कोलकाता में बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने का सीएम का वादा रहा अधूरा

बंगाल ब्यूरो

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला अंतर्गत रामपुरहाट ब्लाक के बहटुई गांव में गत 21 मार्च की रात घरों में आग लगाकर लोगों को जिंदा जलाए जाने की घटना में घायल हुई एक और महिला ने दम तोड़ दिया है। उसका नाम नजेमा बीवी है। जिला प्रशासन सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है। बताया गया है कि सोमवार दोपहर के समय उसने दम तोड़ा है। वारदात वाले दिन वह 65 फ़ीसदी जल गई थी जिसके बाद उसे रामपुरहाट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया था जहां उसकी चिकित्सा चल रही थी। वह घटना की एकमात्र गवाह थी जो आगजनी की घटना की चपेट में आने के बाद जिंदा बची हुई थी। माना जा रहा है कि उसकी मौत के बाद जांच पर असर पड़ेगा। खास बात यह है कि सीबीआई के अधिकारियों ने अभी तक उसका बयान रिकॉर्ड नहीं किया था।

अस्पताल सूत्रों ने बताया है कि वारदात के बाद से ही नजेमा की हालत नाजुक थी। उसका रक्तचाप असामान्य था और संक्रमण पूरे शरीर में फैल गया था। शरीर में ऑक्सीजन का स्तर भी लगातार गिर रहा था जिसके कारण सोमवार को शरीर के अधिकतर अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उसकी जान चली गई।
इसके पहले गत गुरुवार को घटनास्थल पर पहुंची मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अस्पताल जाकर घायल नजेमा से मुलाकात की थी। उन्होंने बेहतर चिकित्सा के लिए उन्हें कोलकाता लाने की बात कही थी लेकिन मुख्यमंत्री के चले जाने के बाद उनकी इस घोषणा पर कोई क्रियात्मक कदम नहीं उठाया गया था। इसे लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बीरभूम नरसंहार में एक बच्चे सहित आठ लोगों की मौत पहले ही हो गई थी। उनकी पहचान
जहाँआरा ( 38 साल ),
लिली खातून ( 18 साल),
शेली बीवी ( 32 साल),
नूरनेहर बीवी ( 52 ),
रूपाली बीवी ( 39),
क़ाज़ी रहमान ( 22),
तुली खातून ( 7) और
मीना बीवी ( 40) के रूप में हुई।

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