पार्टी महाधिवेशन और 15 फरवरी की रैली को लेकर माले का राज्यस्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन.

vijay shankar 

पटना : भाकपा-माले के पटना में होने वाले 11 वें महाधिवेशन और15 फरवरी 2023 को गांधी मैदान में आयोजित लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली की तैयारी के सिलसिले में आज पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में राज्य स्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन का आयोजन हुआ. राज्य स्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन में भाकपा-माले महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य सहित सभी वरिष्ठ पार्टी नेतागण, जिला सचिव और पार्टी कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. कार्यकर्ता कन्वेंशन से 8 सूत्री प्रस्ताव भी पारित किए गए.

कन्वेंशन को संबोधित करते हुए माले महासचिव  दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी राज में हमारे देश के लोकतंत्र पर चौतरफा हमला हो रहा है और ‘देश’ के नाम पर ‘देश की जनता’ के ही बड़े हिस्से को लगातार निशाना बनाया जा रहा है.
कारपोरेट, खासकर अडानी-अंबानी देश में फासीवादी मुहिम का नेतृत्व करनेवाली ताकतों – आरएसएस व भाजपा के साथ मजबूती से खड़े हैं. वे भाजपा को सरकार में बनाये रखने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं और बदले में भाजपा देश की नीतियों में बदलाव लाकर और संस्थाओं पर दबाव डालकर कीमती प्राकृतिक संसाधनों समेत सार्वजनिक इलाके की तमाम संस्थाओं को उनके हाथों गिरवी रख रही है. भाजपा देश के लिए सचमुच एक विपदा बनकर सामने आई है.

उन्होंने आगे कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वंस से जो सिलसिला शुरू हुआ और 2002 गुजरात जनसंहार से परवान चढ़ा, उसे भाकपा (माले) ने ही सबसे पहले ‘साम्प्रदायिक फासीवाद’ के बतौर चिन्हित किया था. हम इन ताकतों के खिलाफ लगातार मजबूती से खड़े हैं.

 

आज हिमाचल में मोदी अपने चेहरे पर वोट मांग रहे हैं. गुजरात में अमित शाह 2002 को याद दिलाते हुए ‘स्थायी शांति’ कायम करने की धमकी दे रहे हैं. परेश रावल कह रहे हैं कि गुजराती महंगाई-बेरोजगारी को तो झेल सकते हैं लेकिन अपने पड़ोस में किसी मुसलमान को नहीं. वे महंगाई का मुकाबला नफरत से करने की बात करते हैं. हमें महंगाई से भी लड़ना है और नफरत से भी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बाबरी ध्वंस को अपराध माना गया था. पर इस पर अब कोई चर्चा नहीं होती. इससे हौसला पाकर संघ परिवार ‘काशी-मथुरा और देश के अनेक धरोहरों को निशाना बना रहा है और सुप्रीम कोर्ट भी उन्हें हवा दे रहा है.

सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की नियुक्ति का मामला विचाराधीन है. इसी बीच चुनाव आयोग में एक अधिकारी को सेवा निवृति देकर बैठा दिया गया है.
न्यायपालिका में आरक्षण नहीं है. यह भी एक बड़ा सवाल है. सरकार की परेशानी दूसरी है. वह कॉलेजियम से परेशान है और इसको बदल देना चाहती है. उसको भी अपने जेब में रख लेना चाहती है. अभी जो अघोषित आपातकाल है, वह स्थायी है. अगला 2024 का चुनाव इससे मुक्ति के लिए है. यह देश की जनता की आकांक्षा है.

पूरे देश की निगाह बिहार पर लगी है क्योंकि बिहार ने एक नया रास्ता दिखाया है. बिहार के इस मॉडल की चर्चा पूरे बिहार में है. लोग यह भी कह रहे हैं कि अगर बिहार में भाकपा(माले) को और सीटें मिली होतीं तो बिहार की तस्वीर कुछ और होती.

हमे पूरे देश में यह संदेश देना है कि भारत में फासीवाद के खिलाफ लड़नेवाली ताकतें मौजूद हैं.
हमें अपने महाधिवेशन को जनान्दोलनों के उत्सव में बदल देना है. उत्साह के बिना उत्सव पूरा नहीं हो सकता, इसलिए पार्टी कतारों में उत्साह का संचार होना चाहिये. रैली व महाधिवेशन में हमें नया रिकॉर्ड बनना होगा और इसके लिए जनता के ज्वलन्त सवालों महंगाई-बेरोजगारी के खिलाफ सम्मानजनक रोजगार, एमएसपी की मांग, बटाईदारी के सवाल को प्रमुखता से उठाना होगा. सवर्ण आरक्षण के खिलाफ भाकपा(माले) ही एकमात्र पार्टी है जो लगातार बोल रहीं है.

15 फरवरी की रैली जब सब लोगों की रैली बन जाएगी तभी बिहार में महागठबन्धन की नीतीश सरकार भी भाजपाई तर्ज पर चलना बन्द कर देगी और उसे वैकल्पिक रास्ता चुनने होंगे.

नौजवानों, महिलाओं, स्कीम वर्करों की भारी तादाद को पार्टी कतारों में शामिल कर हमें अपनी पार्टी की ताक़त बढाना होगा. तभी हम भाजपाई साम्प्रदायिक फासीवाद का मुकाबला कर सकते हैं और हमें इसके लिए एक  बड़ा लक्ष्य इसी बीच पूरा कर लेना है.

हमें पार्टी महाधिवेशन की तैयारी, इसके व्यापक प्रचार और इसके लिए धन संग्रह के काम को भी एक नये जुनून से लैस होकर करना होगा, तभी हम अपने दिवंगत नेताओं – कामरेड विनोद मिश्र और कामरेड रामनरेश के सपनों को पूरा कर पाएंगे.

कार्यकर्ता कन्वेंशन की अध्यक्षता कामरेड पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, विधायक बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, नईमुद्दीन अंसारी, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी व विधायक गोपाल रविदास ने की. संचालन भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड धीरेन्द्र झा ने की. भाकपा(माले) राज्य सचिव कामरेड कुणाल ने कन्वेंशन की विषय सूची को विस्तार से पेश किया. कन्वेंशन को भोजपुर, सिवान, रोहतास, दरभंगा, पटना, नालन्दा समेत राज्य के दो दर्जन सभी अधिक जिला सचिवों ने सम्बोधित किया.

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