बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता। इस साल भी राजधानी दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस के दिन निकलने वाली झांकी की सूची से पश्चिम बंगाल को किनारे कर दिया गया है। इसे लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नाराजगी जताई है। रविवार को उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा है और बंगाल की झांकी को शामिल करने को लेकर पुनर्विचार करने को कहा है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि वह केंद्र के फैसले से हैरान और दुखी हैं। इसने स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है। मामले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा, ”बंगाल ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई है। इसलिए केंद्र के इस फैसले से बंगाल की जनता आहत हुई है।’

स्वतंत्रता के 75वें वर्ष को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने इस वर्ष गणतंत्र दिवस और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती एक साथ मनाने का निर्णय लिया है। इसी को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने झांकी भेजने की अनुमति मांगी थी लेकिन केंद्र ने इसे रद्द कर दिया। पिछले साल केंद्र ने राज्य की कन्याश्री समेत कई सामाजिक परियोजनाओं की झांकी को भी रद्द कर दिया था।

इस साल गणतंत्र दिवस की थीम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ है। केंद्र सरकार के निर्णय के मुताबिक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी से गणतंत्र दिवस समारोह शुरू करने का फैसला किया गया है। वहीं इस बात का भी पता चला है कि नेताजी की जयंती के मौके पर गणतंत्र दिवस समारोह हर साल 26 जनवरी के बजाय हर साल 23 जनवरी से शुरू होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए बंगाली थीम का नाम ‘नेताजी और आजाद हिंद वाहिनी’ रखा गया था।

पत्र में ममता ने स्वतंत्रता संग्राम में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, अरविंद घोष और बिरसा मुंडा जैसी हस्तियों की भूमिका को दिखाया है। ममता ना लिखा, ‘ऋषि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने सबसे पहले राष्ट्रवाद का मंत्र ‘बंदेमातरम’ लिखा था। जो बाद में राष्ट्रगान बना। रमेश चंद्र दत्त ब्रिटिश औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था की आलोचना करने वाले निबंध लिखने वाले पहले व्यक्ति थे। सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने देश का पहला राष्ट्रीय राजनीतिक संगठन इंडियन एसोसिएशन बनाया।

ममता का यह बयान कि बंगाल की झांकी को नकारने का मतलब इस इतिहास को नकारना है। जो बंगालियों का अपमान करने के समान है। उन्होंने पत्र में लिखा, ‘केंद्र के इस फैसले से स्तब्ध और दुखी हूं। इसने स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है।’

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