विजय शंकर
पटना : जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव ने कहा कि पूर्णिया की सीट मरते दम तक वह नहीं छोड़ेंगे और पूर्णिया उनका पसंदीदा सीट ही नहीं बल्कि उनका घर है । पुर्णिया के घर-घर की महिलाएं उनको बेटा मानती हैं , कोई उनको भाई मानती हैं और पूरा पूर्णिया उनके लिए परिवार जैसा है । उन्होंने कहा कि पूर्णिया की सीट के लिए उन्होंने पूरे जीवन भर काम किया है और पिछले 1 साल से वे लगे हुए हैं । पुर्णिया वासियों की सेवा में अपना सब कुछ न्योछावर किया है, त्याग किया है । ऐसे में पूर्णिया छोड़कर हम कहीं नहीं जाएंगे और मरते दम तक पूर्णिया की सीट नहीं छोड़ेंगे ।
उन्होंने कहा कि पूर्णिया की सीट को लेकर उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू यादव और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से भी बात की थी । साथ ही बातचीत के बाद उन्होंने अपनी पूरी पार्टी जन अधिकार पार्टी को कांग्रेस में विलय किया और कांग्रेस से पूर्णिया सीट पर लड़ने की बातचीत भी तय हो गई । बावजूद इसके पूर्णिया सीट पर राजद के द्वारा उम्मीदवार घोषित होना दु:खद है । पप्पू यादव ने कहा कि उन्होंने पूर्णिया की स्थिति को लेकर कांग्रेस आला कमान को अवगत करा दिया है । आगे कांग्रेस जैसा फैसला करेगी, इस अनुकूल काम करेंगे ।
उल्लेखनीय है राष्ट्रीय जनता दल की ओर से बीमा भारती को पूर्णिया सीट पर उम्मीदवार बना दिया गया है जबकि कांग्रेस आला कमान की ओर से पूर्णिया की सीट छोड़ने की बात राजद सुप्रीमो लालू यादव से की जा रही थी, मगर राजद ने कांग्रेस की मांग को मना करते हुए बीमा भारती को पूर्णिया से उम्मीदवार बना दिया ।
उल्लेखनीय है बीमा भारती हाल ही में जदयू से नाता तोड़कर राजद की सदस्यता ग्रहण की है और मात्र दो दिनों के अंदर राजद ने पूर्णिया से उन्हें टिकट भी दे दिया जिसके कारण इंडी गठबंधन के अंदर बिहार में भी बंगाल की तरह कांग्रेस से सीधा विवाद छिड़ गया है । अब देखना यह होगा कि कांग्रेस कौन सा फैसला लेती है । कांग्रेस को अगर पूर्णिया सीट पप्पू यादव के लिए नहीं लौटी तो निश्चित तौर पर पूर्णिया में कांग्रेस और राजद के बीच दोस्ताना संघर्ष हो जाएगा । अगर दोस्ताना संघर्ष नहीं भी हुआ तो जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के अपने पुराने बैनर तले भी पप्पू यादव खुद लड़ सकते हैं , इसकी संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता । अगर ऐसा हुआ और पूर्णिया से पप्पू यादव लड़ जाते है तो पुर्णिया की जनता पप्पू यादव के लिए समर्पित हो सकती है । फिर पुर्णिया में शायद फिर ना कोई हवा चलेगी, ना कोई हिंदुत्व का लहर चलेगा बल्कि पप्पू यादव पूर्व की तरह ही सीट पर कब्जा करने में सफल भी हो सकते हैं !