इंग्लैंड के आम्ब्रिया यूनिवर्सिटी के छात्रो ने आनंद मोहन की रिहाई को ले किया प्रदर्शन

देश और दुनिया भर के समर्थकों का सोशल मीडिया से सरकार पर भारी दबाव

डॉ. सुरेन्द्र सागर
आरा।बिहार पीपुल्स पार्टी के पूर्व संस्थापक अध्यक्ष और विगत 14 साल से अधिक समय से बिहार के सहरसा जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन की सजा की अवधि बीत जाने के बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उनकी रिहाई को लेकर अब तक की खामोशी के बाद समर्थको के बीच खलबली मच गई है।बिहार के हर जिले,हर शहर,हर गांव के बाद खेत और खलिहानों से आनंद मोहन समर्थको ने अपने नेता की ससम्मान रिहाई की मांग को लेकर कोरोना काल मे आंदोलन तेज कर दिया है।आंदोलन सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मो पर धूम मचा रहा है।आनंद मोहन की रिहाई में तीन तीन पीढ़ियों के लोग लगे हुए हैं।1990 के दशक में सामाजिक राजनैतिक क्षेत्रो में सक्रिय लोगो के अलावे उनकी बाद की युवा पीढ़ी ने आनंद मोहन की रिहाई की लड़ाई तेज कर दी है और अब इस युवा पीढ़ी के नन्हे नन्हे बच्चे बच्चियों ने भी हाथों में रिलीज आनंद मोहन और जस्टिश फॉर आनंद मोहन की लिखी तख्तियों को हाथों में लेकर उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर इस मुहिम को तेज करने में जुटे हुए हैं।
देश की राजनीति में शायद यह पहला मौका है जब किसी राजनेता की जेल से रिहाई के लिए एक साथ तीन तीन पीढियां आंदोलन चला रही है।
पूर्व सांसद आनंद मोहन की जेल से रिहाई के किये बिहार के अलावे राजस्थान, दिल्ली, उड़ीसा, पंजाब, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड,छत्तीसगढ़, हरियाणा,पश्चिम बंगाल,केरला,कर्नाटका, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर सहित देश के विभिन्न राज्यो से उनके समर्थक सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।
ट्विटर पर उनकी रिहाई की गूंज उठी तो नम्बर वन पर उनकी रिहाई की मांग ट्रेंड करता रहा।

बिहार के बच्चों ने स्लेट पर लिख रिलीज आनंद मोहन की सोशल मीडिया पर शेयर की तस्वीर

कोरोना काल मे पूर्व सांसद आनन्द मोहन की रिहाई के लिए उपवास का आंदोलन चला तो देश विदेश तक समर्थको ने उपवास रख कर तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर किया और रिलीज आनन्द मोहन और जस्टिश फॉर आनंद मोहन की तख्तियों से सोशल मीडिया पर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया।
बिहार पीपुल्स पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष आनंद मोहन की रिहाई की मांग अब बिहार के गांव और खेत खलिहानों से निकलकर न सिर्फ कश्मीर से कन्याकुमारी तक पहुंच गई है बल्कि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और लंदन में रहने वाले उनके संमर्थको ने उनकी रिहाई के लिए प्रदर्शन भी किया है।
पूर्व सांसद आनंद मोहन की ससम्मान बिहार के जेल से रिहाई की मांग को लेकर इंग्लैंड के नार्थ अम्ब्रिया यूनिवर्सिटी,न्यू कासल के पोलिटिकल साइंस विभाग के छात्र छात्राओं ने बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन कर आनंद मोहन को रिहा करने की बिहार सरकार से मांग उठाई है।
अमेरिका में रह रहे अप्रवासी भारतीय और भोजपुर के बखोरापुर निवासी प्रो.हरिशंकर सिंह के नेतृत्व में अमेरिका के अप्रवासी भारतीयों ने पूर्व सांसद आनंद मोहन की ससम्मान रिहाई की मांग की है।अमेरिका में भी उनके संमर्थको ने सरकार से उनके नेता को रिहा करने की मांग की है।
बिहार और देश की राजनीति में शायद ही कोई नेता हो जो 14 सालों से जेल में बंद हो और उनके समर्थक बिहार की राजधानी से लेकर देश की राजधानी तक आंदोलन करते थके नही हो। आनंद मोहन की लोकप्रियता का आलम यह है कि 14 सालों से जेल में बंद हैं बावजूद उसके संमर्थको का आंदोलन बढ़ता रहा है।1990 के दशक में सामाजिक और राजनैतिक गतिविधियों में सक्रिय उनके संमर्थको की दो दो पीढियां उनसे आमने सामने रूबरू भी नही है किंतु आनंद मोहन के प्रति प्रेम ने उन्हें आंदोलन का हिस्सा बना दिया है।बच्चे अपने बाबा और दादा के साथ और नौजवान अपने मां और पिता के साथ हाथों में रिलीज आनंद मोहन और जस्टिश फॉर आनंद मोहन की लिखी तख्तियों की तस्वीरें फेसबुक,ट्विटर,इंस्ट्राग्राम,टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर कर आनन्द मोहन की रिहाई का मुहिम चला रहे हैं और नीतीश कुमार को यह याद दिला रहे हैं कि आपने अपने पुराने साथी को जेल से निकालने का भरी सभा मे आश्वासन दिया था उसे अब पूरा करें।
बता दें कि आनन्द मोहन की 14 सालों की सजा पूरी होने के एक सप्ताह बीत चुके हैं और ऐसे में अब समर्थक किसी भी कीमत पर आनंद मोहन की रिहाई चाहते हैं।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अब आगे आना ही होगा और अपने पुराने साथी को जेल से रिहा करने का वादा भी पूरा करना होगा अन्यथा बिहार के इस आंदोलन की गूंज दिल्ली की सत्ता को झकझोर सकती है।

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