विजय शंकर
पटना । कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आज होटल छोड़कर कूड़े वाले स्थान पर ही संवाददाता सम्मलेन किया और कहा कि बिहार कूड़े के ढेर पर बस गया है । नेताओं ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार – सुशील मोदी सरकार में आकाश (वायु प्रदूषण) – धरती (कूढ़े का ढेर) – पाताल (जल प्रदूषण), सब के सब कांप उठे हैं । न केवल जलवायु, जमीन तथा भूजल यानि तीनों लोकों को अपवित्र किया बल्कि भ्रष्टाचार की भेंट भी चढ़ा दिया, यह दावा भी मोदी सरकार का भाजपा-जदयू की बिहार सरकार के बारे में है। बिहार की हवा, पानी, जमीन सबको नष्ट- भ्रष्ट कर नीतीश कुमार नायक का मुखौटा लगाकर घूमते रहे। बिहार सरकार दावा करती रही कि सबको नलों के माध्यम से शुद्ध पानी पहुंचा रहे हैं और प्रदेश को कूड़ा मुक्त बनाया गया है। मगर सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। बिहार के लोगों को न सिर्फ़ जहरीला पानी पीने के लिए बाध्य किया गया बल्कि बिहार के शहरों को नीतीश सरकार ने एक ‘बड़े कूड़ेदान’ में तब्दील कर दिया है।
आइए, सिलसिलेवार जानते हैं, जदयू-भाजपा सरकार द्वारा जहरीला पानी पिलाने और कूड़ा करकट फैलाने की सच्चाई
1. ‘स्वच्छता सर्वेक्षण’ का खुलासा, ‘कूड़े के ढेर’ पर बिहार:
स्वछता सर्वेक्षण 2020 में केंद्र सरकार ने बताया कि 10 लाख से उपर की आबादी बाले 47 शहरों में बिहार की राजधानी पटना शहर देश में सर्वाधिक गंदगी से भरा शहर है।
इसी प्रकार 1 से 10 लाख आबादी बाले 382 नगर पालिकाओं/ शहरों की सूची जारी की गई, जिसमें बिहार के 26 शहर देश में लगभग सबसे अंतिम पायदान पर ‘गंदगी युक्त’ पाए गए हैं। शहरों की सूची में सफाई के मापदंड पर बिहार के पवित्र शहर ‘गया’ का रैंक 382 है, बक्सर का रैंक 381, भागलपुर 379 नंबर पर है, परसा बाजार 378 पर है, बिहार शरीफ 374 नंबर पर है। सफाई के मामले में बिहार के शहरों का नंबर 255 के बाद ही शुरु होता है। यह अपने आप में शर्मशार करने वाली बात है।
वहीं 62 ‘छावनी क्षेत्रों’ के मूल्यांकन में बिहार का ‘दानापुर छावनी’ देश में सबसे अधिक गंदा पाया गया है।
बेशर्म जदयू-भाजपा सरकार ने स्वच्छता के लिए दी गई राशि खर्च ही नहीं की। लोक सभा की कमेटी ने बताया कि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ में जो राशि बिहार को दी गई थी उसमें 2016-17 में 127.77 करोड़, 2017-18 में 452.37 करोड़ और 2018-19 में 1055.88 करोड़ खर्च ही नहीं किया गया।
2. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा- बिहार में ‘कूड़ा – कचरा’ की ‘आपात स्थिति’:
साल 2019 में ही राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बिहार में कुड़े, कचरे की भयानक स्थिति से चिंतित होकर कहा कि बिहार में गंदगी के हालात यही रहे तो बहुत जल्द ‘आपात स्थिति’ से बुरे हालात हो जाएंगे। इसी प्रकार ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बिहार के ‘एयर क्वालिटी इंडेक्स’ पर भी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पटना देश का तीसरा सर्वाधिक प्रदूषित शहर है। साथ ही ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा कि बिहार में वायु प्रदूषण के कारण 4,000 लोग हर साल अपनी जान गंवा देते हैं।
साथ ही ग्रीन ट्रिब्यूनल ने संज्ञान लिया कि बिहार के 40 प्रतिशत जिलों में जमीन के पानी में ‘आर्सेनिक’ का स्तर अत्यधिक मात्रा में है जिससे लोगों मे कैंसर तेजी से फैल रहा है।
नीतीश सरकार बिहार के अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों, लेबोरेट्री आदि से निकलने बाले बायोमेडिकल वेस्ट के प्रबंधन का कोई इंतजाम नहीं करती। बिहार में लगभग 34,812 किलोग्राम बायोमेडिकल वेस्ट प्रतिदिन निकलता है। पर नीतीश सरकार को कोई परवाह नहीं।
3. पकड़ा गया हर घर नल योजना का झूठ और भ्रष्टाचार:
