किसानों पर मोदी का आघात-नीतीश का विश्वासघात

विजय शंकर
पटना । कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज संवाददाता सम्मलेन में कहा कि जदयू-भाजपा सरकार राज्य में हो या मोदी सरकार केंद्र में, दोनों ही देश के अन्नदाता किसानों पर कहर बनकर टूट पड़ी हैं । सीमांचल में किसान पर ढाए जा रहे इस कहर का सबसे काला अध्याय जदयू-भाजपा सरकार ने लिखा है। मोदी सरकार मुट्ठी भर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए किसान विरोधी तीन काले कानून लाती है और उसकी प्रेरणा नीतीश सरकार की दमनकारी नीतियों से पाती है। चाहे मंडियों को समाप्त करना हो, समर्थन मूल्य और फसल बीमा से किसानों को वंचित करना हो या जमाखोरों और पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना हो, नीतीश और मोदी सरकारें किसानों से एक जैसा दुर्व्यवहार करती रही हैं। ऐसी जदयू-भाजपा सरकार को बदलने का समय आ गया है। बिहार 15 साल का हिसाब मांगता है , जवाब मांगता है ।

आइये जानें, नीतीश सरकार में बिहार के किसानों से कुठाराघात का पर्दाफाशः
1. कपटी नीतीश सरकार ने किया मक्का किसानों से छल – 3000 करोड़ रु. का नुकसान पहुंचाया । बिहार ‘मक्का उत्पादन’ में देश के तीन सबसे बड़े राज्यों में है। बिहार में प्रतिवर्ष 31,00,000 मीट्रिक टन मक्का उत्पादन होता है। सीमांचल मक्का उत्पादन का ताज है। बिहार के 11 जिले ‘मक्का कॉरीडोर’ के रूप में जाने जाते हैं – मधेपुरा, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़िया , अररिया, भागलपुर है । बिहार में मक्का की औसत लगभग 5 हजार किलो प्रति हेक्टेयर है, पर पूर्णिया में औसत प्रति हेक्टेयर मक्का उत्पादन 9,188 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। नीतीश सरकार ने बिहार के मक्का उत्पादन करने वाले किसानों की पीठ में विश्वासघात का खंजर घोंप दिया है। अप्रैल माह से ही बिहार के किसान नीतीश सरकार से 1850 रु. प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर मक्का खरीद की गुहार लगाते रहे और भाजपा-जदयू किसान का मक्का 800रु.-900रु. प्रति क्विंटल में बिचौलियों को बिकवाते रहे । सच्चाई यह है कि मक्का खरीद को नीतीश सरकार ने जमाखोरों और बिचौलियों के हवाले कर दिया ।

