विजय शंकर
पटना । कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि तीसरे चरण का चुनाव प्रचार थमने के बाद महागठबंधन की जीत की सौंधी खुशबू आ रही है। इस खुशबू में उम्मीदें हैं युवाओं के रोजगार की, किसान की कर्ज माफी की, फसलों के दाम की, अपराध पर लगाम की, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य की, नए उद्योग-धंधों की, प्रवासी मजदूरों के लिए आशा की एक नई किरण की । इतिहास साक्षी है कि बिहार ने हमेशा देश की राजनीति की ‘दशा और दिशा’ तय की है। बिहार का यह चुनाव भी भविष्य की राजनीति का भाग्य बदलने वाला है। बिहार ने फिर उद्घोष किया है – प्रदेश और देश से जाति और धर्म की राजनीति को तोड़, विभाजन और बंटवारे वाली पार्टियों को नकार एक बार फिर विकास-तरक्की-रोटी-रोजगार को दलों की जवाबदेही का तथा सरकार चुनने और बदलने का मुख्य मुद्दा बनाया है। नफरत और बंटवारे की मार झेलते हिंदुस्तान के लिए एक बार फिर यह नए रास्ते की शुरुआत है।
भाजपा-जदयू ने इस चुनाव को बुनियादी मुद्दों से भटकाने की नाकाम कोशिश की। नीतीश कुमार-नरेंद्र मोदी जी की जोड़ी ने अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिये चुनावों को जाति-धर्म में बाँटने की कोशिश की। यहाँ तक कि वे पाकिस्तान की शरण में भी चले गए। और तो और वोटों के ध्रुवीकरण के लिए भाजपा ने ओवैसी जैसे अपने तोते को भी बँटवारे की स्क्रिप्ट देकर सीमांचल में उतारा, मगर जनता ने भाजपा-जदयू के तोते उड़ा दिए।
नीतीश बाबू ने तो तीसरे चरण के चुनाव से पहले ही इस चुनाव को अपना ‘आखिरी चुनाव’ बता जदयू-भाजपा की हार स्वीकार कर ली है। पर जान लें कि जदयू-भाजपा का ‘टायर्ड व रिटायर्ड नेतृत्व’, जिन्होंने अब रिटायरमेंट की घोषणा भी कर दी है, वो बिहार को हरा नहीं पाएंगे। अच्छा होता कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी बिहारवासियों से बिहार को बदहाली की कगार पर पहुंचाने के लिए खुले मन से माफी मांग महागठबंधन को सरकार सौंप देते।
नीतीश-मोदी जी की जोड़ी लाख नफरत, नकारात्मकता, निराशा और बँटवारे का राग अलापते रहे, मगर बिहार ने नीतीश-भाजपा सरकार से 15 सालों में भीषणतम बेरोजगारी, किसान की दुर्दशा, स्वास्थ्य तथा अशिक्षा के अंधकार, गर्त में गई अर्थव्यवस्था और चौपट हुए उद्योग-धंधों का तो हिसाब मांगा ही, साथ ही बिहार के चप्पे चप्पे को कचरे के ढेर में तब्दील करने, पानी को प्रदूषित करने, किसानों को फसलों के दाम से वंचित करने, मुंगरे में दुर्गा माता के भक्तों का नरसंहार करने जैसे बुनियादी सवालों का हिसाब भी बेहिसाब किया। प्रदेश की जनता ने 28 अक्टूबर और 3 नवंबर को बिहार का भविष्य सँवारने की दिशा में दो ठोस कदम बढ़ा दिए हैं। अब अंतिम और तीसरा क़दम महागठबंधन की प्रचंड बहुमत की जीत सुनिश्चित करेगा जो कि बिहार के उज्जवल भविष्य की गारंटी भी होगी और एक नया रास्ता भी।