लोकसभा में मार्च 2020 को जल संसाधन मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें बताया कि बिहार में कुल 1,78,46,077 ‘हाउस होल्ड्स’ हैं जिसमें से 3,36,178 ‘हाउस होल्ड्स’ को पाइप के द्वारा पानी पहुंचाया जा रहा है। अर्थात मात्र 1.88 प्रतिशत लोगों को ही पाइप के माध्यम से पीने का पानी बिहार में मिलता है।
यही नहीं, नकारा नीतीश सरकार ने योजनाओं की पूर्ण राशि खर्च ही नहीं की। लोक सभा की कमेटी को मोदी सरकार ने बताया कि बिहार ने ‘जल जीवन मिशन’ में 2016-17 में 87.29 करोड़ रू., 2017-18 में 226.79 करोड़ रू., 2018-19 में 313.16 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं किए।
4. बिहार के लोगों को जहर पिला रही है नीतीश सरकार:
मोदी सरकार की ‘मिनिस्ट्री ऑफ ड्रिंकिंग वॉटर एण्ड सेनिटेशन’ की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 10 जिले ऐसे हैं जहां पानी में ‘फ्लोराइड’ की मात्रा इतनी अधिक है कि यहां का पानी इंसान के पीने के लिए सुरक्षित नहीं है। इन जिलों में बांका, मुंगेर, नालंदा, शेखपुरा, औरंगाबाद, रोहतास, अररिया, गया, जमुई, कैमूर, नवादा शामिल हैं।
इसी प्रकार, बिहार के 11 जिलों में ‘आर्सेनिक’ की मात्रा पानी में इतनी अधिक है कि वो पीने के लिए सुरक्षित नहीं है। यह जिले हैं, बक्सर, मुंगेर, बेगुसराय, खगड़िया , पटना, समस्तीपुर, भागलपुर, दरभंगा, कटिहार, लखीसराय, वैशाली।
यूनिवर्सिटी आफ मैनचेस्टर, यूके और महावीर कैंसर इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च सेंटर,पटना की रिपोर्ट में भयावह खुलासा
इन्होंने बिहार में अलग-अलग स्थानों से ग्राउंड वाटर के 273 नमूने लिए, जिसमें यह गंभीर खुलासा हुआ कि गोपालगंज, सिवान, सारण, पटना, नालंदा, नवादा, सुपौल, औरंगाबाद, गया और जहानाबाद जिलों के जमीन में ‘रेडियोएक्टिव पदार्थ यूरेनियम’ बहुत अधिक मात्रा में है। यह अध्ययन मोदी सरकार के केंद्रीय साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी मंत्रालय द्वारा करवाया गया था। यह अध्ययन 2019 में मानसून के पहले किया गया था। इन स्थानों पर 80 माइक्रो ग्राम प्रति लीटर तक पानी में यूरेनियम पाया गया। यह अध्ययन डिस्ट्रीब्यूशन एण्ड जियो कैमिकल कंट्रोल ऑफ आर्सेनिक एण्ड यूरिनियम इन ग्राउंड वाटर-डिराइव्ड ड्रिंकिंग वॉटर इन बिहार नाम से प्रकाशित किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी मात्रा में यूरेनियम बिहार के लोगों के लिए जानलेवा साबित होगा।
5. पटना शहर में गंदे पानी को लेकर स्वर्गीय रामविलास पासवान जी के मंत्रालय का चौंकाने वाला खुलासा:
रामविलास पासवान जी द्वारा पानी के कारण फैल रही बच्चों में बीमारी की लगातार शिकायत के दृष्टिगत ‘ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड’ को पटना के पानी की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 2020 में आई रिपोर्ट में चैंकाने वाला खुलासा हुआ कि पटना से लिए गए सभी 10 पानी के सैंपल जो कि पाइप द्वारा पीने के पानी के लिए घरों में इस्तेमाल किया जाता है, फेल हो गए और पीने योग्य नहीं पाए गए। जिस पर शर्मनांक बयान देते हुए बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन अशोक कुमार घोष ने कहा कि चूंकि पानी की सप्लाई लाइन अंग्रेजों की जमाने की है, और उसके पास से उतनी ही पुरानी और सड़ी हुई सीवरेज पाइप लाइन जाती है, इसलिए यह स्वावभाविक है कि सीवरेज पाइप लाइन का गंदा पानी पाइप की लाइन द्वारा खींच लिया जाता है। आप स्वयं इसे पढ़कर ही वास्तविकता जानी जा सकती है।
6. नमामि गंगे परियोजना पड़ी ठप्पः
नमामि गंगे की मोदी जी ने झूठी कसम खाई और उस झूठी कसम के झूठ को ही नीतीश बाबू ने शिद्दत से निभाई। सच्चाई यह है कि नमामि गंगे में 20 प्रतिशत पैसा ही खर्च नहीं किया गया।
