विजय शंकर 
 
पटना : राजद के वरिष्ठ नेता सुमन कुमार मल्लिक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा की देश में चले वर्ष 1974 से 1977 तक के जेपी आंदोलन में अनेकों नेता कारा में बंदी बनाये गए, जिसमें बिहार से ही हजारों आंदोलनकारी कारा में बंद थे। श्री मल्लिक ने कहा की बिहार सरकार के द्वारा जेपी आंदोलन में हिस्सा लेनेवाले आंदोलनकारियों को पेंशन देने का काम किया तथा उन्हें कई सुविधा देकर सम्मानित करने का भी काम किया गया। उन्होंने कहा की इन सब के बाबजूद आज वर्षों बीत जाने के बाद भी जेपी आंदोलन में हिस्सा लेनेवाले अनेकों आंदोलनकारियों सरकार की ओर से मिलने वाले पेंशन और सुविधा पाने से किसी कारणवश वंचित रह गए हैं, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
 
श्री मल्लिक ने कहा की वर्ष 1974 के इस आंदोलन में अनेकों सेनानियों ने फरारी एवं भूमिगत होकर आंदोलन को आगे बढ़ाया था, जिसें जेपी सम्मान पेंशन देने के दिशा में वर्ष 2015 में बिहार सरकार के गृह विशेष विभाग ने फरारी एवं भूमिगत जेपी आंदोलनकारियों से आवेदन लिया तथा दिए गए सभी आवेदनों को जेपी सेनानियों को त्रिसदस्यी कमिटी ने सभी आवेदनों को जांच करा कर समर्पित किया गया। उन्होंने कहा की वह विभाग में जेपी सम्मान परिषद् में अभी तक विचारधीन हैं, जिससे आंदोलनकारियों में निराशा व्याप्त हैं। श्री मल्लिक ने कहा की फरारी एवं भूमिगत आंदोलनकारियों की उम्र भी अबतक 65 वर्ष से ऊपर हैं।
 
श्री मल्लिक ने  बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से मांग किया हैं की जेपी आंदोलन के दौरान जेल में बंद रहे अथवा फरारी एवं भूमिगत रहे छूटे हुए सेनानियों तथा इस आंदोलन के दौरान अपना – अपना योगदान देनेवाले साहित्यकार, रंगकर्मी, वकील, पत्रकार, सहित अन्य लोगों को भी अविलंब पेंशन- सुविधा देने पर विचार करें। उन्होंने कहा की छूटे हुए संघर्षशील सेनानियों को पेंशन व अन्य सुविधा मिलने से उन्हें सम्मान के साथ ही जीवन जीने में बड़ी राहत मिलेगी।
 

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