लव कुमार मिश्र
जगत प्रकाश नड्डा जो २० जनवरी,२०२० में विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक दल के अध्यक्ष बने थे,शीघ्र ही नए अध्यक्ष को अपना कुर्सी देंगे,नड्डा का विस्तारित कार्यकाल भी समाप्त हो चुका हैं और दिल्ली विधान सभा के चुनाव परिणाम की प्रतीक्षा थी,मंडल और जिला स्तर में निर्वाचन हो चुका है,अब प्रांतीय और राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने है ।
नड्डा जिन्हें पटना में उनके परिवार और मित्र भैया कह कर पुकारते हैं,ने बहुत ही लंबी छलांग लगाई है,पटना के आर्य कुमार रोड में एक टिंबर मर्चेंट की दुकान के ऊपर ७० की दशक में विद्यार्थी परिषद का कार्यालय होता था,जहां भैया से वरीय युवा और विद्यार्थी नेता,सुशील कुमार मोदी,अश्विनी कुमार चौबे, राजाराम पांडेय,रवि शंकर प्रसाद पटना कॉलेज और साइंस कॉलेज में अपने क्लास खत्म होने पर बैठक करते थे,जगत प्रकाश एक जूनियर विद्यार्थी के रूप में उपस्थित रहते,गंगा के किनारे रानी घाट स्थित अपने प्रोफेसर पिता के आवास से विजय सुपर स्कूटर से आते थे।इनके पिता नारायण लाल नड्डा विश्व विद्यालय में स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष थे।
प्रकाश के जुड़वा भाई भूषण भी इनके साथ रहते थे
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में दोनों भाई विद्यार्थी परिषद के उम्मीदवारों,जिनमें सुशील कुमार मोदी और रविशंकर प्रसाद भी शामिल थे,सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में चुनाव प्रचार में लगते रहे। भाजपा के बिहार और झारखंड के संगठन महामंत्री रहे,हरेंद्र प्रताप ने बताया जब वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री थे,तब जगत प्रकाश उनके सचिव थे तथा जबलपुर की कार्यकर्ता मल्लिका बनर्जी कार्यकारिणी समिति की सदस्या थी,जो कालांतर में श्रीमती नड्डा बनी।
भैया भी अपने मंझला बहनोई की तरह इंडियन आर्मी में जाना चाहते थे,उस वक्त एन डी ए में एडमिशन टेस्ट का परिणाम बुध मार्ग स्थित अशोक सिनेमा के सामने प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो के कार्यालय में दोपहर की इंडियन एयरलाइंस से करियर से आता था,वहीं पर प्रसिद्ध अंग्रेजी दैनिक द सर्चर्लाइट का कार्यालय थे, एक शाम भैया भी अपने स्कूटर से आए और मुझे बताया उन्होंने भी टेस्ट दिया है,रोल नंबर देखना है,पांच पन्ना पलटने के बाद दुखी होकर बोले,नहीं हुआ
आज यदि वे सेना में होते तो, जनरल बन कर रिटायर होते,लेकिन राजनीति में बहुत आगे बढ़े
विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता होकर भैया की ड्यूटी होती थी, स्थानीय समाचार पत्रों तथा आकाशवाणी के कार्यालयों में प्रतिदिन फ्रेजर रोड और एग्जीबिशन रोड में जाकर प्रेस नोट  देना,समाचार विभाग के लोग,विशेषकर शिक्षा बीट कवर करने वाले पत्रकारों को सर ही कहते थे,और समाचार प्रकाशन,प्रसारण के लिए निवेदन ही रहता था,उनके स्वर में।
भैया को रानी घाट के पास  सायकल चलाना सीखना वाले ९३ वर्षीय अवकाश प्राप्त प्रोफेसर रमाकांत पांडे को याद है,प्रकाश तेज था, जल्दी सीख गया था,जहां भैया ने अपने दोस्तों को आगे बढ़ाता,उन्हें विधान परिषद का सदस्य वो,वहीं अपने गुरु पर उदास रहे
भैया जिनका जनम भिखना पहाड़ी जो पटना विश्वविद्यालय के करीब है,केमिस्ट्री के प्रोफेसर जे एन चटर्जी के घर हुआ था,इनके पिता जी दरभंगा हाउस में लेक्चरर नियुक्त होकर जैन कॉलेज,आरा से आए थे
जगत प्रकाश नड्डा अपने पिता के अवकाश ग्रहण करने के बाद अपने पैतृक गांव,हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर चले गए,वहीं राजनीति में नई इनिंग्स की शुरूआत की,२८ साल में स्वास्थ्य मंत्री बने,और अब केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री है_२०१४ से
भैया का राजनीतिक भविष्य कैसा होगा,यह जगत प्रकाश ही अच्छी तरह से जानते हैं,इनके नाना जी और माता जी बहुत ही प्रसिद्ध ज्योतिष थे,इनकी सबसे बड़ी बहन,डॉक्टर शिष्टा जो प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ है,भी ज्योतिषी और हस्त रेखा विशेषज्ञ हैं,इनके पिता जी के विद्यार्थी रहे,ब्रह्मानंद ने बताया, शिष्टा दीदी पटना विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय से पामिस्ट्री और एस्ट्रोलॉजी की किताबें मंगवाती थी,मेडिकल किताबों के अलावा एस्ट्रोलॉजी पर भी खूब अध्ययन करती रही।
 भैया में अनुशासन का गुण,उनके पिता नारायण लाल नड्डा से ही आया है।वे एन सी सी के पटना कॉलेज के यूनिट में मेजर होते थे,तथा प्रत्येक रविवार को पटना कॉलेज के ग्राउंड्स पर परेड करवाते थे,जो छात्र अनुपस्थित रहता,उसे पूरे ग्राउंड्स का पांच से दस बार चक्कर लगाने का दंड मिलता था

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