संजय श्रीवास्तव
आरा। वर्षों से बोरा ढोकर अपना भरण पोषण करने वाले मजदूरों के लिए उनका मेहनताना मांगना भी गुनाह है। ऐसे ऐसे अफसर भी है जिन्हें राज्य सरकार की ओर से बोरा ढोने का निर्धारित दर ₹11 का भुगतान कर दिया जाता है और ये जिला प्रबंधक महोदय अपने अभिकर्ताओं के माध्यम से ₹8 के दर से भुगतान करते हैं।वो भी वर्षों, महीनों बाद,भी आज तक नहीं मिला है।
इसकी मांग करने पर मजदूरों पर ही मनमानी, गैरकानूनी, नाजायज रुपये की मांग, सरकारी काम में व्यवधान और इन सबों को हटाकर नये मजदूरों से काम कराने की धमकी तक दे रहे हैं। ये मजदूर दिन रात बोरा का लोडिंग अनलोडिंग कर देश के कोने-कोने तक खाद्यान्न पहुंचाये जाते हैं। यहां तक की कोरोना काल में जब कोई घर से बाहर नहीं निकलता था कोई काम नहीं करता था तो ये मजदूर जान जोखिम में डालकर अपना खून पसीना बहाकर घर तक खाद्यान्न पहुंचने का काम किया।लेकिन इन्हें कोई पूछने वाला नहीं है।आजादी के 75 वर्षों बाद भी इन मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिले ,यह लोकतंत्र और देश के लिए काला अध्याय है। आज तक किसी सरकार ने भी इन सभी मजदूरों पर ध्यान देने की जरूरत ही नहीं समझी।
ये बातें आज प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यूनियन के प्रदेश महामंत्री रामदयाल सिंह ने बताईं है।इस संबंध में भोजपुर के जिलाधिकारी को पत्र के माध्यम से सभी तथ्यों की जानकारी दी है। इन्होंने जिला प्रबंधक द्वारा जारी पत्रांक 635 दिनांक 13.6.24 के संबंध में बताया की भोजपुर जिला में 14 एस एफ सी डिपो है जिसमें तीन डिपो का काम बंद था।जिसे जगदीशपुर एसडीओ के तीन दिनों में भुगतान करने के आश्वासन पर काम तो चलने लगा लेकिन आज तक भुगतान नहीं हुआ। मैं स्पष्ट बात को बता देना चाहता हूं कि मजदूरों में जो असंतोष का कारण है उसमें – अंतर राशि भुगतान, सरकार द्वारा पुनरीक्षित दर से भुगतान न होना, वर्षों से मजदूरों का इपीएम और ईएसआईसी की सुविधा नहीं मिलना है।साथ ही मजदूरों से कार्य करने के लिए श्रम संसाधन विभाग द्वारा जिला प्रबंधक को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। नियुक्त परिवहन सह अथलन अभिकर्ता मुख्य का श्रम संसाधन विभाग से लाइसेंस लेना जरूरी है जो आज तक नियम के विरुद्ध कार्य चलाया जा रहा है।
इसी सच्चाई को उच्च पदाधिकारी,आम लोगों तक नहीं पहुंचे इसलिए गरीब मेहनतकश मजदूरों को प्रताड़ित करने का काम जिला प्रबंधक राज्य खाद्य निगम भोजपुर के कर रहे हैं।इन सभी तथ्यों को जिला से लेकर राज्य तक संबंधित पदाधिकारीयों को पहुंचा दिया गया है। संबंधित आदेशित पत्र संलग्न है।
इसके बाद भी अगर इस पर कोई विचार, कोई समाधान नहीं निकाला गया तो भोजपुर ही नहीं बिहार भर के सभी डिपो के सभी मजदूर सामुहिक धरना ,प्रदर्शन और आमरण अनशन पर बैठने के लिए मजबूर हो जाएंगे जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

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