पुरे देश में विरोध दिवस, चार घंटे ठप रही चिकित्सा सेवा
विजय शंकर
पटना । प्रोटेस्ट डे के रूप में पूरे देश में आज बाबा रामदेव के विरोध में विरोध दिवस मनाया गया । प्रोटेस्ट डे के दौरान सभी मेडिकल अस्पतालों, पीएमसीएच, आईजीआईएमएस, ऐम्स, बीआईएमएस, बेतिया मेडिकल अस्पताल, भागलपुर मेडिकल अस्पताल, जेएलएनएमसीएच, एएनएमएसीएच इत्यादि अस्पतालों में सुबह 8:30 बजे से लेकर 12:30 बजे तक कोविड-19 सेवाओं को छोड़कर ओपीडी सेवा बंद रही और पटना के चिकित्सकों ने आईएमए हॉल परिसर में धरना दिया और विरोध जताया, नारेबाजी की और जुलूस की शक्ल में अपना विरोध भी जताया ।
बिहार के चिकित्सकों का नेतृत्व डॉक्टर सहजानंद प्रसाद सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित कर रहे थे जिसमें डॉ अजय कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष , राज्य सचिव डॉ सुनील कुमार, डॉ डीके चौधरी, डॉ मंजू गीता मिश्रा, डॉक्टर बसंत सिंह, डा. विजय शंकर सिंह, डॉ राजीव रंजन, डॉ कुमार अरुण, डॉ दिवेश कुमार, डॉ मानवेंद्र कुमार, डॉ अमूल्य कुमार सिंह, डा. ब्रजनंदन कुमार, जेडीएन से डॉक्टर राजीव रंजन गुप्ता, डॉ सौरभ कुमार, एमएसएम से डॉक्टर नीलकमल, डॉक्टर सिद्धार्थ कुमार, आईडीए डॉक्टर विनय इत्यादि ने इसमें सहभागिता निभायी । साथ ही चिकित्सकों ने पटना और बिहार के अन्य जिलों में भी काला बिल्ला और काला मास्क पहनकर विरोध जताया । पटना के साथ साथ अन्य जिलों में भी प्रदर्शन किया गया और विरोध जताया । चिकित्सकों ने बाबा रामदेव पर विधिसम्मत करवाई करने और उनकी गिरफ़्तारी करने की सरकार से मांग की ।
चिकित्सकों ने इस मौके पर बाबा रामदेव के चिकित्सा विज्ञान चिकित्सा पद्धति चिकित्सक विरोधी बयानों को कोविड-19 में काम करने वाले एलोपैथ के चिकित्सकों का अपमान बताया । चिकित्सकों ने कहा कि सरकार द्वारा नियत कोविड-19 हमको भी टीके के विरुद्ध बोलने के लिए देश के विभिन्न कानूनों के अंतर्गत कार्यवाही करने और उन्हें सजा दिलाने की मांग की । साथ ही बाबा रामदेव की गिरफ्तारी की भी मांग की । बाद में चिकित्सकों ने पटना जिला के जिला अधिकारी और बिहार के पदाधिकारी से मिलकर प्रधानमंत्री एवं राज्य सरकार से अपनी मांगे रखी और मांगों का एक ज्ञापन पदाधिकारियों को समर्पित भी किया । चिकित्सकों ने कहां कि पूरे देश में कोरोना के समय बिहार में चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सकों के साथ हिंसक कार्रवाई हो रही है, मगर अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं हो रही है जिसे चिकित्सकों को न्याय नहीं मिल रहा है । कई स्थानों पर मारपीट जैसी घटनाएं हो चुकी हैं मगर एफआईआर होने के बाद भी उन आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है । चिकित्सकों ने कहा कि आईएमए ने महसूस किया है कि देश में चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए एक सख्त केंद्रीय कानून की जरूरत है और उस कानून में आईपीएस एवं सीआरपी पीसी में कम से कम 10 वर्ष और 7 साल से ज्यादा जेल की सजा का प्रावधान होना चाहिए ।