जब किसान अदालत की शरण में गए, तो ‘’कपटी नीतीश सरकार’’ ने पटना उच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर कहा कि न उनके पास मक्का रखने के लिए पर्याप्त जगह है और न ही केंद्र सरकार ने कोई गाईडलाईन जारी की । इससे भी आश्चर्यजनक बात यह है कि मोदी सरकार ने लोकसभा में 15 सितंबर 2020 को बताया कि चूंकि बिहार सरकार ने मक्के की खरीद के लिए कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा, अतः मोदी सरकार ने बिहार में मक्के की खरीद को मंजूरी नहीं दी। पीएम नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगाते रहे और किसान का मक्का बिचौलियों को बिकवाते रहे । इस प्रकार से नीतीश सरकार ने मक्का किसानों को लगभग 3000 करोड़ का नुकसान पहुंचाया।
2. दगाबाज़ मोदी सरकार ने भी मक्का किसानों से किया धोखा
मोदी सरकार ने चंद पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए मक्का किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया। 23 जून, 2020 को देश में मक्का आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी को 50 प्रतिशत से कम कर मात्र 15 प्रतिशत कर दिया तथा 5,00,000 मीट्रिक टन सस्ता मक्का विदेशों से मंगाने की छूट दे दी। इससे मक्का के किसानों के बाजार भाव और टूट गए।
3. 15 साल से नीतीश सरकार सीमांचल के मक्का किसान को दे रही है ‘मक्का प्रोसेसिंग प्लांट’ की झूठी पुड़िया
विडंबना यह है कि नीतीश सरकार ने सीमांचल के मक्का किसानों को फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की झूठी पुड़िया 15 साल से दे रखी है। बिहार का 80 प्रतिशत मक्का ‘प्रोसेसिंग’ के लिए दूसरे राज्यों में भेजा जाता है और प्रोसेस किया हुआ मक्का, बीज तथा मुर्गी दाने के लिए पुनः महंगे दाम पर बिहार के किसानों को बेचा जाता है।
4. बिहार में समर्थन मूल्य खरीदी केंद्र खत्म
इतना ही नहीं, नीतीश सरकार ने किसानों के साथ इतना गहरा षड्यंत्र किया है कि बिहार में समर्थन मूल्य खरीदी केंद्र खत्म किए जा रहे हैं। जहां 2015-16 में बिहार में खरीद केंद्रों की संख्या 9,000 थी, वहीं 2020-21 में घटकर मात्र 1,619 रह गई। जब खरीद केंद्र ही नहीं होंगे ,तो किसान की फसल खरीदेगा कौन । इसे ही कहते हैं कि ‘न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी’।
5. बिहार का धान का किसान बर्बादी की कगार पर
बिहार में धान के किसान को जिस प्रकार लूटा जा रहा है, वह अपनेआप में जदयू-भाजपा सरकार तथा बिचौलियों के गठजोड़ को उजागर करता है। धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य है 1850 से 1888 रु. प्रति क्विंटल, पर किसान का धान बिक रहा है 1000 से 1100 रु. प्रति क्विंटल में। कारण – नीतीश जदयू सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही नहीं करती । इसका सबूत देखिए – बिहार में धान 70-80 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष पैदा होता है। मगर बिहार सरकार ने 2019-20 में 13.41 लाख टन, 2018-19 में 9.49 लाख टन और 2017-18 में 7.93 लाख टन धान समर्थन मूल्य पर खरीदा ।
6. बिहार के गेहूँ किसानों की मेहनत को बिचौलियों के हाथ बेचा नीतीश सरकार ने
बिहार में 2020-21 में गेहूं का उत्पादन लगभग 61 लाख मीट्रिक टन हुआ तथा समर्थन मूल्य 1925 रु. क्विंटल निर्धारित हुआ। परंतु बिहार के किसान का गेहूँ बिका 1000-1100 रु. प्रति क्विंटल में । नीतीश सरकार का किसानों से छल-कपट का सबसे बड़ा सबूत यह है कि साल 2020-21 में जदयू-भाजपा सरकार ने समर्थन मूल्य पर मात्र 5,000 मीट्रिक टन गेहूँ ही खरीदा, वो भी 1,002 किसानों से। यह कुल गेहूँ उत्पादन का मात्र 0.08 प्रतिशत था। क्या बिहार में केवल 1,002 गेहूँ उत्पादक किसान ही हैं।
यही नहीं, नीतीश सरकार लगातार गेहूँ किसान से समर्थन मूल्य पर खरीद कर रही नहीं रही। इसका सबूत देखिए – नीतीश सरकार ने समर्थन मूल्य पर 2017-18 में तो एक दाना भी गेहूं का नहीं खरीदा। 2018-19 में 17,540 मीट्रिक टन गेहूँ खरीदा, जो कुल उत्पादन का 0.27 प्रतिशत था और 2019-20 में 2,815 मीट्रिक टन गेहूँ खरीदा, जो कुल उत्पादन का 0.046 प्रतिशत था।
7. किसान सम्मान बनाम किसान लूट योजना
बिहार में कुल 1,60,20,000 किसान हैं (कृषि सेंसस 2015-16)। पर किसान सम्मान योजना में बिहार के केवल 56,95,342 किसानों को ही शामिल किया गया है। क्या बिहार में बाकी किसानों का कोई अधिकार नहीं।
एक तरफ मोदी सरकार कह रही है कि किसानों को 6,000 रुपया प्रतिवर्ष सम्मान निधि देकर हम किसानों की सहायता कर रहे हैं मगर दूसरी ओर मोदी सरकार ने बीते छः वर्षों में डीजल की कीमत मई 2014 में 55.49 रु. प्रति लीटर से बढ़ाकर आज 75.90 रु. प्रति लीटर कर दी है। अर्थात लगभग 20 रु. प्रति लीटर डीजल के दामों की वृद्धि की गई। इसी प्रकार खेती में लगने वाले इनपुट जैसे उर्वरक, कीटनाशक, फेरोमान ट्रैप, ट्रैक्टर, ड्रिप और स्प्रींकलर और अन्य उपकरणों पर 5 से 18 प्रतिशत तक जीएसटी लगने से खेती का लागत मूल्य लगभग 15,000 रु. प्रति हेक्टेयर बढ़ गया है। एक ओर मोदी जी 6,000 रुपया सालाना देने का स्वांग रचते हैं और दूसरी ओर किसानों की जेब से 15,000 रुपया प्रति हेक्टेयर निकाल लेते हैं।
8. बाढ़ मुआवज़ा न देकर किसान को दर्द पहुंचा रही जदयू-भाजपा सरकार
बीते दिनों, बिहार की बाढ़ से बिहार के 16 जिलों के 83.62 लाख लोग प्रभावित हुए तथा 7.54 लाख हेक्टेयर में किसानों की फसलें तबाह हुईं। लगभग 25-30 लाख किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं, मगर नीतीश और मोदी सरकार ने किसानों की इस दुरावस्था के लिए अब तक फूटी कौड़ी मुआवज़ा नहीं दिया। मोदी जी ने 26 जुलाई 2020 को अपनी मन की बात में बिहार की बाढ़ की वेदना तो व्यक्त की मगर आज तक कोई सहायता केंद्र या राज्य सरकार से किसानों की फसलों की बर्बादी के लिए नहीं पहुंचाई गई।

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