पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता एवं लोहानीपुर श्री चित्रगुप्त पूजा समिति के पूर्व अध्यक्ष अनूप कुमार सिन्हा का आज निधन हो गया । कायस्थ समाज के उत्थान के साथ सामाजिक कार्यो में भी इनकी रूचि रहती थी ।
इनके निधन का समाचार सुनकर राजीव रंजन सिंहा प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय कायस्थ महासभा बिहार प्रदेश ने संवेदना जताई है और कहा है कि मैं दुखी हूं । अनूप जी लगभग 35 साल से हमारे घनिष्ठ मित्र रहे हैं उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है । ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति दे एवं परिवार को दुख सहने की शक्ति दें ।
इधर कायस्थ महासभा से वर्षों से जुड़े कमल नयन श्रीवास्तव ने भी इनके निधन पर शोक व्यक्त किया है और कहा है उनके निधन से samaj ने एक प्रतिभा शाली अधिवक्ता को खो दिया है । राजद सुप्रीमो lalu yadav के केस में लम्बे समय तक वे जूनियर अधिवक्ता के रूप में ख्याति पाई थी ।
निधन पर शोक जताने वालों में भाजपा समर्थक मंच के प्रदेश अध्यक्ष ashok कुमार , anil कुमार das व रीता सिन्हा आदि शामिल हैं ।
कमल नयन श्रीवास्तव ने शोभाकांत दास की मृत्यु पर भी शोक जताया है और कहा है कि मिथिला के कर्ण कायस्थ व्यापार नहीं कर सकते, सफल व्यापारी नहीं बन सकते, इस मिथक को तोड़ डाला। इतना ही नहीं, व्यापारियों का एक समूह बना दिया। गोयनका के साथ दोस्ती, जीवन के साथ और जीवन के बाद भी बनी रही। हिंदी और हिंदी भाषियों का प्रबल विरोध वाले जगह, तमिलनाडु के मद्रास (चेन्नई) में उत्तर भारतीय का आदरपूर्वक प्रतिनिधित्व किया। 1974 के छात्र आंदोलन में जिन नेताओं को अपने घर में छिपाकर मीसा और डीआईआर के तहत गिरफ्तारी से बचाया, इसकी चर्चा तक कभी नहीं किया। बिहार भवन, अनाथालय, उच्च विद्यालय और अन्य संस्थाओं के माध्यम से समाज को सशक्त बनाया, कभी श्रेय नहीं लिया। जस की तस धर दीनी चदरिया को चरितार्थ करते हुए लाभ लोभ, जन्म मृत्यु, हर्ष विषाद आदि समीकरण से हमेशा दूर रहे। आज फिर याद आ रही है। लोक नायक जयप्रकाश की लिखी हुई अनेक चिट्ठियां उनके पास सुरक्षित रखी हुई थी। इसे वे अमूल्य धरोहर की तरह संजोए हुए थे। एक दिन जेपी से चर्चा किया और जेपी ने अनमने ढंग से कहा कि ऐसे पत्रों से इतिहास का स्वरूप बदल जा सकता है। शोभा बाबू ने सारी चिट्ठियां फाड़ कर गटर में गिरा दिया। अपनी पुरुष परीक्षा में विद्यापति ने जिन गुणों की चर्चा की थी, शोभा बाबू उनसे लबरेज थे। अंतिम प्रणाम हे महामानव।