सुभाष कुमार पटवारी             --     अध्यक्ष

बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज के अध्यक्ष सुभाष कुमार पटवारी एवं उपाध्यक्ष आशीष शंकर बैठक में हुए सम्मिलित

Vijay shankar

पटना। 20 मार्च  को 16वें वित्त आयोग द्वारा राज्य के उद्यमियों एवं व्यवसायियों के साथ बुलायी गयी बैठक में बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज की ओर से अध्यक्ष सुभाष कुमार पटवारी एवं उपाध्यक्ष आशीष शंकर सम्मिलित हुए और राज्य के औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने हेतु निम्नांकित सुझाव प्रस्तुत किए गए :-

– बिहार का क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जो देश के कुल क्षेत्रफल का 2.8% है और जनसंख्या का वर्तमान घनत्व 1102 प्रति व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है जबकि राष्ट्रीय कवरेज 382 प्रति व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से काफी अधिक है ।

– प्रति व्यक्ति आय 59,637 रूपया है जो कि राष्ट्रीय औसत 1ए69ए496 से काफी नीचे है । इस अंतर को पाटने की आवश्यकता है । इसलिए हमारा अनुरोध है कि बिहार को आर्थिक एवं औद्योगिक रूप से पिछड़ा राज्य मानते हुए राज्य के लिए विशेष मानदंड तैयार किया जाना चाहिए ताकि बिहार को भी हिमाचल प्रदेश एवं पूर्वोत्तर राज्यों तथा आन्ध्र प्रदेश जैसे विशेष दर्जा प्राप्त हो सके ।

– केन्द्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी में भी लगातार गिरावट आई है ।

– बिहार में ऋण-जमा (सीडी) अनुपात 58.71% है जो व्यापार और औद्योगिक विकास के ऋण प्रवाह को बाधित करता है । अतः आयोग को बिहार में बैंकों को ऋण देने की गतिविधि बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करके ऋण-ब्याज अनुपात बढ़ाने के उपाय शुरू करने पर विचार करना चाहिए ।

– मालाभाड़ी समानीकरण के कारण राज्य का पूंजी आधार नष्ट हो गया साथ ही राज्य के विभाजन से बिहार उद्योग एवं खनिजों से विहीन हो गया और यह एक कृषि राज्य बन गया है । विभाजन के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए बिहार को विशेष पैकेज देने पर केन्द्र सरकार ने सहमति व्यक्त की थी ।

अतः 16वें वित्त आयोग से हमारा आग्रह है कि बिहार राज्य को बुनियादी ढांचे, नागरिक सुविधाओं और औद्योगिक विकास के समग्र विकास के लिए विशेष अनुदान प्रदान करना चाहिए, विशेष रूप से नए हवाई अड्डे, राज्य के भीतर गैस पाइपलाइन बिछाने, मेट्रो रेल प्रणाली और भूमि खरीदने के लिए ताकि राज्य औद्योगिक उद्देश्य के लिए अपना स्वयं का भूमि बैंक बना सके । बिहार हमेशा से ही भयंकर सूखे और भारी बाढ़ से जूझता रहा है । इस राज्य की अधिकांश कृषि योग्य भूमि गंगा नदी के उत्तर में स्थित है, जो कई बुनियादी खाद्य पदार्थ जैसे चावल, गेहूं, मक्का चीनी आदि पैदा करती है परन्तु बाढ़ के कारण फसल बर्बाद हो जाता है ।

– बिहार एक पिछड़ा राज्य है और बाढ़ का कारण मुख्य रूप से नेपाल से निकलने वाली नदियाँ हैं जिन्हें केवल केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से ही रोका जा सकता है । ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार से सहायता के रूप में दी जाने वाली राशि प्रभावित होती है ।

– केन्द्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी में लगातार वित्त आयोग की अवधि में गिरावट आई है । 11वें वित्त आयोग के अंतर्गत बिहार को केन्द्रीय करों का लगभग 14.597 आवंटित किया गया । हलांकि 15वें वित्त आयोग के तहत 2021-2026 की अवधि के लिए यह हिस्सा घटाकर 10.061 कर दिया गया । बिहार को वित्तीय वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 के लिए केन्द्रीय कर आय में क्रमशः 1,02,737 करोड़ प्राप्त हुए और 1,13,012 करोड़ प्राप्त होने की उम्मीद है । इस गिरावट को उलटना बिहार के दीर्घकालिक राजकोषीय स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है ।

– बिहार का राजकोषीय घाटा 2023-24 (संशोधित अनुमान) में 76,466 करोड़ रूपया रहा एवं 2024-2025 (बजट अनुमान) में 29,095 करोड़ होने का अनुमान है । इन चुनौतियों के कारण, बिहार खराब बुनियादी ढांचे और सीमित औद्योगिक विकास से जूझ रहा है । इस असंतुलन को दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि 16वें वित्त आयोग बिहार के सड़क नेटवर्क, रेल संपर्क और औद्योगिक केंद्रों सहित बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष अनुदान प्रदान करने पर विचार करना चाहिए । इससे न केवल राज्य के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि बिहार को संरचनात्मक नुकसान से उबरने तथा अन्य राज्यों के साथ समानता हासिल करने में भी मदद मिलेगी ।

– बिहार के रेलवे नेटवर्क को राष्ट्रीय मानकों के बराबर लाने के लिए भूमि अधिग्रहण, क्षमता विस्तार और सुविधाओं के आधुनिकीकरण जैसे मुद्दों का समाधान करना महत्वपूर्ण है । इसलिए, इन दीर्घकालिक बाधाओं को दूर करने तथा राज्य की जनता के लिए कुशल रेल सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए आगे वित्तीय सहायता तथा केंद्रित पहल आवश्यक है।

– हाल के वर्षों में निवेश में वृद्धि के बावजूद बिहार को अपनी सड़क अवसंरचना में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है । यद्यपि वर्तमान बजट में सड़क सम्पर्क सुधारने के लिए धनराशि आवंटित की गई है, फिर भी कुछ संरचनात्मक और रखरखाव संबंधी मुद्दे अभी भी बने हुए हैं । इस पर भी केन्द्र सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।

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