सुभाष कुमार पटवारी             --     अध्यक्ष

चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज ने उद्योग, आई.टी. एवं टैक्सेशन प्रक्षेत्र से संबंधित विस्तृत ज्ञापन समर्पित

विजय शंकर

पटना। चैम्बर द्वारा उप मुख्य (वित्त) मंत्री, बिहार की अध्यक्षता में उद्योग आई.टी. एवं टैक्सेशन प्रक्षेत्र से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श हेतु बजट पूर्व बैठक में विस्तृत सुझाव समर्पित

आज 21 जनवरी 2025 को उद्योग, आई.टी. एवं टैक्सेशन प्रक्षेत्र से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श के लिए माननीय उप मुख्य (वित्त) मंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता एवं उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा की उपस्थिति में बजट पूर्व बैठक हुई जिसमें बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज की ओर से उद्योग, आई.टी. एवं टैक्सेशन प्रक्षेत्र से संबंधित विस्तृत ज्ञापन समर्पित किया गया ।

चैम्बर अध्यक्ष सुभाष कुमार पटवारी ने चैम्बर द्वारा उठाये गये सभी बिन्दुओं को धैय पूर्वक सुनने एवं उसके निदान के लिए विभाग की ओर से पहल करने का आश्वासन देने के लिए माननीय उप मुख्य (वित्त) मंत्री एवं माननीय उद्योग मंत्री तथा विभाग के वरीय पदाधिकारियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।

बैठक में चैम्बर की ओर से उपाध्यक्ष प्रदीप चौरसिया, महामंत्री पशुपति नाथ पाण्डेय, अभिजित वैद, सुनील कुमार एवं आशीष प्रसाद सम्मिलित हुए ।

चैम्बर अघ्यक्ष सुभाष पटवारी ने बताया कि बजट पूर्व बैठक में माननीय उप मुख्य (वित्त) मंत्री को निम्नांकित प्रमुख बिन्दुओं पर ध्यान दिलाया गया :-

– अभी तक जो उद्योग विभाग का बजट रहा है वह काफी कम प्रतीत होता है 2025-2026 में उद्योग विभाग के बजट को औद्योगिकरण को गति प्रदान करने हेतु बढ़ाया जाना चाहिए ।

– बियाडा की ओर से मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट के साथ-साथ एमएसएमई की परिभाषा के अन्तर्गत आनेवाले सभी उद्यमों को भूमि का आवंटन किया जाना चाहिए ।

– उद्योग के लिए भूमि की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए भूमि बैकों की स्थापना किया जाना चाहिए, बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि की खरीद के लिए उद्यमी एवं किसान के बीच सरकार को फेसिलिटेटर की भूमिका का निर्वहन करना चाहिए तथा ज्यादा से ज्यादा इंडस्ट्रियल एरिया की स्थापना किया जाना चाहिए ।

– डोभी के अतिरिक्त गया और कैमूर के बीच कम-से-कम दो अन्य औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना की जानी चाहिए ।

– उद्योगों को प्रत्येक साल फायर ऑडिट कराने की अवधि को बढ़ाकर पॉंच साल किया जाना चाहिए ।

– बिजली की दर को पूर्णनिर्धारण करके पड़ोसी राज्यों के समकक्ष किया जाना चाहिए अथवा उद्योगों को सब्सीडी के रूप में सहयोग राशि दी जानी चाहिए ।

– पावापुरी, काकोलत, बिक्रमशिला भागलपुर गया, नंदनगढ़, लौरिया बेतिया, केसरिया, बराबर की गुफा, सीतामढ़ी को पर्यटन स्थल का दर्जा दिया जाना चाहिए ।

– राज्य के लिए भूजल प्राधिकरण को चालू किया जाना चाहिए इससे उद्यमियों को सुविधा के साथ-साथ राज्य को राजस्व की प्राप्ति होगी ।

– हल्दिया और इलाहाबाद के बीच कार्गो की आवाजाही हेतु पटना के रास्ते गंगा नदी में जल मार्ग में आवश्यक सुधार करके प्रारम्भ किया जाना चाहिए।

