मिलेट्स महोत्सव के दूसरे दिन कार्बोहाइड्रेट और ग्लूको इंबैलेंस पर परिचर्चा
आज के खान-पान ने लोगों का छीना सुख – चैन, हुईं बीमारियां: डॉ आर के सिन्हा
मिलेट्स की खेती के लिए मुफ्त बीज और प्रति एकड़ ₹5000 का अनुदान : डॉ संजय अग्रवाल
बाजार ने किचन को बिगाड़ दिया और स्वाद ने शरीर को बीमारियों से भर दिया : मिलेट्स मैन खादर
शुगर बर्न के लिए हर किसी को एक घंटा 15 मिनट टहलना जरूरी: डॉ सरला
विजय शंकर
पटना। बिहार की राजधानी पटना में चल रहे मिलेट्स महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार को मिलेट मैन पद्मश्री अवॉर्डी डॉ खादर वली ने चावल, गेहूं छोड़कर मोटा अनाज मिलेट्स खाने की लोगों को नसीहत दी और कहा कि मोटा अनाज खाने से व्यक्ति बेहतर स्वास्थ्य पा सकता है और खानपान से होने वाली अनेक गंभीर बीमारियों से बच सकता है। आमतौर पर खान-पान में चीनी, चावल और गेहूं का इस्तेमाल लोग करते हैं, मगर इसकी जगह पर मिलेट्स का उपयोग किया जाए तो निश्चित तौर पर व्यक्ति के जीवन में फर्क नजर आएगा और व्यक्ति सेहतमंद हो सकेगा और बार-बार डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
स्थानीय रविंद्र भवन में आयोजित तीन दिवसीय मिलेट्स महोत्सव के दूसरे दिन कार्बोहाइड्रेट और ग्लूको इंबैलेंस पर आयोजित परिचर्चा में कृषि विभाग के अधिकारी और किसान शामिल हुए। कृषि विभाग के सचिव डॉ संजय अग्रवाल, महोत्सव के मुख्य आयोजक व अवसर ट्रस्ट के अध्यक्ष पूर्व सांसद डॉ आर के सिन्हा और बेंगलुरु से आई डॉ सरला ने कृषकों को मिलेट्स उपजाने की सलाह दी और उसके उत्पादन की विधियों तथा उत्पादन में जल की आवश्यकता तथा उससे होने वाले फायदा से कृषकों को अवगत कराया।
खान-पान ने लोगों का छीना सुख – चैन, हुईं बीमारियां: डॉ आर के सिन्हा
आयोजन में मुख्य प्रायोजक अवसर ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ आर के सिन्हा ने बताया कि आज के खान-पान से लोग न सिर्फ बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं बल्कि उनके जीवन का सुख भी खत्म हो गया है । लोग यौन समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं और यौन शक्ति का भी उनमें ह्रास हो रहा है । उन्होंने बताया कि बिहार के किसान अपने पुरानी ज्वार, बाजरा,महुआ,सावा,कोदो जैसी मोटे अनाजों की खेती की तरफ लौटें और मोटे अनाजों का उत्पादन फिर से शुरू करें जो उनके पूर्वज पहले से करते आ रहे थे। उन्होंने बताया कि मिलेट्स की खेती के लिए हर तरह की जमीन उपजाऊ होती है और पानी भी कम लगता है। उत्पादकता बढ़ाने के लिए उसकी तीन बार 21 दिन, 42 दिन और 63 दिन पर छंटनी करनी जरूरी होती है जिससे उत्पाद को बेहतर बनाया जा सकता है और पैदावार बढ़ाया जा सकता है।
मिलेट्स की खेती के लिए मुफ्त बीज और प्रति एकड़ ₹5000 का अनुदान : कृषि सचिव डॉ संजय अग्रवाल
राज्य के कृषि सचिव डॉ संजय अग्रवाल ने किसानों को बताया कि राज्य सरकार मिलेट्स की डेढ़ लाख एकड़ खेती के लिए मुफ्त बीज उपलब्ध करा रही है। साथ ही प्रति एकड़ ₹5000 का अनुदान भी दे रही है। बिहार का कृषि विज्ञान केंद्र, जो सभी जिलों में है, मिलेट्स की खेती के लिए किसानों का मददगार बनेगा । साथ ही यह भी आश्वासन दिया कि कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा भी मिलेट्स की खेती करने पर हर संभव सहायता किसानों को निश्चित तौर पर दी जाएगी।
बाजार ने किचन को बिगाड़ दिया और स्वाद ने शरीर को बीमारियों से भर दिया : मिलेट्स मैन खादर
