समिति में केंद्र से एक प्रतिनिधि, राज्य से एक प्रतिनिधि और एक महालेखाकार होंगे

बंगाल ब्यूरो

कलकत्ता, 18 जनवरी । कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ‘मनरेगा योजना’ में भ्रष्टाचार की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति में केंद्र से एक प्रतिनिधि, राज्य से एक प्रतिनिधि और एक महालेखाकार होंगे। मनरेगा भ्रष्टाचार मामले में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने गुरुवार को कमेटी का गठन किया। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने कहा कि 327 लोगों ने उन्हें पत्र लिखकर मनरेगा योजना का लाभ नहीं मिलने की बात कही है। कमेटी पूरे प्रदेश में फर्जी जॉब कार्ड की शिकायतों की जांच कर रिपोर्ट देगी। अगले हफ्ते फिर सुनवाई है। ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि कई लोगों को मॉनरेगा योजना में पैसा नहीं मिल रहा है। हाई कोर्ट ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में योजना को दोबारा शुरू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से कार्ययोजना तैयार करने को कहा है।

खेत मजदूर संगठन की ओर से वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने सवाल किया। उन्होंने कहा, ”हम मजदूर हैं। हमारे पारिश्रमिक के बारे में बात करें। मैंने काम के लिए आवेदन किया है लेकिन मुझे काम नहीं मिल रहा है। केंद्र हो या राज्य, उन्हें सोचने दें कि जिम्मेदारी कौन लेगा।” ‌ उन्होंने श्रमिकों के लिए काम और उचित पारिश्रमिक की व्यवस्था करने का भी अनुरोध किया है।

चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम जानना चाहते थे कि मौजूदा स्थिति क्या है? मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “कितना भी भ्रष्टाचार हो, जो वास्तव में गरीब हैं उनके लिए क्या किया गया है? किसी को तो जिम्मेदारी लेनी होगी।”
केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया है कि राज्य सरकार पहले ही हलफनामे के जरिए भ्रष्टाचार की बात स्वीकार कर चुकी है।

सीबीआई की ओर से वकील बिलबदल भट्टाचार्य ने कहा कि बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। शुरुआत में इस भ्रष्टाचार का पता पुरुलिया में चला। अगर कोर्ट सीबीआई को निर्देश दे तो सीबीआई जांच कर रिपोर्ट दे सकती है। विपक्षी नेता शुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि 58 ग्राम पंचायत प्रमुखों ने अपने बैंक खातों में पैसा लिया, जिसे बाद में राज्य के खाते में वापस कर दिया गया।

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि केंद्र सरकार ही फंड नहीं दे रही है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने तुरंत तीन सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया।

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