नौकरी में कोटा प्रणाली को लेकर उबल रहा बांग्लादेश , डॉ दिन से कर्फ्यू , इन्टरनेट सेवा बंद
ढाका : बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने पहले इस्तीफा दिया और फिर देश छोड़ कर चली गईं । शेख हसीना भारत आ सकती हैं अथवा भारत के रास्ते लंदन जा सकती हैं । अब बांग्लादेश की कमान सेना के हाथों में है और सेना ने एक टीम सत्ता चलने के लिए बना दी है जिसमें पत्रकार , बुद्धिजीवी व राजनीति समझ वाले लोग हैं । बांग्लादेश की सेना ने 10 लोगों की टीम अंतरिम सरकार चलाने के लिए बनाई है जिसमें लेखक व शिक्षाविद डॉ समीउल्लाह खान व आसिफ नजरुल के नेतृत्व में टीम बनाई गयी है जिसमें पांच सेना के रिटायर्ड अधिकारी जिसमें रिटायर्ड जनरल इक़बाल करीम भुईयां , रिटायर्ड मेजर जनरल सैयद इफ्तिखार उद्दीन , रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल एम सखावत हुसैन , डॉ हुसैन जिल्लुर रहमान, सरकार में रिटायर्ड जज मोहम्मद अब्दुल बहाव मियां और जस्टिस एम ए मतीन,डॉ देवप्रिया भट्टाचार्य ,मोतिउर्रह्मन चौधरी शामिल हैं ।
प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देने के लिए 45 मिनट का अल्टीमेटम दिया था । उनके आवास में सैकड़ों प्रदर्शनकारी घुस गए । इसके बाद सैन्य हेलिकॉप्टर से भारत के लिए रवाना हुईं । सोमवार को 2:30 बजे शेख हसीना को लेकर सैन्य हेलीकॉप्टर बंगभवन से रवाना हुआ । उस समय उनकी छोटी बहन शेख रेहाना भी उनके साथ थीं । सूत्रों ने बताया कि वे हेलीकॉप्टर से भारत के लिए रवाना हुईं हैं ।
वहीं, बांग्लादेश में इंटरनेट सेवा पूरी तरह से ठप है । पिछले महीने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्र समूहों की हिंसा से देश को भारी नुकसान हो रहा है । बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को खत्म कर दिया जिसके बाद वहां के लोग सड़कों पर आ गए । सरकार पर दबाव बनाया गया कि वह आरक्षण को फिर से वापिस लाया जाये लेकिन सरकार ने ऐसा किया नहीं । इसके बाद बांग्लादेश में चुनाव हुए और विपक्षी पार्टियों ने चुनाव का बॉयकॉट किया. । विरोध प्रदर्शनों के बीच लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सोमवार, मंगलवार और बुधवार को तीन दिवसीय सामान्य अवकाश घोषित किया गया है ।
बांग्लादेश में ऐसा पहली बार नहीं है जब सेना के हाथों में देश की कमान आई हो । इससे पहले भी ऐसा हो चुका है। इससे पहले 1975 में भी सेना ने वहां की सत्ता पर कब्जा कर लिया था. 1975 में ये पहली बार हुआ था. उस वक्त देश में शेख मुजीबुर्रहमान की सरकार थी जो शेख हसीना के पिता थे । सेना ने देश की सत्ता पर कब्जा किया था तो लगभग 15 वर्षों तक सेना का बांग्लादेश पर शासन था.। इस वक्त बाग्लादेश में आर्मी चीफ वक़ारुज़्ज़मान हैं और सेना नियंत्रित शासन होगा देश के सारे अहम फैसले आर्मी चीफ वक़ारुज़्ज़मान के मशविरा से अंतरिम सरकार की टीम लेगी ।
झड़प रविवार सुबह उस समय और उग्र हो गई जब नौकरी में कोटा प्रणाली को लेकर हसीना के इस्तीफे की एक सूत्री मांग को लेकर स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन के बैनर तले असहयोग कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों को सत्तारूढ़ अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा । रविवार को हुई झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 101 लोग मारे गए । हिंसा के कारण अधिकारियों को मोबाइल इंटरनेट बंद करना पड़ा और अनिश्चित काल के लिए पूरे देश में कर्फ्यू लगाना पड़ा । प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों, पुलिस चौकियों, सत्तारूढ़ पार्टी के दफ्तरों और उनके नेताओं के आवास पर हमला किया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया ।