विजय शंकर
पटना । उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज ट्वीट कर कहा कि राजद अपने दौर के चुनावी हिंसा को भूल गया है । राजद के कार्यकाल में 1990 से लेकर 2004 तक हुए लोकसभा, विधान सभा व पंचायत के कुल 9 चुनावों में हुई हिंसक घटनाओं में 641 लोग मारे गए थे। 2000 के विधान सभा चुनाव में 39 स्थानों पर फायरिंग हुई थी, जिसमें 61 लोग मारे गए थे ।
उन्होंने कहा कि 1990 में 87 तथा 1999 में 76 लोग चुनावी हिंसा के शिकार हुए थे। राजद की सरकार के दौरान 2001 में हुए पंचायत के चुनाव में 196 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
इसी तरह 1998 के लोकसभा चुनाव में राजद के दो दर्जन मंत्री, विधायकों पर बूथ लूट, हिंसा व मतदान में बाधा उत्पन्न करने के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए थे।
बूथ लूट व चुनावी हिंसा का ही नतीजा था कि 2004 में छपरा जहां से लालू प्रसाद चुनाव लड़ रहे थे वहां के चुनाव को रद्द करना पड़ा था । इसके अलावा 90 के दशक में ही पूर्णिया और दो-दो बार पटना का चुनाव भी स्थगित हुआ था। 1995 के विधान सभा चुनाव में बिहार के 1668 मतदान केन्द्रों पर पुनर्मतदान कराया गया था। 2005 में एनडीए की सरकार आने से पहले हर चुनाव में बूथ लूट, हिंसा, मारपीट, बैलेट बाक्स की छीना-झपटी, बक्शे में स्याही डालने की घटना आम थी । आम मतदाता से लेकर मतदानकर्मी तक चुनाव से डरे-सहमे रहते थे ।

नई पीढ़ी से अपना काला अतीत छिपा कर चुनाव जीतना चाहता है राजद
मोदी ने दुसरे ट्वीट में कहा कि नई पीढ़ी से अपना काला अतीत छिपा कर चुनाव जीतना चाहता है राजद । राजद ने कांग्रेस और वामपंथियों की संगत से यही सीखा कि गलत इतिहास पढ़ाकर या अतीत के अप्रिय सच को छिपा कर लंबे समय तक राज किया जा सकता है। आज राजद अपने 15 साल के कुशासन को भुलाकर वोट लेना चाहता है, इसलिए लालू-राबड़ी की तस्वीर इनके पोस्टर से गायब है । वे नरसंहार, अपहरण उद्योग और पलायन का काला अतीत नई पीढ़ी से छिपा कर चुनाव जीतना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि राजद-कांग्रेस ने पूरी कोशिश की कि अयोध्या के रामजन्म भूमि स्थल पर प्राचीन राम मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद का ढांचा खड़ा करने का सत्य छिपाये रख कर वोटबैंक की राजनीति की जाए । जब संतों के मार्गदर्शन में सत्य की विजय हुई और राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन हुआ, तब महागठबंधन में शामिल किसी दल ने बधाई नहीं दी । जिन्होंने रामकाज में बाधा डाली, भ्रष्टाचार और असत्य का साथ दिया, वे जेल में हैं।

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