गुजरात के फाउंडेशन के साथ स्वास्थ्य विभाग ने किया समझौता
जन्मजात बच्चों के हृदय रोगों के इलाज की नई व्यवस्था
विजय शंकर
पटना । राज्य सरकार ने बच्चों में होने वाले जन्मजात हृदय रोग के उपचार व शल्यक्रिया के लिए ‘बाल हृदय योजना’ की शुरुआत की है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने गुजरात की एजेंसी के साथ समझौता पत्र (एमओयू )पर हस्ताक्षर किया है।
उपरोक्त जानकारी देते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने आज यहां बताया कि विभाग ने प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एन्ड रिसर्च फाउंडेशन, राजकोट एवं अहमदाबाद के साथ मेमोरंडम आफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) संपादित किया है। फाउंडेशन एक हजार बाल हृदय रोगियों की पहचान कर मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएगा। फाउंडेशन एक चेरिटेबल अस्पताल है, जिसका मध्यप्रदेश उड़ीसा व राजस्थान सरकार के साथ एमओयू सम्पादित है।
श्री पांडेय ने बताया कि ‘बाल हृदय योजना’ के संचालन के लिए इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान को समर्पित अस्पताल के रूप में चिह्नित किया गया है। इसके अलावा राज्य के बाहर वैसे राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चेरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल व निजी अस्पताल जो बाल हृदय रोगों की निःशुल्क चिकित्सा (सर्जरी सहित) सुविधा उपलब्ध कराते हैं, की पहचान करते हुए एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया है। राज्य के बाहर चिह्नित चेरिटेबल ट्रस्ट अस्पतालों में चिकित्सा के लिए आने-जाने के लिए परिवहन किराए के रूप में बाल हृदय रोगी एवम उसके परिचर के लिए मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से 5-5 हजार रुपया उपलब्ध कराया जाएगा।
श्री पांडेय ने बताया कि बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर बीमारी है। जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं, जिनमें लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में शल्य क्रिया की आवश्यकता रहती है। उक्त परिप्रेक्ष्य में हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों के निःशुल्क उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु नई योजना ‘बाल हृदय योजना’ प्रारंभ करने की स्वीकृति दी गई है। इसके लिए फॉउंडेशन जिला अस्पतालों या मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में या किसी अन्य उपयुक्त स्थल पर बच्चों के लिए निः शुल्क जांच शिविर आयोजित करेगा, ताकि संदिग्ध पीडियाट्रिक कार्डियक मामलों की जांच, पुष्टि और वर्गीकरण किया जा सके और स्क्रीनिंग स्थल पर संभव नैदानिक सुविधाएं मुफ्त प्रदान की जा सकें। संस्था अपने नैदानिक उपकरणों को स्क्रीनिंग कैंप साइट पर स्थानांतरित करने के लिए उचित प्रक्रिया बनाए रखेगा । इस तरह के स्क्रीनिंग कैंप राज्य के राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार और गैर-संचारी रोग सेल के साथ कन्सल्टेशन में आयोजित किए जाएंगे और विवरण अनुसूची को फाउंडेशन के कार्यक्रम समन्वयक द्वारा राज्य स्वास्थ्य समिति को भी साझा किया जाएगा। वर्तमान में राज्य में हृदय में छेद के साथ जन्में बच्चों की जाँच, पहचान एवं उपचार की संस्थागत व्यवस्था का अभाव था। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पटना के इन दोनों अस्पतालों को, मानव संसाधन सहित, आवश्यक अन्य संसाधनों के साथ सुदृढ़ करेगी। ये संस्थान राज्य के बच्चों, विशेषकर नवजात बच्चों, में हृदय रोग की निःशुल्क जाँच, पहचान एवं उपचार की उत्तम व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।