– कोल्ड स्टोरेज के प्रमोशन के लिए कोल्ड स्टोरेज को विद्युत की आपूर्ति एग्रीकलचर के लिए निर्धारित विद्युत की दरों के समान ही की जानी चाहिए जैसाकि पश्चिम बंगाल में है ।

– राज्य सरकार तथा इसके विभिन्न उपक्रमों में होनेवाली खरीद में स्थानीय उद्योगों की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।

– उद्यमियों के प्रोत्साहन राशि से संबंधित जो भी लंबित मामले हैं उनका निपटारा शीघ्रातिशीघ्र किया जाना चाहिए ।

– पटना सहित बिहार में आईटी अवसंरचना तथा डिजिटल कनेक्टिविटि को और बढ़ाया जाना चाहिए साथ ही साथ हैदराबाद के तर्ज पर पटना के आस-पास आईटी पार्क स्थापित किया जाना चाहिए ।

– आई.टी. सेक्टर की भांति आई.टी. के लिए इन्फ्रास्ट्रकचर का निर्माण कर रहे उद्यमियों को भी सभी प्रकार के इनसेंटिव देने हेतु आवश्यक फंड का प्रावधान किया जाना चाहिए ।

– वर्तमान में रिश्तेदार एवं पब्लिक चैरीटेबल ट्रस्ट को अचल संपत्ति उपहार में देने पर सामान्य दर से ही स्टाम्प ड्यटी एवं निबंधन शुल्क लगायी जाती है जो व्यवहारिक प्रतीत नहीं होता है साथ ही इस कारण से कई प्रकार के भूमि संबंधी विवाद भी उत्पन्न होते हैं । अतः रिश्तेदार एवं पब्लिक चैरीटेबल ट्रस्ट को उपहार किए गए अचल संपत्ति पर स्टाम्प ड्यटी एवं निबंधन शुल्क के मद में अधिकतम एक मुश्त 5000/- रूपया निर्धारित किया जाना चाहिए ।

– गैर-आवासीय सम्पत्ति कर के वार्षिक किराया को दुगुणा-तीनगुणा वृद्धि कर दिया गया है जो व्यवहारिक प्रतीत नहीं होता है । सरकार द्वारा व्यवसायियों से पूर्व से ही कई प्रकार के करों की वसूली की जा रही है उसके बावजूद एक और आर्थिक बोझ डालना न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता है। अतः यह वृद्धि अधिकतम 10% से 15% तक ही होना चाहिए, इस पर पुनर्विचार किया जाए।

– बिहार पेशा कर के अन्तगर्त हरेक व्यवसायिक या पेशे से जुड़े प्रतिष्ठान को वार्षिक रकम का भुगतान करना होता है । उक्त अधिनियम को या तो पूर्ण रूप से हटाने पर विचार करना चाहिए अथवा दुकान एवं प्रतिष्ठान से जोड़ने पर विचार करना चाहिए ।

– व्यवसायियों को वैट/जीएसटी प्रतिपूर्ति के दावों को प्राप्त करने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है । अतः जीएसटी प्रतिपूर्ति के क्लेम का तेजी से निष्पादन हेतु आवश्यक कदम उठाया जाना चाहिए जिससे कि उद्योगों को प्रतिपूर्ति राशि मिल सके और फंड का ब्लॉकेज न हो ।

– राज्य में ई-वे की वर्तमान सीमा जो 1 लाख है उसे बढ़ाकर 3 लाख रूपये किया जाना चाहिए । इससे छोटे करदाताओं के व्यापार में बढ़ोत्तरी एवं सुविधा होगी । ई-इनवायस जिन करदाताओं को लागू है उनको एक ही शहर के अन्दर माल के आवागमन पर ई-वे बिल की अनिवार्यता को समाप्त किया जाना चाहिए ।

– लगातार दो माह का रिटर्न फाइल नहीं होने पर ई-वे बिल ब्लॉक कर दिया जाता है । उक्त 2 महीने का समय काफी कम है । इसे सामान्य श्रेणी के लिए 6 महीने की रिटर्न एवं कम्पोजिशन श्रेणी के लिए 2 त्रैमासिक की रिटर्न फाइल नहीं होने पर लागू किया जाना चाहिए ।

 

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