गीता पर प्रवचन देते स्वामी पंडित आनंद सुब्रमण्यम शास्त्री

शीला मैरिज हॉल में सात दिवसीय संत समागम और गीता ज्ञान सत्संग शुरू

रामचरित मानस के प्रवचनकर्ता कुशेश्वर चौधरी के दायें सुदर्शन प्रसाद सिन्हा व बाएं हरेराम

विजय शंकर
पटना : बाल किशन गंज स्थित शीला मैरिज हॉल में आज से शुरू हुए सात दिवसीय संत समागम और गीता ज्ञान सत्संग के मौके पर गीता प्रवचन देते हुए आध्यात्मिक चिंतक आचार्य पंडित आनंद सुब्रमण्यम शास्त्री ने कहा कि आज चारों ओर दुख, अंधकार और अपराध दिखते हैं और उसका सबसे बड़ा कारण नकारात्मक विचार का हो जाना है अगर लोगो का विचार सकारात्मक हो तो ये चीजें नहीं होंगी । और इसके लिए ही सत्संग सुनना जरुरी है मगर दुर्भाग्य है कि लोगों को सत्संग सुनने के लिए फुर्सत नहीं, और मीडिया को भी सत्संग कवर करने के लिए पत्रकार नहीं है ।
गीता संदेशों पर चर्चा करते हुए आचार्य पंडित आनंद सुब्रमण्यम शास्त्री ने कहा कि लक्ष्य की ओर लोग नहीं देखते , अगर लक्ष्य पर नजर रहे तो बहुत सारी समस्याएं स्वत: खत्म हो जाएंगी । अगर लक्ष्य की ओर लोग जाते तो महाभारत का युद्ध नहीं होता । आज लोगों के विचार प्रदूषित हो गए हैं , विचार को सकारात्मक होना चाहिए । नकारात्मक विचारों से ही अपराध बढ़ते हैं और हत्याएं बढती है और आज स्थिति ऐसी है कि हर जगह अपराध, हत्याएं और बुरे कर्म लोग देख रहे हैं । जिसके कारण ही लोगों की भीड़ भी इसी ओर जा रही है जिस पर रोक तभी होगा, जब लोगों के विचार प्रदूषण रहित होंगे ।

उन्होंने कहा कि कर्म और धर्म जीवन में काफी महत्वपूर्ण है । वचन पर भी नियंत्रण जरूरी है । वाणी के दुरुपयोग से कुछ भी अनर्थ हो जायेगा । उन्होंने भगवान राम के वन जाने की बात की चर्चा करते हुए कहा कि राजा दशरथ ने भगवान राम को वन जाने के लिए कभी नहीं कहा, मगर कर्तव्यों के पालन के लिए भगवान राम वन चले गए । उन्होंने कहा कि आत्म विश्वास जीवन में जरूरी है, आत्मविश्वास नहीं होने से ही आज अपराध हत्या जैसे चीजों का विस्तार हो रहा है । आज आत्म विश्वास की कमी हो गई है जिसके कारण अपराध बढ़ रहे हैं । गलत काम से दुख मिलता है, फिर भी हर कोई गलत कार्य करने में लगा है और वही दुख का कारण बनता है । उन्होंने कहा कि गीता में भी अद्भुत आत्म विश्वास का वर्णन है और कर्म योग के बारे में चर्चाएं हैं । कर्म मार्ग जो बीच का मार्ग है मगर जो बाहर से जाता है वह सन्यासी का मार्ग है । उन्होंने कहा कि अगर देखा जाए तो कामचोर लोग ही संन्यास लेते हैं क्योंकि घर बैठे ही लोगों को बहुत कुछ मिल जाता है ।

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