बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में चुनावी समर के बीच सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मिलकर अजीबोगरीब मांग की है। सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से मुलाकात की और कहा कि दूसरे चरण में जिन क्षेत्रों में मतदान होने हैं वहां उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों के जवानों की तैनाती नहीं की जानी चाहिए। पार्टी ने आरोप लगाया है कि इन राज्यों के रहने वाले जवान भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान करने का दबाव आम लोगों पर बना रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि इसके पहले नंदीग्राम के एक जनसभा में संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने भी इसी तरह के आरोप लगाए थे और दावा किया था कि बिहार उत्तर प्रदेश से गुंडे लाए गए हैं जिन्हें पुलिस का वर्दी पहना कर घुमाया जा रहा है।

इसके अलावा पार्टी ने मुख्य चुनाव अधिकारी के पास जो चिट्ठी दी है उसमें यह भी मांग की है कि एक अप्रैल को पहले चरण के मतदान से पहले पूर्व मिदनापुर में रहने वाले बाहरी लोगों को हिरासत में लिया जाए। बाहरी लोगों से पार्टी का इरादा बिहार उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से आकर रह रहे लोगों की ओर है जिसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि ममता बनर्जी लगातार इस बात का दावा कर रही हैं कि पश्चिम बंगाल के चुनाव में बाहर से आने वाले लोग अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश

चुनावी क्षेत्रों में नहीं रह सकेंगे बाहरी लोग : चुनाव आयोग

सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के आरोपों का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने सोमवार शाम अजीबोगरीब फरमान जारी किया है। आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जिन क्षेत्रों में मतदान होने हैं वहां प्रचार खत्म होने के बाद कोई भी बाहरी शख्स नहीं रह सकेगा। आयोग ने अपनी निर्देशिका ने कहा है कि चुनावी क्षेत्रों में प्रचार प्रसार करने गए लोगों को मतदान से 24 घंटे पहले जब प्रचार थम जाएगा तो वापस लौट जाना होगा। वहां होटल, लॉज अथवा कम्युनिटी हॉल में नहीं रह सकेंगे। इसके अलावा पुलिस को भी बाहरी लोगों पर अलग से नजर रखने का आदेश दिया गया है जिसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जिन क्षेत्रों में मतदान होने हैं वहां करोड़ों की संख्या में लोग होंगे और अगर किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति को उन क्षेत्रों में कोई काम रहा अथवा किसी से मिलने जुलने आना हो तो वे लोग मुश्किल में फंस सकते हैं। इसलिए चुनाव आयोग के इस निर्देश को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बाहरी लोगों से कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा हो तो प्रशासन को और अधिक अलर्ट पर रहने को कहा जा सकता है लेकिन लोगों के ठहरने पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को ही सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें दावा किया है कि बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और अन्य भाजपा शासित राज्यों से आने वाले चुनाव में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें उन राज्यों के मंत्री, नेता और ऐसे सेंट्रल फोर्स के जवान भी हैं जो चुनावी ड्यूटी में लगे हुए हैं। इसे लेकर नंदीग्राम की एक जनसभा से सोमवार को ममता ने भी सवाल खड़ा करते हुए दावा किया कि पुलिस की वर्दी पहनकर बिहार-उत्तर प्रदेश के लोग इलाके के लोगों को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए डरा-धमका रहे हैं।

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