आजादी के आंदोलन में जिनका कोई योगदान नहीं, वही लोग आज दुर्भाग्य से सत्ता में है : महेश यादव
अरवल ब्यूरो
कुर्था,अरवल: 1857 के महानायक बाबू जीवधर सिंह सहित आजादी के गुमनाम हस्तियों क्रांतिकारियों को किया जाएगा याद । आजादी के आंदोलन में जिनका कोई योगदान नहीं वे ही लोग आज दुर्भाग्य से सत्ता में है । उक्त बातें संवाददाता सम्मेलन में कुर्था भाग 2 जिला परिषद सदस्य महेश यादव ने कही । उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस भारत का सपना देखा , भाजपा – आरएसएस उन मूल्यों की हत्या करने पर आमदा है 30 जनवरी को गांधी शहादत दिवस पर अरवल में कार्यक्रम होगा । 29 जनवरी को 1942 के शहीद श्याम बिहारी बेनीपुरी की धरती कुर्था के अभिलाषा उत्सव हॉल में कार्यक्रम रखा गया है ।
वहीं,किसान महासभा के राज्य राष्ट्रीय सचिव व भाकपा माले राज्य स्थायी समिति सदस्य रामाधार सिंह ने कहा कि 1857 में अरवल जहानाबाद ने ऐतिहासिक लढाई लड़ी थी लेकिन इतिहास में अब तक वह मुख्य बातचीत का हिस्सा नहीं बन सका है । कुर्था प्रखंड की इसमें प्रमुख किरदार रही है । यह प्रखंड शुरू से ही क्रांतिकारियों की धरती रही है । मंझियामा के सरयू सिंह,लारी के अर्जुन शर्मा,नदौरा के सियाराम,निघवां यदुनंदन महतो,उतरावां के बिंदेश्वरी सिंह सहित कुर्था थाना के 48 गांव के 123 स्वतंत्रता सेनानीयों ने आजादी की लड़ाई में शिरकत की ये सभी का नाम गुमनाम है । अरबल के खमेनी के बाबू जीवधर सिंह के नेतृत्व में तत्कालीन जिला बिहार आज का मगधी में बहादुराना लड़ाई हुई थी लेकिन जीवधर सिंह को अभी इतिहास में यह स्थान नहीं मिल सका है । अरवल का लगभग हरेक गांव 1857 के संग्राम में आंदोलित था । बाद में भी यह इलाका आजादी के आंदोलन का एक प्रमुख इलाका बना चाहे हम बात खमनी की करें इस्माइलपुर की अथवा बेलाव की , ये सभी गाव क्रांतिकारियों के जुटान स्थल थे । अंग्रेजों ने जीवधर सिंह को फांसी पर लटका दिया लेकिन उसके पहले उन्होंने अंग्रेजों की चूलें हिला दी थी . हमें उस विरासत को याद करना है और सामने लाना है ।
संवाददाता सम्मेलन में इन नेताओं के अलावा विनय कुमार दारोगा,अवधेश यादव,लड्डू मल्लिक,हारून राशिद,दीपक कुमार आदि ने भाग लिया ।