बाद में आयोजित परिचर्चा में मिलेट्स मैन डॉक्टर खादर वली ने कहा कि आधुनिकता के दौर में बाजार ने हमारे किचन को बिगाड़ दिया है और स्वाद ने हमारे शरीर को बीमारियों से भर दिया है । हमें जिंदगी को सुरक्षित बनाने के लिए मिलेट्स को अपने भोजन में अपनाना होगा। उन्होंने बताया कि ग्लूको इंबैलेंस के कारण हार्ट अटैक, हाइपरटेंशन, शुगर,भूलने की बीमारी और पैरालिसिस लकवा आदि का खतरा बढ़ जाता है । इससे बचने के लिए लोगों को मिलेट्स का सेवन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अतिरिक्त चीनी लेने की कोई जरूरत नहीं है । ग्लूको ईमबैलेंस के कारण लोग ब्लड प्रेशर के शिकार होते हैं, हार्ट अटैक आता है , लोगों का कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ जाता है, एक्सेस ग्लूकोज से ही मोटापा बढ़ जाता है। अगर मिलेट्स का उपयोग किया जाए 3 महीने में 20 किलो तक वजन घटाया जा सकता है।
शुगर बर्न के लिए हर किसी को एक घंटा 15 मिनट टहलना जरूरी: डॉ सरला
वही बेंगलुरु से आई डॉक्टर सरला ने बताया कि लोगों को मात्र 5 ग्राम चीनी लेनी चाहिए मगर लोग सुबह की चाय में ही 5 ग्राम चीनी से ज्यादा चीनी ले लेते हैं । अगर देखा जाए तो 100 ग्राम से अधिक चीनी प्रति व्यक्ति उपयोग कर रहा है जिससे होने वाले ग्लूको इंबैलेंस के कारण लोग फैटी लीवर के शिकार हो रहे हैं । आज 40 फीसदी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों में ओबेसिटी हो गया है । खून गाढ़ा होने के कारण कई तरह की बीमारियां हो रही है । कोलेस्ट्रॉल बढ़ जा रहा है जिससे पैरालिसिस, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां हो जाती हैं । ऐसे में जरूरी है कि लोग सकारात्मक मिलेट्स का उपयोग करें । लोग अन्य मिलेट्स का उपयोग भी बदल बदलकर करें जिससे कई रोगों से बचा जा सकेगा । वैसे मिलेट्स के रूप में बाजार में ज्वार,बाजरा, मडुआ (रागी), चीना (चेना),सावा, कोदो,कंगनी (काकुन) ,मक्का आदि है। उन्होंने बताया कि शुगर (चीनी) का विकल्प तार का गुड और खजूर का गुड हो सकता है। उन्होंने बताया कि शरीर के अंदर जो खून में ग्लूकोज होता है उसे पूरी तरह बर्न ,जलाने के लिए एक घंटा 15 मिनट तक वाक करना हर व्यक्ति को जरूरी होता है। उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर लोग खाली पेट और भोजन के बाद शुगर का टेस्ट लेकर शरीर के अंदर ग्लूकोज बैलेंस जान लेते हैं मगर यह सही नहीं है। लोगों को Hba1 की जांच करने से 3 महीने का शुगर का एवरेज पता चलता है । और अगर यह 6 के अंदर होता है तो डायबिटीज नहीं होता, 6.5 होता है तो यह डायबिटीज लेवल पर होता है और अगर 7 होता है तो व्यक्ति शुगर की बीमारी से ग्रस्त हुआ रहता है । 8 से नीचे रहने पर कोई व्यक्ति अपने आप को सुरक्षित मान सकता है मगर 9 अंक हो जाने पर व्यक्ति के लिए डेंजर लेवल हो जाता है और कभी भी हार्ट अटैक, लीवर, किडनी, पैरालिसिस जैसे रोगों से झटका लग सकता है, मौतें भी हो सकती है । उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि डायबिटीज को रिवर्ट (बिना शुगर) किया जा सकता है। ग्लूकोज को बैलेंस किया जा सकता है अगर मिलेट्स का प्रयोग किया जाए तब।
इस मौके पर बिहार सरकार के कृषि विभाग के सचिव डॉ संजय अग्रवाल, आदि चित्रगुप्त फाइनेंस लिमिटेड के निदेशक ए पी वर्मा, आद्या ऑर्गेनिक कंपनी की निदेशक व वरिष्ठ अधिकारी रत्ना सिन्हा, आयोजनकर्ताओं में दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार राधारमण, अधिकारी अनुरंजन श्रीवास्तव, एस आई एस कंपनी के अशोक प्रसाद, संदीप सिन्हा, आईटी के तकनीकि अधिकारी सुमित रावत समेत कृषि विभाग के अनेक अधिकारी, प्रायोजक कंपनियों के अनेक अधिकारी शामिल थे।
इससे पूर्व तीन दिवसीय मिलेट्स महोत्सव का पहले दिन उद्घाटन राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया और बिहार के कृषकों से मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया । कृषि व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने भी मिलेट्स उत्पादन को बढ़ावा देने पर बल दिया।