बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता : गुरुवार शाम अचानक साबिर मोल्ला के घर फोन की घंटी बजी। मोबाइल पर अस्पताल का नंबर था जिसे देखकर घर वालों का दिल धड़कने लगा था। फोन उठाने के बाद उस पार से नर्स की आवाज आई। उसने बताया कि साबिर मोल्ला की मौत हो चुकी है, घरवाले आकर उनकी लाश ले जा सकते हैं।
इस बुरी खबर को सुनते ही फोन उठाने वाले के हाथ से मोबाइल छूट गया था और चीख के साथ आंसुओं की धार बहने लगी थी। घर में कोहराम मच गया। जिसने भी सुना वह छाती पीट कर रोने लगा। शुक्रवार सुबह घरवाले कोलकाता के नेशनल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शव लेने के लिए पहुंचे। कुछ देर तक अस्पताल प्रबंधन ने इंतजार कराया और मॉर्ग को जांचने के बाद अस्पताल की ओर से बताया गया कि रोगी की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी इसलिए शव नहीं दिया जाएगा। सारे लोगों के चेहरे उदास थे। तभी अचानक उसी साबिर मोल्ला की आवाज आई जिसे अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया था। अस्पताल के दूसरी बिल्डिंग के बरामदे पर खड़े साबिर घरवालों को देखकर आवाज लगा रहे थे। सारे लोग हतप्रभ थे और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। ऐसा लगा जैसे मरे हुए साबिर के किसी भी तरह से वापस लौट आने की परिजनों की दुआ कबूल हो गई थी। जब उन्हें जीवित हालत में आवाज लगाते हुए देखा तो तुरंत माजरा समझ में आ गया था की अस्पताल ने गलत जानकारी दी है और मॉर्ग में सो नहीं होने की वजह से कोविड-19 का बहाना बनाया गया है।
इस घटना के प्रकाश में आने के बाद कोलकाता के अस्पतालों में रोगियों के साथ हो रहे बर्ताव और चिकित्सकों की लापरवाही का खुलासा हो गया है। घरवालों ने इस संबंध में अस्पताल के पास लिखित शिकायत दर्ज कराई है जिसके बाद प्रबंधन ने स्वीकार किया है कि समझने में गलती हुई है। इसकी जांच का आश्वासन भी दिया गया है। घर वालों ने बताया कि गत 11 अप्रैल को सीने में दर्द होने के बाद साबिर को अस्पताल में भर्ती किया गया था। उसके बाद से परिजनों को मिलने नहीं दिया गया क्योंकि तेजी से कोविड-19 महामारी बढ़ रही थी। अब शुक्रवार को जब पूरे घटनाक्रम का खुलासा हुआ है तो उन्हें छुट्टी दे दी गई है और वह स्वस्थ होकर घर भी लौट आए हैं। गली मोहल्ले और आस पड़ोस में जो लोग यह सुनकर दुखी थे कि साबिर की मौत हो गई है, उन्हें जिंदा वापस देख सभी के चेहरे पर कौतूहल है और खुशी भी।

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