डॉ. सुरेन्द्र सागर
सत्ता की साजिश में हुए आजीवन कारावास की सजा को हंसते मुस्कुराते काट लेने वाले बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनन्द मोहन के इर्द गिर्द ही कल भी बिहार की राजनीति घूमती थी और आज भी बिहार और देश की राजनीति के केंद्र में आनन्द मोहन ही हैं।
विगत साढ़े पंद्रह सालों तक जेल में रहने के बावजूद समर्थकों की एकजुट ताकत के दम पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सामने आनन्द मोहन हमेशा अपने राजनैतिक हैसियत का अहसास कराते रहे हैं।
लम्बे अंतराल के बाद जब आनन्द मोहन अपनी पुत्री सुरभि आनन्द के इंगेजमेंट समारोह के लिए जेल से बाहर निकले तब उनके समर्थकों का उमड़ा जनसैलाब सहरसा और पटना की धरती पर उनकी ताकत को दिखा दिया था।जब दूसरी बार पुत्री सुरभि आनन्द की शादी के लिए वे अस्थायी रिहाई पर जेल से बाहर निकले तो वैवाहिक समारोह में समर्थकों के साथ राजनैतिक दिग्गजों के हुए जुटान ने बिहार की राजनीति में आनन्द मोहन का तूफान खड़ा कर दिया।
पुत्री के इंगेजमेंट का समारोह हो या फिर वैवाहिक समारोह हो,दोनों ही समारोहों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत पूरी की पूरी सरकार आनन्द मोहन के घर उतर आई थी।
पहली बार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी जानकारी मिली कि आनन्द मोहन सांसद रहते एनडीए का हिस्सा थे और उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को बचाने के लिए उनके पक्ष में अपना वोट देकर एनडीए का समर्थन किया था।उन्हें तब अटल बिहारी वाजपेयी का हनुमान कहा जाता था।भाजपा के दिग्गज नेता प्रमोद महाजन और आनन्द मोहन की दोस्ती के सभी कायल थे।
बिहार में आनन्द मोहन की बिहार पीपुल्स पार्टी लम्बे समय तक एनडीए का हिस्सा थी और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को आगे बढ़ाने में आनन्द मोहन का बहुत बड़ा योगदान था।
यही कारण रहा कि कल तक आनन्द मोहन के सवाल पर चुप्पी साध बैठे बिहार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी अहसास हो गया कि आनन्द मोहन आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति को बड़े स्तर पर प्रभावित करने वाले हैं।अहसास होते ही पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी आनन्द मोहन से मिलने उनके आवास पर पहुंच गए और उन्होंने न सिर्फ सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेरफॉर्म पर बल्कि पटना से प्रकाशित होने वाले सभी अखबारों के लिए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आनन्द मोहन को स्थायी रिहाई के लिए सरकार से कदम उठाने की मांग कर दी।
सुशील मोदी ने यहां तक कह दिया कि जिस केस में आनन्द मोहन को आजीवन कारावास की सजा हुई है उस केस में सीधे तौर पर वे संलिप्त नही थे।उन्होंने आनन्द मोहन को एनडीए का पुराना साथी भी बताया और कहा कि आनन्द मोहन की रिहाई होनी चाहिए।
कल तक भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को गुमराह कर आनन्द मोहन के विरुध्द बयानबाजी कराने वाले भाजपा नेताओं के सुर अचानक बदलने लगे।जो लोग यह मान बैठे थे कि पंद्रह सालों तक जेल में रहते आनन्द मोहन की ताकत बिखर गई होगी उन्हें अचानक आनन्द मोहन की ताकत को देखकर नींद उड़ गई थी।
आनन्द मोहन एक बार फिर तीसरी बार अस्थायी रिहाई के तहत जेल से बाहर निकले हैं और अपने विधायक पुत्र के विवाह की तैयारियों को लेकर उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून पहुंच चुके हैं।वे जब उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून पहुंचे तो एयरपोर्ट से लेकर उनके आवास तक समर्थकों से भरी गाड़ियों की लंबी कतार लग गई।
वहां शादी की तैयारी में आनन्द मोहन व्यस्त हैं लेकिन बिहार में उनके समर्थकों की ताकत अब हिलकोरे मार रहा है।
साफ दिख रहा है कि अब आनन्द मोहन जिधर होंगे बिहार में राजनीति उधर ही हिचकोले मारेगी।
आनन्द मोहन की राजनीति को सब के सब राजनैतिक दल अपने अपने पक्ष में करने और समर्थन प्राप्त करने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं लेकिन आनन्द मोहन ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी राजनीति समाजवादी विचारधारा के साथ ही आगे बढ़ेगी।
फिलहाल आनन्द मोहन की राजनैतिक हैसियत का जलवा बिहार ही नही बल्कि पूरा देश देख रहा है।

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