तीन नये आपराधिक क़ानूनों पर पटना में दो दिवसीय कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न
विजय शंकर
पटना। गृह विभाग, बिहार एवं माननीय पटना उच्च न्यायालय के समन्वय से तीन नये आपराधिक क़ानूनों पर ज्ञान भवन, पटना में आयोजित दो दिवसीय (27 एवं 28 जुलाई 2024) कार्यशाला आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इसमें राज्य के सभी जिलों के जिला एवं सत्र न्यायाधीशों, जिला पदाधिकारियों, वरीय पुलिस अधीक्षकों/पुलिस अधीक्षकों, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारियों, लोक अभियोजकों एवं जिला अभियोजन पदाधिकारियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त विधिवेत्ताओं तथा विषय-विशेषज्ञों ने वक्ता के रूप में सहभागिता की तथा न्यायिक, प्रशासनिक एवं पुलिस पदाधिकारियों को नए आपराधिक क़ानूनों के विभिन्न आयामों को विस्तारपूर्वक समझाया।
मुख्य अतिथि माननीय न्यायमूर्ति के. विनोद चन्द्रन, मुख्य न्यायाधीश, पटना उच्च न्यायालय; माननीय न्यायमूर्ति श्री आशुतोष कुमार, पटना उच्च न्यायालय; विद्वान महाधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय श्री पी के शाही; माननीय न्यायमूर्ति श्री जॉयमाल्या बागची, कोलकाता उच्च न्यायालय; माननीय न्यायमूर्ति श्रीमती अनन्या बंद्योपाध्याय, कोलकाता उच्च न्यायालय; मुख्य सचिव, बिहार श्री ब्रजेश मेहरोत्रा; पुलिस महानिदेशक, बिहार श्री आर एस भट्टी; विकास आयुक्त, बिहार श्री चैतन्य प्रसाद; प्रधान सचिव, गृह विभाग श्री अरविंद कुमार चौधरी; निदेशक, बिहार पुलिस अकादमी, राजगीर श्री ब्रिघु श्रीनिवासन; सीनियर एडवोकेट श्री बी जी हरिंद्रनाथ; असिस्टेंट प्रोफेसर, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, नई दिल्ली श्री नीरज तिवारी एवं अन्य गणमान्य अतिथियों ने कार्यशाला में भाग लेकर नए आपराधिक क़ानूनों की आवश्यकता, प्रासंगिकता एवं विभिन्न प्रावधानों पर व्याख्यान दिया।
दो दिवसीय सेमिनार के दूसरे दिन प्रथम वक्ता के रूप में पुलिस महानिदेशक, बिहार श्री आर एस भट्टी ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया तथा तीन नए आपराधिक क़ानूनों के क्रियान्वयन पर पुलिस के नजरिए से परिचर्चा की। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं। प्रथम यह है कि इनसे एक डिजिटल आपराधिक न्यायिक प्रणाली का विकास होगा। द्वितीय इससे संगीन अपराधों की जांच विधि-विज्ञान की सहायता से दृढ़तापूर्वक की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि तीसरा पहलू यह है कि यह प्रणाली काफी पारदर्शी एवं नागरिकों के अनुकूल है। पुलिस महानिदेशक द्वारा बताया गया कि अब सभी प्रकार की सूचना ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त अथवा दर्ज की जा सकेगी। इसके लिए सभी प्रकार की तकनीकी व्यवस्था की गई है। पुलिस की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है। महिलाओं की मदद हेतु महिला हेल्प डेस्क प्रणाली का बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बहुत जल्दी व्हाट्सएप सेवा की शुरुआत भी की जायेगी। पारदर्शिता को बढ़ावा देने हेतु सीसीटीएनएस सिस्टम जो कि आईसीजेएस का एक अभिन्न अंग है उसपर कार्य किया जा रहा है। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि बदलती ज़रूरतों के अनुसार पुलिस के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का भी विकास किया जा रहा है जो सभी प्रकार की आधुनिक तकनीकों से लैस होगा। उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि हम नागरिकों को सरल कानूनी प्रणाली प्रदान करने के लिए काफी बदलाव करने में सफल हुए हैं तथा ये बदलाव एक मजबूत जांच एवं न्यायिक प्रणाली बनाने में मदद करेगा।
कार्यक्रम में द्वितीय वक्ता के रूप में माननीय न्यायमूर्ति श्रीमती अनन्या बंद्योपाध्याय, कोलकाता उच्च न्यायालय ने तीन नए आपराधिक कानून-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम- के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए उसके विभिन्न पहलुओं को समझाया। उन्होंने कहा कि नवीन प्रणाली में न सिर्फ जांचकर्ता तथा नागरिकों को डिजिटल माध्यम उपलब्ध होगा बल्कि साक्ष्य भी डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराए जा सकेगा। उन्होंने न्यायिक प्रणाली के दृष्टिकोण से भारतीय साक्ष्य अधिनियम की बारीकियां समझाईं। उन्होंने कहा कि सभी स्टेकहोल्डर्स यदि नई प्रणाली का अनुसरण करेंगे तो सभी के लिए सरल एवं अक्षुण्ण न्यायिक प्रणाली का निर्माण किया जा सकेगा।
इसके बाद सेमिनार में सभी प्रतिभागियों के लिए ओपन सेशन डिस्कशन का आयोजन किया गया। माननीय न्यायाधीशों, विधिवेत्ताओं तथा विषय-विशेषज्ञों ने तीन नए आपराधिक क़ानूनों-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम, सीसीटीएनएस, आईसीजेएस तथा अन्य संबंधित विषयों पर न्यायिक, प्रशासनिक एवं पुलिस पदाधिकारियों के एक-एक प्रश्न का जवाब दिया।
अंत में विशेष सचिव, गृह विभाग श्रीमती के. सुहिता अनुपम ने सभी माननीय न्यायाधीशों, विधिवेत्ताओं, विषय-विशेषज्ञों सहित जिला एवं सत्र न्यायाधीशों, जिला पदाधिकारियों, वरीय पुलिस अधीक्षकों/पुलिस अधीक्षकों, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारियों, लोक अभियोजकों, जिला अभियोजन पदाधिकारियों के प्रति सेमिनार की सफलता के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।