल तेरे जैसी थी।”
हास्य व्यंग्य के कवि डॉ प्रवीण शुक्ल ने अपनी कविता की लच्छेदार शैली से खूब हंसाया। उन्होंने कहा-
“समय था वो भी जब सब ओर अच्छे लोग रहते थे,
जलन, नफरत, घुटन से दूर सच्चे लोग रहते थे।”
सुविख्यात गीतकार संतोष आनंद ने अपने गीतों से महफ़िल को लूट लिया। उनके है गीत के मुखड़े पर श्रोता मस्ती व आनंद से झूमने-नाचने लगे।संतोष दा ने जीवन के लिये कई उपयोगी सीख भरी बातें बताने के साथ ही जीवन के हर पल को विपरीत परिस्थितियों में भी मुस्कराहट के साथ जीने का संदेश दिया।
संतोष आनंद ने अपने कई गीत सुनाये। उन्होंने अपने उदगारों को व्यक्त करते हुए अपने गीत में कहा कि-
“तुम्हीं से प्यार करता हूं, तुम्ही पर जान देने आया हूं,
आख़री वक़्त है, इम्तिहान देने आया हूं।”
इसके बाद उन्होंने सुनाया-
जो प्यार कर गये, वे लोग और थे,
दिल में उतर गये, वे लोग और थे।”
इसके साथ ही उन्होंने ‘एक प्यार का नग्मा है” गीत पर सब श्रोता गाने व झूमने लगे और उनके सम्मान में जोरदार लयबद्ध तालियां बजाकर उनके प्रति अपना सम्मान भाव प्रकट किया।
कवि सम्मेलन में राज्यमंत्री अतुल गर्ग, मेयर आशा शर्मा, एमएलसी दिनेश चंद होटल, आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा समाज सेविका बबिता सिंह सहित दर्जनों गणमान्य व्यक्तियों की कार्यक्रम के अंत तक गौरवमयी उपस्थिति रही। संचालन डॉ प्रवीण शुक्ल व डॉ अल्पना सुहासिनी ने संयुक्त रुप से किया।

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