विजय शंकर
पटना, 17 अक्तूबर । जहरीली शराब कांड के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस तत्परता और कुशलता से कदम उठाए उससे दो बातें बिल्कुल स्पष्ट हैं। पहला, नीतीश कुमार के रहते बिहार में शराब के अवैध धंधेबाजों की खैर नहीं। जिस तरह से ताबड़तोड़ गिरफ़तारियां, कार्य में शिथिलता बरतने वाले कर्मियों का निलंबन और तीन जिलों में डबल एसआईटी का गठन किया गया उसपर गौर करने की जरूरत है।
जनता दल यू के प्रवक्ता मानते हैं कि महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सरकारी राजस्व का लालच छोड़कर राज्य के नागरिकों के हित में शराबबंदी जैसा नैतिक कदम उठाना नीतीश कुमार जैसा संवेदनशील मुख्यमंत्री ही कर सकता है। शायद ही कोई इससे इनकार करे कि शराबबंदी के बाद बिहार में महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा में कमी से लेकर सामाजिक जीवन में शांति जैसे कई मोर्चों पर क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। गड़बड़ी करनेवाले लोग हर समाज में होते हैं जो कानून से आंखमिचैली करते हैं। लेकिन नीतीश कुमार जैसे कठोर प्रशासक के रहते ऐसे कानूनभंजकों का बोरिया बिस्तर बंधना तय है ।