सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मजाक बना रही है केंद्र सरकार, एसबीआई को 30 जून तक का समय क्यों चाहिए?
विधान परिषद् के लिए स्कीम वर्कर्स की नेता शशि यादव को माले ने बनाया उम्मीदवार
झारखंड में सीट शेयरिंग संपन्न, कोडरमा सीट से लड़ेगी माले
बिहार में सीट शेयरिंग अंतिम प्रक्रिया में, दो-तीन दिनों में हो जाएगा फाइनल
3 मार्च की रैली ने इंडिया गठबंधन की दमदार उपस्थिति व आक्रमक एजेंडे को लाया सामने
आगामी लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण लागू करे मोदी सरकार
vijay shankar
पटना 6 मार्च : भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने आज पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र सरकार इलेक्टोरल बाॅन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मजाक बना रही है. फैसले के मुताबिक एसबीआई को सारे चुनावी बान्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देनी थी, लेकिन दो दिन पहले एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक का समय मांगा है. इस डिजिटल जमाने में सिर्फ 22,217 चुनावी बाॅन्ड की जानकारी देने में इतना समय आखिर क्यों चाहिए? जाहिर सी बात है कि मोदी सरकार के दवाब में एसबीआई ऐसा कर रही है ताकि चुनावी बाॅन्ड की जानकारी सार्वजनिक न हो सके. हम उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर अडिग रहेगा.
एसबीआई की अपील से साफ है कि मोदी के असली परिवार देश के मजदूर-किसान या छात्र-नौजवान नहीं बल्कि काॅरापोरेट हैं. यह चंदा नहीं बल्कि राजनीतिक रिश्वत है. इलेक्टोरल बाॅन्ड सबसे बड़ा घोटाला है. पूरी जानकारी आ जाए तो मोदी सरकार बेपर्द हो जाएगी. भाजपा का आर्थिक व राजनीतिक भ्रष्टाचार का मुद्दा लोकसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा होगा.
3 मार्च की रैली काफी कम समय में एक अच्छी रैली हुई. और ज्यादा भागीदारी होनी चाहिए थी, लेकिन खराब मौसम के कारण थोड़ी दिक्कत हुई. हमारे लोग 2 मार्च की ही रात में आ गए थे. बरसात से बचाव की कोई तैयारी नहीं थी. लोगों को बहुत तकलीफ हुई. बावजूद रैली ने देश व राज्य में अच्छा संदेश दिया है.
यह कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार के पाला बदल लेने के बाद इंडिया गठबंधन बिखर गया, लेकिन रैली ने सारे भ्रम का जवाब दिया है. रैली से इंडिया गठबंधन की मजबूत उपस्थिति व आक्रामक एजेंडा फिर से सामने आया है.
9-10 मार्च को पटना में पोलित ब्यूरो की बैठक है. झारखण्ड में सीट शेयरिंग हो गई है. कोडरमा सीट इंडिया गठबंधन से हमारे लिए फाइनल हो गया है. बिहार में बातचीत का क्रम जारी है. दो से तीन दिनों में यहां भी फाइनल हो जाएगा. बिहार-झारखंड व यूपी-महाराष्ट्र में 2019 से बिलकुल उलटा चुनाव परिणाम सामने आएगा. बिहार पूरे देश में बदलाव की अगुवाई करेगा.
ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार आने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बड़ी – बड़ी बातें करेंगी, लेकिन हमारा कहना है कि वह इस लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण को लागू करे और बृजभूषण शरण सिंह जैसे बलात्कारियों व बलात्कारियों के संरक्षकों को चुनाव की पूरी प्रक्रिया से दूर रखे.
मोदी सरकार के 10 साल में महिलाओं पर सबसे ज्यादा हमले हुए हैं. महिला खिलाड़ियों से लेकर मणिपुर, बीएचयू, बिहार के भीतर भी, महिलाओं के उत्पीड़न में ताकतवर लोग शामिल रहे हैं. सरकार चुप रहती है. सत्ता और नीति निर्धारक संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़े और उनके सम्मान की बात हो.
हमारी पार्टी व ऐपवा की तरफ से पूरे देश में महिलाओं की आजादी व बराबरी तथा नीति निर्धारक संस्थाओं में महिलाओं की जगह बढ़ाने के लिए 8 मार्च को देशव्यापी कार्यक्रम होगा.
बिहार विधान परिषद् के लिए भाकपा-माले ने महागठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी के बतौर स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय महासचिव का. शशि यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है.
शशि यादव ऐपवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा कि सभी स्कीम वर्करों को जीवन जीने लायक वेतनमान की व्यवस्था हमारी प्रमुख लड़ाई है.
इस बीच बिहार में विधायकों की खरीद-फरोख्त के खिलाफ दलित-गरीबों व वंचित समुदाय की दावेदारी को आगे बढ़ाने के लिए 7 मार्च को सासाराम और 8 मार्च को विक्रम में नागरिक कन्वेंशन का आयोजन किया गया है. कन्वेंशन में माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य भाग लेंगे.
संवाददाता सम्मेलन में उपरोक्त वक्ताओं के अलावा विधायक दल नेता का. महबूब आलम, वरिष्ठ नेता केडी यादव, सरोज चैबे, मंजू प्रकाश और अनीता सिन्हा भी मौजूद थे.