जदयू में नामों पर नीतीश का मंथन जारी, भाजपा में नाम तय करने को आये भूपेंद्र यादव

विजय शंकर
पटना । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों दो राहे पर उलझे पड़े हैं । दोनों दलों की उलझन अभी ख़त्म नहीं हुई है और मंथन का दौर चल रहा है । मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दलों के शीर्ष नेताओं पर दबाव बनाने की कोशिश चल रहीं है । दूसरी तरफ यह माना जा रहा है कि मनोनयन वाली 12 एमएलसी सीटों को लेकर भी उनपर खासा दबाव बना हुआ है । इन्हीं दोनों मुद्दों को लेकर लगातार बैठकों का दौर, साथ-साथ अपने सहयोगी दलों के साथ भी उनकी माथापच्ची चल रही है । फिर भी अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिससे यह पता चले कि मत्रिमंडल का विस्तार कब होगा, मंत्रिमंडल के विस्तार में और कौन-कौन मंत्री बनेंगे । पर इतना जरुर है कि मनोनयन वाले बिहार विधान परिषद् सीटों पर नाम तय हो जाने के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार का मामला हाल हो पायेगा ।

 

जदयू से जुड़े नेता जिनके साथ नीतीश की उठक-बैठक है, वह कहते हैं कि इस मुद्दे पर कुछ भी बोलना मुनासिब नहीं क्योंकि नीतीश जो भी करेंगे अच्छा करेंगे, जो भी करेंगे अपने मन का करेंगे, जो भी करेंगे वह दलों के बीच आपसी सहमति लेकर ही करेंगे । इसलिए जब तक मंत्रियों की सूची का खुलासा नहीं हो जाता तब तक कुछ कहना मुश्किल है । हालाँकि आज भाजपा के बिहार प्रभारी व सांसद भूपेंद्र यादव पटना में आ गए हैं और उम्मीदवार, विधायक तय किये जायेगे । ऐसा माना जा रहा इस बार का भूपेंद्र यादव का दौरा मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर काफी महत्वपूर्ण होगा ।
हालांकि पिछले दिनों अपने सहयोगी दल भाजपा के साथ हुए मनमुटाव के बीच उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार को यूं ही टाल दिया था और कह दिया था कि भाजपा जब चाहेगी तब विस्तार हो जायेगा । अब मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर उचित माहौल बन चुका है । दोनों दलों के बीच कई राउंड की बातचीत हो चुकी है । वैसे अब माना जा रहा है कि भाजपा और जदयू मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर काफी कुछ निर्णय करने की स्थिति में आ चुके हैं और शीघ्र ही मंत्री बनने वालों के नामों का घोषणा भी दोनों दल करेंगे। हालांकि अगर ताजे हालात को देखा जाए तो इतना स्पष्ट है कि जदयू ने जो मंत्रिमंडल विस्तार को सोचा है उसमें नाम लगभग तय कर लिए लेकिन दूसरी तरफ भाजपा मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अभी बहुत कुछ तय नहीं कर पाई है और अभी भी अनिर्णय की स्थिति में है ।
पिछले दिनों अपने सहयोगी दल भाजपा के साथ हुए मन मुटाव के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल विस्तार को यूं ही टाल दिया था । जबकि अरुणाचल प्रदेश के जदयू विधायकों के भाजपा में जाने का मामला बिलकुल अलग था और उसमें न तो भाजपा की कोई चाल थी और नहीं जदयू से कोई नाराजगी की बात थी । भाजपा -जदयू के बीच रिश्तों में आई दरार लगभग बिहार मंत्रिन्मंडल विस्तार के परिपेक्ष्य में पट सी गयी है लेकिन बंगाल चुनाव का मसला अभी दोनों दलों के बीच उलझा ही हुआ है । यह कहना गलत नहीं होगा कि राजनीति एक शतरंज की तरह खेल है और अभी खेल जारी है , बस शाह-मात बाकी है ।
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रही रस्सा-कसी के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बातचीत का दौर भाजपा के बिहार के नेताओं से चल रहा है । भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जयसवाल नीतीश से मिलने के बाद उनसे मिल चुके हैं । उनके बाद दूसरे दौर में उप उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद भी जेपी नड्डा से मिल चुके हैं । अब आज भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव मिलन समारोह के बहाने पटना आ चुके हैं जिसमें मुख्य मुद्दा मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर नेताओं का चयन भी है । ऐसा माना जा रहा है कि सूची को अंतिम रूप से तैयार कर उसे केन्द्रीय नेतृत्व को सौंप देनें ताकि उसपर मुहर लग सके ।

दूसरी तरफ जदयू नेताओं के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी दो दिवसीय बैठक में काफी कुछ तय करने में सफल हो गए हैं । पिछले बार जो मंत्रिमंडल का विस्तार 16 नवंबर को हुआ था उस मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सभी प्रमुख जातियों को मंत्रिमंडल में तो हमने शामिल कर लिया है लेकिन अल्पसंख्यक में कोई जीतकर नहीं आया, ना तो जदयू से आया ना तो भाजपा या अन्य सहयोगी दलों से ही आया । अल्पसंख्यक को मंत्रिमंडल में होना उन्होंने जरूरी समझा था जो हम नहीं कर पाए । अब स्थिति बदल गई है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने अल्पसंख्यक चेहरा के रूप में दो लोग मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल होने वाले हैं । एक भाजपा की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन और दूसरे जदयू की ओर से बसपा से जदयू में शामिल हुए मुस्लिम विधायक जमा खान हैं , जिन्होंने पिछले दिनों वशिष्ठ नारायण सिंह से मुलाकात कर अपनी मन की बात कह दी थी । हालांकि पिछले दिनों जब प्रदेश जदयू अध्यक्ष से वह मिलकर आए थे तो उन्होंने साफ तौर पर कहा था यह कोई राजनीतिक मुलाकात नहीं, बल्कि एक औपचारिक मुलाकात थी जो औपचारिक मुलाकात अब स्वाभाविक मुलाकात में बदल गई है । हालाँकि एक बड़ा तबका कायस्थ समाज का भी है जिसको मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला है जबकि भाजपा-जदयू को एकमुश्त वोट कायस्थ समाज ने भी दिया है ।
अब देखना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंत्रिमंडल का विस्तार कब करते हैं और कौन-कौन लोग मंत्रिमंडल में शामिल होते हैं । इसका पत्ता अभी तक किसी भी दल ने नहीं खोला ।

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