Rajan Kishore jha

मनुष्य नहीं होत है ,समय होत बलवान

भीलन लूटी गोपिका,वही अर्जुन,वही बाण

उत्तरप्रदेश के नामी माफिया सरगना कहलाने वाले मुख्तार अंसारी और अब तक सम्मानित कह कर पुकारे जाने वाले उनके भाई सांसद अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में दस साल और चार साल की सजा सुना दी गई है। इसी के साथ सदियों से आमजनों के बीच चली आ रही कहावत, “वही अर्जुन,वही बाण “एक बार फिर चरितार्थ हो गया। मुख्तार को अब तक तीन मामलों में सजा हो चुकी है और 50 से अधिक मामलों में फैसला आना बाकी है।जिन तीन मामलों में अदालत ने फैसला सुनाया है,उससे तय है कि मुख्तार का बुढ़ापा जेल में ही बीतेगा। सम्मानित सांसद भाई सजा के ऐलान के साथ ही सम्मानित नहीं रह गए अर्थात संसद की सदस्यता जाती रही। मुख्तार की बीबी फरार चल रही हैं पर योगी के राज्य की पुलिस के हाथ खासे लंबे हैं सो आज न कल वे भी कानून की गिरफ्त में होंगी। एक माफिया सरगना अतीक अहमद का अपने भाई समेत खुदागंज पहुंच जाना और दूसरे माफिया मुख्तार का भाई समेत सजा पा जाना उन लोगों के लिए एक नजीर बनेगा जो अपराध की दुनिया में जाने की तमन्ना रखते थे।
सत्तर के दशक के बाद से बिहार और उत्तरप्रदेश के आमजनों में यह भावना घर कर गई थी कि सफल खानदान वो है जिसमें एक अदद किसान,एक अदद नामी गुंडा और एक अदद उच्च ओहदे वाला सरकारी अधिकारी हो। मुख्तार अंसारी का परिवार इस सोच पर सोलह आने खड़ा उतरता था।कम ही लोग यह जानते होंगे कि उच्च पदों से गुजर कर देश के उपराष्ट्रपति बने हामिद अंसारी, मुख्तार अंसारी के ही खानदान के थे। तमाम सेकुलरवादी दलों ने मुख्तार के आतंक का भरपूर राजनीतिक फायदा उठाया। यही कारण था जिसकी वजह से पहले मुख्तार अंसारी चुनाव जीतते रहे,जब सजायाफ्ता होने की वजह से मुख्तार चुनाव लड़ने के लायक नहीं रहे तब उनके भाई अफजाल अंसारी मऊ संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीत कर संसद जा पहुंचे। आज उनके भी सजायाफ्ता होने की वजह से दशकों से राजनीति अखाड़े में कायम अंसारी परिवार चुनावी राजनीति से बाहर हो गया। अंसारी बंधुओं के जेल जाने से सबसे बड़ा सदमा समाजवादी पार्टी और बसपा को लगा है। योगी तो उनके चुनावी प्राण वायु की नली को ही ध्वस्त किए दे रहा है। कैमरे के आगे इन दलों के कई नेता यदि यह कहते नजर आए कि वर्तमान राज्य सरकार चुन,चुन कर मुसलमान अपराधियों को सजा दिलवा रही है,तो इसमें कोई अचरज की बात नहीं होगी।
बंकिमचंद्र द्वारा लिखित उपन्यास आनंद मठ में वर्णित संयासियों का वह दल जो जनता को नवाब के सिपाहियों के हाथों सताए जाने पर उनके विरुद्ध हथियार उठा लेता है, वह जज्बा एक बार धरती पर फिर से योगी आदित्यनाथ के रूप में उतर आया है। गोरखपुर अतीत में कैसा था,नए उम्र के बच्चे तो यह जानते भी न होंगे।वहां दिन दहाड़े हत्याएं हुआ करती थी,लूट और अपहरण एक सामान्य घटना मानी जाती थी।योगी गोरखपुर के सांसद क्या बने,देखते ही देखते गोरखपुर से माफिया राज गायब हो गया।अब योगी प्रांत के मुख्यमंत्री हैं और अपराधियों के समक्ष यह साबित करने में जुटे हैं कि कानून के हाथ लंबे ही नहीं बल्कि अपराधियों को दंडित करने में भी सक्षम हैं। सो एक के बाद दूसरा माफिया कानून के डंडे तले आता जा रहा है। अब अदालतों में माफियाओं के मामले को टाला नहीं जाता बल्कि फटाफट सुनवाई कर इंसाफ को फौरन से पेशतर दिया जा रहा है। इसे एक शुभ संकेत माना जाना चाहिए।

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