नवराष्ट्र मिडिया ब्यूरो
पटना। प्रदेश जदयू कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए जदयू के पूर्व स0वि0प0 सह प्रदेश प्रवक्ता डाॅ0 रणवीर नंदन एवं डाॅ0 सुनील कुमार सिंह ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसी स्वायत्त संस्था की स्वायत्ता पर चोट कर इसका गैर-भाजपा शासित राज्यों के खिलाफ दुरूपयोग कर रही है। जदयू प्रवक्ताओं ने ना सिर्फ जहरीली शराब के कारण विभिन्न भाजपा शासित राज्यों में होने वाली मौतों के प्रति एनएचआरसी के उदासीन रवैये का हवाला दिया बल्कि अन्य अप्रिय दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों के प्रति एनएचआरसी के पक्षपातपूर्ण रवैये का भी उदाहरण दिया।
प्रवक्ताओं ने गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसी भाजपा शासित राज्यों में हुई कई घटनाओं का उल्लेख किया, जिसमें सैंकड़ों लोगों की जान गई, लेकिन कहीं भी एनएचआरसी की टीम जांच के लिए नहीं गई। इसके अलावा गुजरात की मोरबी पुल दुर्घटना, किसान आन्दोलन, जाट आन्दोलन हरियाणा जैसी कई मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं का जिक्र किया, जिसमें मानवाधिकार आयोग ने कोई संज्ञान नहीं लिया। किसान आन्दोलन के दौरान एनएचआरसी ने तो सैंकड़ों किसानों की हुई मृत्यु पर जांच करने के बजाय बेशर्मी से किसानों के आन्दोलन के कारण आमजन को हुई असुविधा की जांच की।
प्रवक्ताओं ने बताया कि बिहार में जहरीली शराब से हुई मृत्यु की घटना में राष्ट्री मानवाधिकार आयोग द्वारा बिहार सरकार से रिपोर्ट मांगने के 24 घंटे के अन्दर ही एनएचआरसी की जांच टीम भेज दिया। जबकि आयोग ने बिहार सरकार को रिपोर्ट सौंपने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया था, जो बेहद शर्मनाक है।
जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि पिछले 30 वर्षों के इतिहास में पहली बार मोदी सरकार में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का पद 2015-16 एवं 2020-21 में दो बार 6 से 8 महीने के लिए रिक्त रहा। इसके अलावा आज भी एनडीए शासित तीन राज्यों में राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन नहीं हुआ है और कई राज्यों में चेयरमैन का पद वर्षों से रिक्त है। वर्ष 2019 में एक ऐसा समय भी आया जब भारत के दस राज्यों में राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन का पद रिक्त था।
जून 2021 में नियुक्त किए गए नए अध्यक्ष जस्टिस अरुण कुमार मिश्र ना केवल प्रधानमंत्री मोदी के भक्त हैं बल्कि जस्टिस रहते हुए वर्ष 2020 में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में मोदी को विश्व का सबसे दूरदर्शी नेता एवं वैश्विक स्तर के विजन से लैस व्यक्ति बताया था।
जदयू प्रवक्ताओं ने बताया कि वर्ष 2015-16 में देश में जहां कुल 1,17, 808 मामले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दर्ज किए गए, वहीँ 2017-18 में यह गिरकर महज 79,612 ही रह गए। जबकि दूसरी तरफ छभ्त्ब् का वार्षिक बजट वर्ष 2013-14 में 30.588 करोड़ रूपये से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 62.33 रूपये हो गए। हालांकि इस दौरान आयोग के विदेश दौरे बढे हैं और जनहित में किए जाने वाले जागरूकता अभियानों को बंद कर दिया गया है।
3.2 शराब सम्बंधित दुर्घटनाएं
दिनंका- राज्य – जिला मृतकों की संख्या – कारवाई –
28 मई 2021 – उत्तर प्रदेश, अलीगढ़- –87 –कोई कारवाई नही
25 जुलाई 2022– गुजरात , बोटाद —- 42- कोई कारवाई नही
फरवरी 2019 – उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहारनपुर, मेरठ, हरिद्वार और कुशीनगर –108 – कोई कारवाई नही
12 जनवरी 2021 —मध्य प्रदेश, मुरैना — 26 – कोई कार्रवाई नहीं
जुलाई 2021 — मध्य प्रदेश मंदसौर —14 —-कोई कार्रवाई नहीं
अक्टूबर 2020 –मध्य प्रदेश, उज्जैन ——14 — कोई कार्रवाई नहीं
3.3 मानवाधिकार उल्लंघन सम्बंधित अन्य घटनाएं
साल — राज्य — जिला – मृतकों की संख्या – कार्रवाई
30 अक्टूबर 2022 -गुजरात –मोरबी —-135 ———कोई कार्रवाई नहीं
2020-21 –उत्तर प्रदेश –कोविड —मृतकों के शव कोई कार्रवाई नहीं
2015-16 —आंध्र प्रदेश — रोहित वेमुला — कोई कार्रवाई नहीं
फरवरी 2016 —हरियाणा जाट आन्दोलन –30 —-कोई कार्रवाई नहीं
2020—किसान आन्दोलन दिल्ली, —हरियाणा, -पंजाब, उत्तर प्रदेश 100 से ज्यादा – कोई कार्रवाई नहीं