किसान ससद का फाईल फोटो

सिंघू मोर्चे पर एक और आग दुर्घटना – प्रदर्शनकारियों की ‘चढ़दी कलां’ में कमी नहीं

भाजपा नेताओं को लगातार झेलना पड़ रहा स्थानीय विरोध- कल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की बारी थी

सुभाष निगम 

नयी दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा की किसान संसद सोमवार को फिर से चलेगा। जैसा कि पहले ही घोषित किया जा चुका है, जंतर-मंतर पर किसान संसद, संसद के सभी कार्य-दिवसों पर, वहां की कार्यवाही के समानांतर चलेगी। 22 और 23 जुलाई 2021 को किसान संसद के दो दिनों की कार्यवाही में किसान-विरोधी “एपीएमसी बाईपास” अधिनियम पर चर्चा हुई और इसे तत्काल निरस्त करने का संकल्प प्रस्ताव पारित किया गया। किसान संसद की बहस में ये भी माना गया कि मौजूदा मंडी प्रणाली में राज्य सरकारों द्वारा केंद्र से बजटीय समर्थन की मदद से सुधार करने की आवश्यकता है। कल किसान संसद के प्रस्ताव में भी इस पहलू को शामिल किया गया है। किसान संसद व्यवस्थित, शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से चली और वाद-विवाद विस्तृत और विश्लेषणकारी रहा। इस बीच, संसद के मानसून सत्र में अब तक की चार दिनों की कार्यवाही ने, मोदी सरकार के कामकाज के संबंध में गंभीर चिंताओं, और आम नागरिकों और हमारे लोकतंत्र के सामने आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया है। ज्ञात हो की, एसकेएम ने सत्र शुरू होने से पहले सभी सांसदों को एक पीपुल्स व्हिप जारी किया था।

उल्लेखनीय है कि अन्य स्थानों पर भी छोटी किसान संसद का आयोजन किया जा रहा है। पंजाब के लुधियाना जिले के किला रायपुर में अडानी के ड्राई पोर्ट पर धरना स्थल पर कल बच्चों ने किसान संसद चलाई। इस आंदोलन का महत्व यह है कि यह नागरिकों की कई पीढ़ियों को इसमें शामिल होने और योगदान करने के लिए प्रेरित कर रहा है!

पंजाब से, कीर्ति किसान फोरम नामक सेवानिवृत्त नौकरशाहों और सुरक्षाकर्मियों के एक मंच ने चल रहे किसान आंदोलन और जंतर-मंतर पर किसान संसद के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है। इसी तरह, सेवानिवृत्त एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास ने पंजाबी में एक संदेश में किसान आंदोलन को अपनी समर्थन और एकजुटता दी। उन्होंने संघर्ष के साथ-साथ प्रदर्शनकारियों की शांति और अनुशासन की प्रशंसा की।

सिंघू बॉर्डर धरना स्थल पर आज फिर आग लग गई और इस घटना में किसानों के कई टेंट जलकर राख हो गए. हालांकि, किसानों की भावना अप्रभावित है और सब ‘चढ़दी कलां’ है।

हम पंजाब और हरियाणा में भाजपा नेताओं के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों के बारे में जानकारी साझा करते आ रहे हैं। हाल ही में राजस्थान में भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष को अलवर के पास काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ा। कल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की बारी थी जब वह रुद्रपुर आए थे। उनके दौरे के विरोध में स्थानीय किसान बड़ी संख्या में एकत्र हुए और पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। पंजाब के फगवाड़ा में कल सतनामपुरा गांव में भाजपा नेता सोम प्रकाश (केंद्रीय मंत्री) और विजय सांपला के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ।

हरियाणा में, प्रशासन ने औपचारिक रूप से हिसार में किसानों के खिलाफ मामलों, जो सीएम के दौरे का विरोध करने पर दर्ज़ किया गया था, को बंद कर दिया। यह किसानों की सत्याग्रह की सफलता है।

बिहार में, एआईकेएससीसी के बैनर तले विभिन्न किसान संगठनों ने 9 अगस्त को भारत छोड़ो दिवस पर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया। यह संयुक्त बयान बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव ने जारी किया है । 

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