शिक्षक नियमावली 2023 का विरोध करने पर कार्रवाई संबधी सरकार के आदेश का ऐक्टू ने किया विरोध।

दमनकारी और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार पर हमला करने वाला आदेश – ऐक्टू

नव राष्ट्र मीडिया

पटना ,16 मई 2023

ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) राज्य सचिव रणविजय कुमार ने अध्यापक नियमावली 2023 का विरोध कर रहे शिक्षकों व शिक्षक आंदोलन में सरकारी कर्मी के शामिल होने पर रोक लगाने तथा सरकारी नीति का विरोध करने पर कार्रवाई संबंधी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का जारी आदेश का पुरजोर मुखालफत करते हुए इस आदेश को अविलंब वापस लेने की मांग किया है।

उन्होंने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के इस आदेश को दमनकारी और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार पर हमला करने वाला आदेश बताया है।

ऐक्टू नेता रणविजय ने कहा कि इस तरह का दमनकारी आदेश जारी कर सरकार अपने अलोकतांत्रिक आचरण का नगां प्रदर्शन बंद करे और शिक्षक संगठनों के नेताओं से उनके विरोध के बिंदुओं पर सम्मानजनक वार्ता कर मामले का हल निकाले ।

ऐक्टू नेता रणविजय ने कहा कि इस तरह के आदेश से कोई डरने वाला नहीं और नहीं आंदोलन कमजोर पड़ने वाला है आगे कहा कि डरा धमका कर किसी भी लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाने की सोंच रखना पागलपन है इसलिए सरकार तानशाही वाला आदेश रदद् करे और सरकार बिना शर्त शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे।

इसके पूर्व महासंघ गोप गुट के महासचिव प्रेमचंद कुमार सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा नहीं देकर उनके भविष्य से नए नियम बनाकर खिलवाड़ कर रही है । बिहार सरकार की नीतियों के विरुद्ध *बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा* बनाकर शिक्षक सड़क पर उतर चुके है। बिहार कैबिनेट के द्वारा नई शिक्षक नियमावली को स्वीकृति देने के साथ ही शिक्षकों के एक नए संवर्ग के गठन करने का ज़िद सरकार को महंगा पड़ेगा । नियोजित शिक्षकों मे फैले आक्रोश को कानूनी कार्रवाई की धमकी देने से दबाया नहीं जा सकता है बल्कि आक्रोश और भड़केगा ।
बिहार के शिक्षक एवं कर्मचारी
इस तरह के गैर लोकतांत्रिक एवं तानाशाही आदेश से डरने वाला नहीं है ।
शिक्षा विभाग द्वारा जारी सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक को विभागीय कार्रवाई करने संबंधी दिए गए आदेश की निंदा की है और तुरंत उसे वापस करने की मांग की है अन्यथा आने वाले दिनों में और आंदोलन को मजबूत किया जाएगा ।
राज्यकर्मी की दर्जा प्राप्त करने की आस लगाए हुए शिक्षक को फिर से परीक्षा देने के उपरांत राज्यकर्मी का दर्जा देने के निर्णय से पूर्व से नियोजित शिक्षक आक्रोशित हैं क्योंकि तेजस्वी यादव नीत महागठबंधन के चुनावी घोषणा के अनुरूप वे लोग सीधे-सीधे राज्यकर्मी का दर्जा मिलने की उम्मीद कर रहे थे इसलिए सरकार को ज़िद छोड़कर नियोजित शिक्षकों के हित में राज्यकर्मी का दर्जा बिना परीक्षा लिए ही की जानी चाहिए अन्यथा आने वाले दिनों में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा ।

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