बंगाल ब्यूरो
कोलकाता। अगर भैया सुब्रत मुखर्जी जिंदा होते तो तृणमूल उन्हें निष्कासित कर अपमानित नहीं कर पाती। यह है कि मुखर्जी की बहन तनिमा चटर्जी का। वह कोलकाता नगर निगम के 68 नंबर वार्ड से निर्दलीय उम्मीदवार हैं। बुधवार को इलाके में प्रचार के बाद उन्होंने कहा, ”दादा (बड़े भाई) जिंदा होते तो वे मेरा ऐसा अपमान नहीं कर पाते। इसे सहना कठिन है।”
तृणमूल नेतृत्व ने 68 नंबर वार्ड से उन्हें उम्मीदवार के रूप में घोषित किया था और बाद में टिकट किसी और को दे दिया। इससे नाराज तनीमा ने निर्दलीय पर्चा भर दिया। इसके बाद उन्हें दक्षिण कोलकाता जिला तृणमूल अध्यक्ष देबाशीष कुमार ने पार्टी से निलंबित कर दिया है।
लेकिन वह तृणमूल से नाराज नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं तृणमूल के खिलाफ नहीं हूं। निकाले जाने के बाद भी, मैं अभी भी खुद को एक तृणमूल कार्यकर्ता मानती हूं। मेरी लड़ाई प्रत्याशी के खिलाफ है। भैया चाहते थे कि मैं उम्मीदवार बनूं। इसलिए मैं निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़ी हूं।’
इस वार्ड में मौचक, गोरियाहाट बाजार, फर्न रोड, बालीगंज चौकी, बालीगंज स्टेशन रोड, मंडेविला गार्डन रोड इलाके शामिल हैं। इसके अलावा, काकुलिया स्लम सहित सात बस्तियां हैं। तनिमा ने कहा कि निवर्तमान पार्षद सुदर्शना (तृणमूल उम्मीदवार) कई जगहों पर निगम सेवाओं को पूरा करने में विफल रही हैं। उन्होंने दावा किया कि इस वार्ड में कोई स्वयं सहायता समूह नहीं है।
उन्होंने कहा, “मैंने लोगों से बहुत सारी शिकायतें सुनी हैं। कोरोना मृतकों के परिवारों की मदद नहीं की गई।”
तनिमा ने अपने प्रचार के लिए खास तरह का होर्डिंग बनाया है। इसमें उनके दिवंगत भाई सुब्रत की तस्वीर है।
वह अपनी जीत को लेकर आशान्वित हैं। डर भी हैं। उन्होंने कहा, “लोग प्रचार अभियान का जवाब दे रहे हैं। बाकी सब जनता पर निर्भर करता है। मुझे शांतिपूर्ण और स्वतंत्र चुनाव होने पर जीत का भरोसा है।”