संजय श्रीवास्तव

आरा। यह कार्यशाला भोजपुर जिले के चांदी गांव में आयोजित किया गया था जिसमें प्रांत भर से 25 प्रतिभागी कलाकारों ने अपने उत्कृष्ट भोजपुरी पेंटिंग का निर्माण एवं प्रदर्शन किया ।
समापन के दिन भोजपुरी पेंटिंग के औचित्य एवं इसके संवर्धन और विकास विषय पर एक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया । संगोष्ठी में बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ,पटना कला महाविद्यालय के प्राचार्य श्री अजय कुमार पांडे , जयप्रकाश विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राध्यापक पृथ्वीराज सिंह और कला समीक्षक वीरेंद्र कुमार सिंह ने अपने बहुमूल्य वचनों से इस विषय पर प्रकाश डाला । अतिथियों ने प्रतिभागी छात्राओं के बीच प्रमाण पत्र एवं मानदेय को भी वितरित किया ।
आयोजन के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए बिहार संग्रहालय के अपर निर्देशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि भोजपुरी पेंटिंग का इतिहास बहुत पुराना है। सदियों से भोजपुरी समाज के जनजीवन में यह कला चली आ रही है। लेकिन मुगल काल और अंग्रेजी शासन काल के दौरान यह कला धीरे-धीरे विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई थी। आजादी के बाद भी बिहार की अन्य कलाओं की तरह इस कला की ओर किसी का ध्यान नहीं गया। लेकिन पिछले एक दो दशक से कई सामाजिक संस्थाओं और बिहार सरकार एवं भारत सरकार की तरफ से इस कला के उत्थान के लिए प्रयास किया जा रहे हैं और उसके चलते भोजपुरी कला अपनी पहचान बनाने की ओर अग्रसर है । मुख्य अतिथि कला महाविद्यालय के प्राचार्य अजय कुमार पांडे ने कहा कि भोजपुरी अंचल की कला की व्याप्ति विस्तृत क्षेत्र में है । मधुबनी और मंजूषा की तरह यह कला भी बिहार की एक प्रतिनिधि कला है और निश्चित रूप से कई पीढियां के किए गए कलात्मक कार्यों का संरक्षण और शोध और उसको सामने लाना बहुत आवश्यक है। प्रो पृथ्वी राज सिंह ने कहा कि लोककलाएं हमारी सांस्कृतिक विकास की पग चिन्ह होती हैं। हमारी संस्कृति किन मोड़ों और कोणों से गुजरी है उसके अवशेष वहां मिलते हैं । लोक कलाएं सभी समसामयिक कलाओं की खनिज की तरह हैं जिन्हें संशोधित कर विभिन्न रंग रूपों में ढाला जाता है। भोजपुरी चित्रकला का भविष्य भी उन्नत है ।
कार्यक्रम में वरिष्ठ चित्रकार संजीव सिन्हा, रोशन राय ,अरुण कुमार पांडे आदि की भी सहभागिता रही। मुख्य अतिथि एवं संयोजक द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया और यह संकल्प भी दोहराया गया कि आने वाले कुछ महीनों में इस तरह के कई कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी ।
अतिथियों का स्वागत चित्रकार कमलेश कुंदन में और मंच संचालन चित्रकार संजीव सिन्हा ने किया। उपस्थित लोगों में कमलेश कुमार सिंह, अमन श्रीवास्तव, गुड़िया कुमारी, दीपा श्रीवास्तव, पलक कुमारी,

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