विलुप्त होती कैथी लिपि के विद्वान बिंदेश्वरी प्रसाद बिंदु भैया सम्मानित
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने झारखंड सरकार से कैथी लिपि की पढ़ाई शुरू कराने की मांग उठाई
विजय शंकर
गिरिडीह : विलुप्त होती हुई प्राचीन लिपि कैथी लिपि के देश के जाने-माने विद्वान में शुमार झारखंड के गिरिडीह जिला के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में देवरी के घसकरीडीह पचंबा गांव के रहने वाले श्री बिंदेश्वरी प्रसाद बिंदु भैया का सम्मान शॉल ओढ़ाकर उनके पचंबा स्थित आवास पर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. प्रणव कुमार बब्बू के नेतृत्व में महासभा के सदस्यों द्वारा किया गया।
इससे पूर्व कैथी लिपि के प्रकांड विद्वान, सह जैविक खेती करने वाले आदरणीय बिंदेश्वरी प्रसाद बिंदू भैया (गिरिडीह निवासी) के आवास पर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. प्रणव कुमार बब्बू के नेतृत्व में बैठक आयोजित हुई, जिसमें श्री बिंदेश्वरी प्रसाद जी को सम्मानित किया गया और इस विलुप्त विधा के प्रकाण्ड विद्वान की सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में कैथी विद्या के विद्वान् होते हुए कृषि कार्यों मे संलिप्त होना चिंता का विषय है। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. प्रणव कुमार बब्बू ने झारखंड सरकार से कैथी लिपि की पढ़ाई पुनः शुरू कराने की मांग उठाई एवम कैथी लिपि के सभी जानकारों को सरकारी नौकरी ट्रांसलेटर में संयोजित करने की मांग की है। ज्ञातव्य हो कैथी लिपि कि वह लिपि है जिसे राजस्व से संबंधित कार्यालय उपयोग में भूमि से संबंधित दस्तावेजों में प्रयोग किया जाता रहा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि जब राजस्व के कार्यालय उपयोग में राजभाषा लागू करने की बात उठी तो बंगला, उर्दू से ज्यादा कैथी में लेखनी सबसे सहज होने के कारण इसे मान्यता मिली।इस निर्णय का कारण कैथी में सिर्फ दीर्घी आकार में लिखाई की जाती है। रांची से गिरिडीह जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ प्रणव कुमार बब्बू, उपेंद्र कुमार बबलू, विजय दत्त पिंटू, मुकेश कुमार सिन्हा, संतोष दीपक, विनय कुमार बेलू,प्रकाश किशोर सहाय, संजीव कुमार सिन्हा, सूरज कुमार सिंहा,नरेंद्र कुमार, अभय कुमार समेत अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अन्य पदाधिकारी थे।